परीक्षाओं का सीजन है. अभी सीबीएसई, आईसीएसई तथा विभिन्न स्टेट बोर्ड की 10वीं व 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षाएं जैसे जेईई मेन (सेशन-2), जेईई एडवांसड तथा नीट-यूजी भी लाइन में हैं.
आमतौर पर ऐसे समय में विद्यार्थी अत्याधिक तनाव में रहते हैं. केवल विद्यार्थी ही नहीं, बल्कि उनके अभिभावक भी अत्यधिक तनाव में रहते हैं. दरअसल परीक्षाओं के दौरान अभिभावकों पर सोसायटी का तथा विद्यार्थियों पर अभिभावकों का साइकलोजिकल दबाव रहता है. इसका एक कारण यह है कि बोर्ड व प्रतियोगिता परीक्षाओं के रिजल्ट को सोसायटी में माईलस्टोन के तौर पर देखा जाता है. इसलिए परीक्षाओं के रिजल्ट को लेकर विद्यार्थियों पर अत्यधिक दबाव बना रहता है. ऐसे में कई बार विद्यार्थी परीक्षा से पहले अपना आत्मविश्वास खोने लगते हैं.
विद्यार्थियों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ने लगता है. ऐसे में विद्यार्थी क्या रणनीति अपनाएं जिससे कम से कम तनाव हो, इसके टिप्स दे रहें हैं मेंटर्स एडुसर्व के निदेशक एवं फ़िज़िक्स गुरू, आनंद कुमार जायसवाल.
कुछ हद तक स्ट्रेस बुरी चीज़ नहीं है. एक लेवल तक होने वाला स्ट्रेस हमें कंपीटिटिव बनाता है तथा अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरित करता है. लेकिन अगर विद्यार्थी ज़रूरत से ज़्यादा स्ट्रेस लेंगे तो इससे कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियां पैदा होने लगती हैं. परीक्षा से कुछ दिन पहले मूड स्विंग होना और सिर दर्द कॉमन चीज है. कई विद्यार्थी बेचैनी और एनर्जी लेवल कम होने की शिकायत भी करते हैं. कई विद्यार्थी ओवर इटिंग करने लगते हैं, तो कुछ डॉयट स्किप करने लगते हैं. कई विद्यार्थी तो आत्म संदेह में फंस जाते हैं और उन्हें फेल होने का डर सताने लगता है. लेकिन परीक्षा से पहले कुछ बातों पर ध्यान देने से इन परेशानियों से बचा जा सकता है.
1. टाईम टेबल बनाएं और उसे स्ट्रिक्टली फॉलो करें.
2. सुबह समय पर उठें और रात में समय पर सोएं.
3. पर्याप्त नींद लें.
4. हेल्दी डाइट लें जंक फूड को अवॉइड करें.
5. पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में छोटे ब्रेक लें.
6. कोई विषय कम पसंद है या मुश्किल लगता है तो उस पर ज़्यादा मेहनत करें.
परीक्षा से एक दिन पहले इन बातों का रखें ख़याल:
1. एक रात पहले ज़रूरी चीज़ें रख लें.
2. सेंटर तक पहुंचने की प्लानिंग रखें.
3. खाली पेट या ज़्यादा भरे पेट एग्जाम सेंटर न जाएं.
4. ख़ुद को कंट्रोल में रखें.
5. पैनिक न हों.
6. बेचैनी ज़्यादा महसूस हो रही है तो लंबी और गहरी सांस लें.
7. पेपर हाथ में लेते ही बेचैन न हों.
रिटेन हैबिट एक ऐसी हैबिट है जिसे मैं हर विद्यार्थी को अपनाने की सलाह देता हूं. इसे अपनाकर आधे से ज़्यादा स्ट्रेस कम किया जा सकता है. दरअसल हम में से ज़्यादा तर लोग 90 प्रतिशत बातें एक दिन के अंदर भूल जाते हैं. भूल जाना तो विद्यार्थियों की सब से बड़ी समस्या है. ऐसे में विद्यार्थी अगर हर एक विषय को लिख-लिख कर याद करने की आदत डाले तो लिखने के दौरान आधी से ज़्यादा बातें रिकॉल हो जाएंगी और परीक्षा केंद्र में अगर भूल भी जाएं तो लिखते ही बाकी के प्वाइंट्स याद आने लगेंगे. मैं विद्यार्थियों को कहता हूं कि अपने विषय से संबंधित शार्ट् नोट्स बनाएं बिलकुल फ्लैश कार्ड्स की तरह. विषय का छोटे-छोटे पेपर्स पर आसान भाषा में नोट्स बना लें और घूमते-फिरते उसे याद करें. इससे याद करना बोझ नहीं महसूस होगा बल्कि आसानी से चीज़ें याद हो जाएंगी. अगर नोट्स तैयार कर रहे हैं तो हेडिंग और सब हेडिंग का ख़ास ख़याल रखें. हाइ लाइटर्स और चार्ट्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर लगता है कि कोई चीज़ भूल जाएंगे तो उसे रेड कलर से हाइलाइट कर लें. यूं भी विज़ुअल का इंपैक्ट बहुत ज़्यादा होता है. इस तरह से चीजें जल्दी रिकॉल होती हैं.