कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) को लेकर एनआरए ने बड़ा ऐलान किया है. एनआरए के आने के बाद अब साल में दो बार कैट का आयोजन किया जाएगा. बता दें कि अभी तक कई सरकारी निकाय जैसे रेलवे भर्ती बोर्ड, कर्मचारी चयन आयोग, बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान, संघ लोक सेवा आयोग तथा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा.
सीइटी पास करनेवाले अभ्यर्थी अगले तीन वर्षों तक केंद्र सरकार की द्वितीयक स्तर की परीक्षाओं में आवेदन कर सकते हैं. इस परीक्षा में अधिकतम आयु सीमा नहीं होगी. एनआरए के आने से अब केंद्र सरकार की भर्ती प्रक्रिया में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग देखने को मिलेगा.
अब जिले स्तर पर होगा एगजाम– बताया जा रहा है कि देश के अधिक से अधिक जिलों में कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट के आयोजन से सुदूर इलाकों में रहनेवाले अभ्यर्थियों की मुश्किलें कुछ कम हो जायेंगी. खर्च एवं सुरक्षा के लिहाज से भी यह अभ्यर्थियों के लिए बहुत हितकर साबित होगा. इस तरह ग्रामीणों का भी केंद्र सरकार की नौकरियों में प्रतिनिधित्व बढ़ेगा. नौकरी के अवसरों को लोगों के करीब ले जाने वाला यह कदम, एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा.
महिलाओं के लिए सुविधा– कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट के आयोजन से महिला अभ्यर्थियों को भी बहुत फायदा होगा. अभी बहुत सी महिलाएं, परीक्षा केंद्रों की दूरी तथा कई अन्य आर्थिक कारणों के कारण बहुत सी परीक्षाओं में नहीं बैठ पाती हैं. लेकिन सीइटी के आयोजन वे एकसाथ कई परीक्षाओं में बैठने की पात्रता हासिल कर सकेंगी. सीइटी के आयोजन के बाद यह आशा की जा सकती है कि सरकारी नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी.
कई भाषाओं में होगी परीक्षा -सीईटी के परीक्षा का आयोजन कई भाषाओं में किया जायेगा. इससे देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों को परीक्षा देने में सुविधा होगी और उन्हें चयनित होने का समान अवसर मिलेगा. वहीं कैट का स्कोर तीन वर्षों तक वैध रहेगा. अभी इस स्कोर का प्रयोग आरआरबी, एसएससी तथा आइबीपीएस जैसी प्रमुख एजेंसियां ही करेंगी.
हालांकि, कुछ समय के बाद यह उम्मीद की जा सकती है कि कई अन्य सरकारी एजेंसियां भी कैट को अपनायेंगी. सार्वजनिक क्षेत्र के अलावा निजी डोमेन की एजेंसियां भी सीइटी को चुन सकती हैं. इस प्रकार से ऐसे संगठनों में परीक्षा के आयोजन में होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है.
क्यों उठाया जा रहा ये कदम– सीईटी के एग्जाम अवधि में बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण छात्रों को सहुलियत देने को माना जा रहा है. वहीं कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट के आ जाने से भर्ती एजेंसियों पर दबाव कुछ कम हो जायेगा. एक परीक्षा कम हो जाने के कारण एजेंसियों का काफी समय बचेगा तथा अभ्यर्थियों को भी लाभ मिलेगा.
Posted By : Avinish Kumar Mishra