e-learning courses: मौजूदा दौर में कंपनियां बहाली के दौरान ऐसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता देना पसंद करती हैं, जो शैक्षणिक ज्ञान के साथ काम से संबंधित स्किल्स भी रखते हैं. ऐसे में युवाओं के बीच स्किल डेवलपमेंट के लिए इ-लर्निंग बेहतरीन प्लेटफॉर्म बन कर उभरा है. ये प्लेटफॉर्म खासतौर से उम्मीदवार के डोमेन और सॉफ्ट स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करते हैं, ताकि उम्मीदवार इंडस्ट्री की मांग से अनुसार खुद में स्किल्स डेवलप कर पसंदीदा नौकरी से जुड़ने की ख्वाहिश को पूरा कर सके.
ऐसे कई स्किल्स हैं, जिन्हें जॉब प्रोफाइल के अनुसार ऑनलाइन लर्निंग के माध्यम से निखारा जा सकता है. ऐसे में कई युवा वेब डेवलपमेंट, कोर जावा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी), एंगुलर, डिजिटल मार्केटिंग आदि की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं. वेब-डेवलपर बनने के इच्छुक युवा या वे उम्मीदवार, जो एचटीएमएल, सीएसएस, बूटस्ट्रैप, पीएचपी, माइएसक्यूल आदि स्किल्स डेवलप करना चाहते हैं, वे इ-लर्निंग के माध्यम से घर बैठे ही इन्हें सीख सकते हैं. इसके अतिरिक्त ऐसे कई स्किल हैं, जिन्हें जॉब प्रोफाइल एवं उम्मीदवार की रुचि के अनुसार ऑनलाइन लर्निंग के जरिये निखारा जा सकता है.
सॉफ्ट स्किल्स में नॉन-टेक्निकल स्किल्स शामिल हैं, जो आपके टेक्निकल कौशल को सहयोग प्रदान करते हैं. कंपनी में आपकी अलग पहचान बनाने में सॉफ्ट स्किल्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कंपनी द्वारा आपके सॉफ्ट स्किल्स का परीक्षण इंटरव्यू के समय से ही किया जाने लगता है. नियोक्ता निरंतर ऐसे उम्मीदवारों की खोज में रहते हैं, जो प्रभावी संचार, रचनात्मकता, अनुकूलनशीलता, सहानुभूति, सीखने की इच्छा, प्रबंधन, टीमवर्क जैसे स्किल्स के धनी होते हैं. ऐसे में प्रतिष्ठित नौकरी से जुड़ने का मौका तलाश रहे युवा ऑनलाइन लर्निंग के माध्यम से बिजनेस कम्युनिकेशन स्किल, कम्युनिकेशन एवं मैनेजमेंट जैसे स्किल्स को निखार कर इंडस्ट्री के अनुसार खुद को तैयार कर सकते हैं.
ऑनलाइन लर्निंग अपने लर्नर्स को मनमुताबिक सीखने का मौका देती है. क्योंकि इस माध्यम से लर्नर्स को न क्लासरूम की चार दीवारों के अंदर बैठना होता है, न ही उम्मीदवारों को निर्धारित समय पर पढ़ने की पाबंदी होती है. ऐसे में ऑनलाइन लर्निंग करनेवाले युवाओं में टाइम मैनेजमेंट और नियमित पढ़ाई करने का गुण विकसित होता है. इ-लर्निंग में किसी ट्रेनिंग प्रोग्राम को पूरा करने के लिए चार से छह सप्ताह का समय निर्धारित होता है. वे उम्मीदवार, जो गंभीरता के साथ इस माध्यम से पढ़ाई करते हैं, वे प्रतिदिन दो घंटे अपने ट्रेनिंग प्रोग्राम को देते हैं. ऐसे छात्रों में टाइम मैनेजमेंट, मल्टीटास्किंग, सेल्फ मोटिवेशन जैसे गुण विकसित होते हैं. खुद में ओनरशिप का गुण विकसित करनेवाले इन उम्मीदवारों के लिए किसी भी संस्थान में अपनी अगल पहचान बनाना आसान हो जाता है.
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इन दिनों अधिकतर ऑनलाइन प्रोग्राम्स में असाइनमेंट, असेसमेंट टेस्ट, कोड चैलेंजेस, क्विज व एक्सरसाइज को शामिल किया जाता है, जिससे समय-समय पर उम्मीदवार के ज्ञान का परीक्षण किया जा सके. इनका उद्देश्य उम्मीदवार में किसी भी अवधारणा की व्यावहारिक समझ विकसित करना है, क्योंकि उम्मीदवार को अपनी नौकरी के दौरान उन पर अमल करना होता है. इस व्यावहारिक ज्ञान को निखारने के लिए ऑनलाइन लर्निंग प्रोग्राम के अंत में इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स को शामिल किया जा रहा है, जिससे व्यावहारिक कौशल को निखार कर उम्मीदवार को किसी भी उद्योग के भीतर बेहतर पेशेवर के रूप में तैयार किया जा सके.