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Civil Service re-examination 2022:यूपीएससी ने अतिरिक्त प्रयास की मांग वाली याचिका के विरोध में कही ये बात

Civil Service re-examination: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा मेन्स परीक्षा में शामिल नहीं हो सकने वाले उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त प्रयास की मांग वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यदि आयोग पुन: परीक्षा का प्रावधान करता है, तो इसका शेड्यूल पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2022 6:00 PM

Civil Service re-examination: यूपीएससी ने अतिरिक्त प्रयास की मांग वाली याचिका का विरोध किया है और कहा है कि याचिका में कोई दम नहीं है. यूपीएससी ने कहा कि यदि आयोग पुन: परीक्षा का प्रावधान करता है, तो इसका अन्य चल रही परीक्षाओं के साथ-साथ अन्य परीक्षाओं के कार्यक्रम पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा.

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा मेन्स परीक्षा में शामिल नहीं होने वाले उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त प्रयास की मांग करने वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यदि आयोग पुन: परीक्षा का प्रावधान करता है, तो इसका शेड्यूल पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. साथ ही इसका असर अन्य चल रही परीक्षाओं पर भी पड़ सकता है.

याचिका तीन यूपीएससी उम्मीदवारों द्वारा अधिवक्ता शशांक सिंह के माध्यम से दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने यूपीएससी को अतिरिक्त/अतिरिक्त प्रयास का लाभ देने के लिए उचित निर्देश जारी करने और याचिकाकर्ता को बाकी पेपरों में उपस्थित होने के लिए कुछ व्यवस्था करने का आग्रह किया है जो याचिकाकर्ता सिविल सेवा मेन्स परीक्षा 2021 के परिणाम के प्रकाशन से पहले नहीं दे सके.

याचिकाकर्ताओं ने कही ये बात

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे यूपीएससी के उम्मीदवार हैं जिन्होंने यूपीएससी-2021 प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली है और वे यूपीएससी मुख्य परीक्षा में बैठने के हकदार हैं जो 7 जनवरी से 16 जनवरी 2022 तक निर्धारित की गई थी. याचिकाकर्ता यूपीएससी मेन्स परीक्षा को कोविड पॉजिटिव होने के कारण नहीं दे सके और सरकार के सख्त संगरोध दिशानिर्देशों के तहत लगाए गए प्रतिबंधों के कारण. साथ ही, यूपीएससी की किसी भी प्रकार की नीति का अभाव था जो ऐसे याचिकाकर्ताओं के लिए व्यवस्था प्रदान कर सके जो मुख्य परीक्षा की अवधि के दौरान या उससे पहले कोविड पॉजिटिव थे.

यूपीएससी ने कही ये बात

यूपीएससी ने यह भी कहा कि इस तरह के अनुरोधों को समायोजित करने से अराजक स्थिति पैदा हो जाएगी जहां कोई भी परीक्षा समय पर पूरी नहीं हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में यूपीएससी ने अतिरिक्त प्रयास की मांग वाली याचिका का विरोध किया और कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है.

यूपीएससी ने कहा कि आयु में छूट और सिविल सेवा परीक्षा में प्रतिपूरक/ अतिरिक्त प्रयास के संबंध में कोई भी निर्णय एक ‘नीतिगत मामला’ है जो कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के अंतर्गत आता है. आयोग ने कहा, “आयोग आमतौर पर एक वर्ष के दौरान कई भर्ती परीक्षाओं के अलावा 13 परीक्षाएं आयोजित करता है. इन परीक्षाओं में, यदि कोई उम्मीदवार किसी भी बीमारी/दुर्घटना सहित किसी भी कारण से परीक्षा में शामिल होने में विफल रहता है, तो फिर से परीक्षा आयोजित करने करने का कोई प्रावधान नहीं है.”

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