देश भर में जारी COVID-19 महामारी के कारण सीबीएसई कक्षा 12 के छात्रों के लिए इस साल कोई परीक्षा नहीं होगी, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा. उन्होंने कहा कि यह फैसला छात्रों के हित में लिया गया है.
पीएम मोदी ने कही ये बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जून, 2021 को बैठक के दौरान कहा कि , ‘हमारे छात्रों का स्वास्थ्य और सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस पहलू पर कोई समझौता नहीं होगा.’ उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच चिंता को समाप्त किया जाना चाहिए. ऐसे में “छात्रों को ऐसी तनावपूर्ण स्थिति में परीक्षा देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
सीबीएसई सचिव ने दी जानकारी
सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं रद्द होने के बाद अब सभी की नजरें मूल्यांकन प्रक्रिया पर टिकी हुई हैं. सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने मूल्यांकन और रिजल्ट से संबंधित अहम जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि लगभग 2 हफ्तों में मूल्यांकन प्रणाली पर काम किया जाएगा. 10वीं की तरह ही 12वीं के लिए भी ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया तैयार किया जाएगा.
मार्क्स देने का फॉर्मूला
शिक्षा विशेषज्ञों और हितधारकों का मानना है कि केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सामने अब 12वीं में मार्क्स देने का फॉर्मूला (Marking System for 12th Students) तैयार करना एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि छात्र 12वीं की मार्कशीट के आधार पर किसी कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं.
सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन ने बताया मूल्यांकन का तरीका
सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने बताया कि कोरोना काल में परीक्षाओं के मूल्यांकन का सही तरीका निकालना बेहद जरूरी है.
अशोक गांगुली बताते हैं, “केवल प्रीबोर्ड के आधार पर परीक्षा के नतीजे घोषित करेंगे तो वो सही मूल्यांकन नहीं होगा. इसमें कई रास्तों और संयोजनों पर काम करना पड़ेगा. इंटरनल असेस्मेंट के एक से ज़्यादा आधार हो सकते हैं.
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स्टूडेंट्स के ग्यारहवीं कक्षा के जो नतीजे आए हैं उसके कुछ प्रतिशत नंबर लिए जा सकते हैं.
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12वीं क्लास में कुछ प्रीबोर्ड परीक्षाएं दी गई हैं उससे कुछ प्रतिशत ले सकते हैं.
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तीसरा ये कि बच्चों ने जो छमाई परीक्षाएं यूनिट टेस्ट दिया होगा, उन्हें आधार बिंदू बनाया जा सकता है. इंटरनल असेस्मेंट के लिए चार-पांच टूल्स का इस्तेमाल करना पड़ेगा.
कॉलेज में एडमिशन को लेकर अशोक गांगुली का मानना है कि यहां भी एक से ज़्यादा टूल्स को आधार बनाना होगा. वह कहते हैं कि इस बार बच्चों को छांटने की बजाए चयन का तरीक़ा अपनाएं. ऐसा ना होने पर मेधावी बच्चों को कठिनाई हो सकती है.
Posted By: Shaurya Punj