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Career option : माइक्रो लर्निंग में तलाशें संभावनाएं

मोबाइल के बढ़ते उपयोग के साथ छात्रों के बीच माइक्रो लर्निंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. जानें इसमें मौजूद संभावनाओं के बारे में...

Career option : ई-लर्निंग कंटेंट और उसके विकास के लिए भारत एक बड़ा स्रोत बन कर उभर रहा है. युवाओं के साथ-साथ अब भारतीय कंपनियां भी कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने के लिए ऑनलाइन लर्निंग काे अपना रही है. ऐसे में कंप्यूटर साइंस व सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग डिग्री प्राप्त करनेवाले वे युवा, जो सीखने-सिखाने के इस माध्यम को अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं, कुछ बारीकियों को समझने के साथ इस क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं प्राप्त कर सकते हैं. 

तेजी से हो रहा है माइक्रो लर्निंग का विस्तार

मौजूदा दौर में मोबाइल लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण गैजेट बन चुका है. अब यह गैजेट कम्युनिकेशन का माध्यम ही नहीं, बल्कि शिक्षार्थियों के लिए एक लर्निंग डिवाइस का रूप ले चुका है. हाल में हुए सर्वेक्षण की मानें, तो आज लगभग 96 प्रतिशत युवाओं के पास अपना मोबाइल है. मोबाइल व टैब के माध्यम से लर्निंग करनेवाले तकरीबन 67 प्रतिशत लर्नर कहीं भी, कभी भी जानकारी प्राप्त करने की सुविधा के चलते मोबाइल लर्निंग को अपनाना पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियां अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए डेस्कलेस ट्रेनिंग यानी माइक्रो व मोबाइल लर्निंग को अपना रही हैं. कह सकते हैं कि एजुकेशन एवं प्रोफेशन दोनों ही जगहों पर लर्नर्स माइक्रो लर्निंग की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.  

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करनी होगी टार्गेट ऑडियंस की पहचान 

व्यावसायिक रूप से माइक्रो लर्निंग के क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले आपके लिए अपने टार्गेट ऑडियंस को समझना और वे क्या पढ़ना व सीखना चाहते हैं, यह जानकारी प्राप्त करना आवश्यक होगा. इसके बाद आपको अपनी लर्निंग स्ट्रेटजी तैयार करनी होगी. अपनी माइक्रो लर्निंग स्ट्रेटजी को प्रभावी बनाने के लिए शुरुआती दौर में आपको केवल एक ही लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना होगा, वो यह कि लर्नर के बीच किस तरह से आपके प्लेटफॉर्म की पहचान बनें.

कंटेंट है सफलता की कुंजी

प्लेटफॉर्म कोई भी हो पाठकों को उससे जोड़े रखने की एकमात्र कड़ी है कंटेंट. आपको अपने कंटेंट को मजबूत बनाने के हर संभव प्रयास करने होंगे. पारंपरिक ई-लर्निंग पाठ्यक्रमों में उपयोग किये जानेवाले कंटेंट को माइक्रो लर्निंग प्लेटफॉर्म में दोहराया नहीं जा सकता. न ही माइक्रो लर्निंग कंटेंट को प्रभावी बनाने के लिए वीडियो व अन्य इंटरेक्टिव कंटेंट को जोड़ना पर्याप्त होगा. आपको पाठन सामग्री को मूल रूप से बदलना होगा, क्योंकि शिक्षार्थी ऐसे कंटेंट को पढ़ना चाहते हैं, तो ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ मनोरंजक व आकर्षक हो. माइक्रो लर्निंग कंटेंट तैयार करने के लिए संक्षिप्त परिचय देने के बाद सीधे मुख्य टॉपिक के बारे में बताना ज्यादा उपयुक्त होगा. इसके लिए आपको अपने लर्निंग एवं डेवलपमेंट पेशेवरों को प्रभावशाली, सूचनात्मक, कॉम्पेक्ट, आकर्षक और सार्थक सामग्री बनाने के लिए निवेश करने और लगातार प्रयास करने के लिए प्रेरित करना होगा. 

शिक्षार्थियों का करें सहयोग

किसी भी कंटेंट से शिक्षार्थी तभी सीख पाते हैं, जब वे खुद को कंटेंट के साथ जोड़ पाते हैं. ऐसे में अपने माइक्रो लर्निंग मॉड्यूल को प्रभावी बनाने के लिए आप स्टोरीबोर्ड में वास्तविक जीवन परिदृश्यों और अनुभवों का प्रयोग करें. बेहतर होगा कि सभी टॉपिक की जटिलता को आसान बनाने के लिए आप लर्नर्स को अपने तरीके बांटने का प्लेटफॉर्म भी दें. कंटेंट की जटिलता को आसान बनाने के लिए आप वीडियो, चित्रों एवं ग्राफिक्स का प्रयोग भी कर सकते हैं.

वास्तविक घटनाओं की लें मदद

बेहतर होगा कि आप अपने माइक्रो लर्निंग कंटेंट में वास्तविक घटनाओं का जिक्र करके एवं मुख्य घटनाओं पर आधारित तथ्यों का प्रयोग कर लर्नर्स को जानकारी देने का प्रयास करें. लंबी-लंबी बातें लिखनें से बचें. जितना हो सके उदाहरणों के माध्यम से पाठन सामग्री को आसान बनाने का प्रयास करें. 

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