CBSE 2nd term Exam Updates: सीबीएसइ ने वर्तमान एकेडमिक ईयर में दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को फर्स्ट एवं सेकेंड टर्म में विभाजित किया है. इन दोनों टर्म्स की परीक्षाओं में छात्रों के प्रदर्शन, इंटरनल असेसमेंट एवं प्रैक्टिकल के अंकों को मिलाकर फाइनल रिजल्ट्स तैयार किया जायेगा. सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं की शुरुआत अप्रैल के आखिरी सप्ताह से होनी है, ऐसे में छात्रों के लिए समय है कि अब अपनी तैयारी को अंतिम रूप देना शुरू कर दें. इसके लिए विशेष रणनीति के साथ रिवीजन पर जोर देकर वे बोर्ड परीक्षाओं में मनचाहे अंक प्राप्त कर सकते हैं.
कोरोना महामारी के दौर में पढ़ाई बाधित होने के कारण परीक्षा की तैयारी को लेकर छात्र मनोवैज्ञानिक रूप से काफी डरे हुए हैं, लेकिन यह समय घबराने का नहीं है. छात्रों को फाइनल परीक्षा की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए धैर्यपूर्वक और सकारात्मक नजरिये के साथ अंतिम एक माह की तैयारी पर जोर देना चाहिए. योजनाबद्ध तैयारी और निरंतर अभ्यास से छात्र परीक्षा को लेकर होनेवाले भय और घबराहट को हरा सकते हैं.
सभी विषयों के सिलेबस को अच्छी तरह से जानना परीक्षा की तैयारी एवं रिवीजन के लिए महत्वपूर्ण है. इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान दें-
-सिलेबस के अनुसार सभी विषयों के प्रत्येक चैप्टर के लिए निर्धारित अंकों की एक लिस्ट तैयार करें. अधिक एवं कम अंक वाले चैप्टर की लिस्ट बना लेना भी एक अच्छी स्ट्रेटजी माना जाता है.
-प्रश्नों के उत्तर में जरूरत के हिसाब से डायग्राम और ग्राफ का प्रयोग, विशेषकर बायोलॉजी, मैथमेटिक्स, इकोनॉमिक्स, फिजिक्स और केमिस्ट्री जैसे विषयों में अच्छे मार्क्स दिलाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक यूनिट में ऐसे चैप्टर का चयन कर लेने से परीक्षा की तैयारी आसान हो जाती है.
-परीक्षा में अच्छे परसेंट और सफलता के लिए न्यूमेरिकल प्रश्नों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. साइंस के अतिरिक्त ह्यूमैनिटीज के विषयों, उदाहरण के लिए इकोनॉमिक्स और कॉमर्स में अकाउंटेंसी में भी इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं. इन प्रश्नों की स्कोरिंग काफी अच्छी होती है, लेकिन इनमें अच्छे अंक लाने के लिए कठिन मेहनत और नियमित अभ्यास की जरूरत होती है. ऐसे प्रश्नों के उत्तर स्टेपवाइज देने चाहिए, क्योंकि इनके मार्क्स स्टेपवाइज ही दिये जाते हैं. इसलिए अपने सब्जेक्ट में ऐसे चैप्टर्स की पहचान करें, जिनसे न्यूमेरिकल प्रश्न पूछे जाते हैं और फिर उनकी अच्छी तैयारी करें.
हर छात्र का अपना पसंदीदा विषय होता है, वहीं कुछ विषय कठिन भी होते हैं. ऐसे स्थिति में विषयों को फेवरिट, नॉन-फेवरिट, इजी और हार्ड के आधार पर बांट लेंगे, तो रिवीजन आसान हो जायेगा. जो विषय कठिन की कैटेगरी में आयें, उन्हें अधिक समय दें.
ऑब्जेक्टिव और बहुविकल्पीय प्रश्न परीक्षा में अंक दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं. ऐसे प्रश्नों के लिए इंपॉर्टेंट फैक्ट्स, फिगर्स, फॉर्मूले, इन्वेंशन और डिस्कवरी की महत्वपूर्ण तिथियों को अच्छे से याद करें. अहम घटनाओं के वर्ष, तात्कालिक कारण और परिणाम, विविध कॉन्सेप्ट्स और उनसे रिलेटेड सभी इंपॉर्टेंट इन्फॉर्मेशन को ध्यान में रखें.
किसी भी प्रश्न के उत्तर को समझने की बजाय, उसे रटने की कोशिश करना शॉर्ट-कट और अस्थायी विधि है. इस तरह से रट कर याद की हुई बातें कुछ देर के लिए ही हमारे मस्तिष्क में रह पाती हैं. बातों को स्थायी रूप से याद रखने के लिए विषय को समझना जरूरी है.
पढ़ने के साथ-साथ लिखने की कला अपनाकर हम किसी भी टॉपिक को आसानी से समझ सकते हैं. जब भी पढ़ने बैठें, अपने पास नोटबुक और पेन जरूर रखें. पढ़ने के साथ मेन प्वॉइंट्स को नोट करते रहने से पचास प्रतिशत टॉपिक्स की तैयारी मुकम्मल हो जाती है.
नोट्स परीक्षा के समय विषय एवं पाठ्यक्रम का रिवीजन करने में काफी मददगार होते हैं. आपने जो नोट्स तैयार किये हैं, उन्हें भी पढ़ें. विषय के अनुसार परीक्षा से पहले इन नोट्स को एक नजर जरूर देखें. रिवीजन के दौरान किसी भी तरह के भटकाव से बचें और तैयारी के अंतिम दौर में लक्ष्य पर फोकस करते हुए आगे बढ़ें.
लेख: श्रीप्रकाश शर्मा, प्राचार्य, जवाहर नवोदय विद्यालय, गढ़बनैली, बिहार