Earth day 2023: पृथ्वी से है प्यार तो चुनें ये करियर, सॉइल साइंस, फॉरेस्ट्री समेत हैं कई ऑप्शन

Earth day 2023: पर्यावरण को संरक्षित करने के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ इससे जुड़े करियर विकल्पों में तेजी से इजाफा हुआ है. आप अगर धरती और उसके पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम करना चाहते हैं, तो इसे करियर का रूप दे सकते हैं. जानें विभिन्न विकल्पों के बारे में.

By Preeti Singh Parihar | April 21, 2023 2:11 PM

Earth day 2023: दुनिया जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन का सामना कर रही है, वैसे-वैसे पृथ्वी को बचाने के लिए सजग भी हो रही है. पर्यावरण को संरक्षित करने के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ इससे जुड़े करियर विकल्पों में तेजी से इजाफा हुआ है. आप अगर धरती और उसके पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम करना चाहते हैं, तो इसे करियर का रूप दे सकते हैं. पृथ्वी दिवस से ठीक पहले जानें पांच ऐसे करियर क्षेत्रों के बारे में, जो हमारी पृथ्वी को बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं…

सोलर एनर्जी

तकनीक बेहतर होने से सौर ऊर्जा की क्षमता एवं कुल उत्पादन में हिस्सेदारी बढ़ रही है. भारत इस दिशा में लगातार तेजी से काम कर रहा है. आप अगर सोलर एनर्जी के पेशेवर के तौर पर काम करना चाहते हैं, तो आपको जानकर खुशी होगी कि इस क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ रही हैं और वेतन भी. सोलर पैनल इंस्टॉलेशन और सोलर इंजीनियरिंग दो सबसे लोकप्रिय सोलर जॉब हैं. सोलर पैनल इंस्टॉलेशन कोर्स आपको सिखाते हैं कि घरों और व्यवसायों पर सोलर पैनल कैसे इंस्टॉल करें. सोलर इंजीनियरिंग प्रोग्राम में सिखाया जाता है कि सोलर सिस्टम का डिजाइन और निर्माण कैसे करें.

कोर्स : पीजी डिप्लोमा इन सोलर रिन्यूबल एनर्जी, डिप्लोमा इन सोलर टेक्नोलॉजी, सोलर इंजीनियर सर्टिफिकेट कोर्स, सोलर बिजनेस एंटरप्रेन्योर कोर्स, सोलर टेक्नीशियन, बिजनेस एसोसिएट प्रोग्राम, सोलर पावर सिस्टम में ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स, सोलर पैनल इंस्टॉलेशन कोर्स में से कोई एक कोर्स कर आप इस क्षेत्र में दाखिल हो सकते हैं.

संस्थान : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, मुंबई. इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, गुरुग्राम. नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट. गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, गांधी नगर. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कालीकट.

जॉब : आप इस क्षेत्र में मैनेजर-परचेज (सोलर प्रोडक्ट), सोलर इंजीनियर, टेक्निकल हेड सोलर, सोलर प्रोजेक्ट डिजाइन इंजीनियर, सोलर प्रोजेक्ट मैनेजर, सोलर प्लांट टेक्नीशियन, सोलर पावर प्लांट मैनेजर आदि के तौर पर करियर बना सकते हैं.

सॉइल साइंस

मृदा प्रबंधन को लेकर पेश आ रही चुनौतियों से निपटने में सॉइल साइंस यानी मृदा विज्ञान अहम भूमिका निभा रहा है. मृदा को पौधों के पोषक तत्वों का भंडार भी कहा गया है. मृदा में अनन्त सूक्ष्मजीव एवं सजीव प्राणी निवास करते हैं. मृदा विज्ञान प्रकृति में मृदा की उत्पत्ति, निर्माण, विकास तथा भौगोलिक वितरण के नियमों की जानकारी प्रदान करता है. आप इस विषय के अध्ययन के साथ सॉइल साइंस में एक बेहतरीन करियर भी बना सकते हैं.

कोर्स : बीएससी (सॉइल साइंस/ एग्रीकल्चर) के साथ इस क्षेत्र में दाखिल हो सकते हैं. एग्रोनॉमी/ एग्रीकल्चरल केमिस्ट्री/एग्रीकल्चर एक्सटेंशन/ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स/ एग्रीकल्चरल बॉटनी/ फॉरेस्ट्री या एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री लेनेवाले भी सॉइल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल कर पीएचडी एवं शोध की राह में बढ़ सकते हैं.

संस्थान : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल एंड वाटर कंजर्वेशन, देहरादून. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल साइंस, भोपाल. कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता.

जॉब : सॉइल साइंटिस्ट, सॉइल कंजर्वेशनिस्ट, एनालिस्ट या सॉइल सर्वेक्षक और डेवलपमेंट कंसल्टेंट, इकोलॉजिस्ट, सॉइल कंजर्वेशन टेक्नीशियन, सॉइल लेबोरेटरी टेक्नीशियन आदि के तौर पर भविष्य बना सकते हैं. कॉलेज व विश्वविद्यालय में अध्यापन करने का भी विकल्प है. सॉइल एंड फर्टिलाइजर टेस्टिंग लेबोरेटरी, मृदा उत्पादकता, एग्रीकल्चर आदि क्षेत्रों में काम कर सकते हैं.

फॉरेस्ट्री

फॉरेस्ट्री वनों के विस्तार, वन उत्पादकता को बढ़ाने एवं पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के विकास पर केंद्रित कार्यक्षेत्र है. फॉरेस्ट्री में प्लांटेशन फॉरेस्ट्री, एग्रो-फॉरेस्ट्री, इकोलॉजी, बायोडायवर्सिटी, फॉरेस्ट हाइड्रोलॉजी, वुड साइंस एवं टेक्नोलॉजी, क्लाइमेट चेंज, वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन आदि का अध्ययन कराया जाता है.

कोर्स : विज्ञान विषयों में 12वीं पास फॉरेस्ट्री में बीएससी एवं बीएससी (ऑनर्स) और उसके बाद एमएससी कर सकते हैं. आगे पीएचडी कर रिसर्च और अध्यापन कर सकते हैं. बीएससी के बाद वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, वाइल्डलाइफ साइंस, एग्रोफॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स, ट्री इंप्रूवमेंट में एमएससी या फॉरेस्ट मैनेजमेंट में पीजीडी करने का विकल्प है.

संस्थान : भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल. वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून. डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन. कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कोटा.

जॉब : फॉरेस्ट रेंजर, फॉरेस्ट ऑफिसर, नेचुरल रिसोर्स टेक्नीशियन आदि के रूप में आगे बढ़ सकते हैं. बीएससी फॉरेस्ट्री के बाद भारतीय वन सेवा (आइएफएस) परीक्षा में सफलता हासिल कर भारतीय वन अधिकारी बन सकते हैं.

हाइड्रोलॉजी

हाइड्रोलॉजी को सरल शब्दों में जल विज्ञान या वॉटर साइंस कहते हैं. इसमें धरती की सतह पर मौजूद पानी के मूवमेंट और उसकी गुणवत्ता का अध्ययन किया जाता है. इसके लिए वाटर रिसोर्सेज से सैंपल्स कलेक्ट कर उसे एनालाइज किया जाता है. इससे प्राप्त डाटा के आधार पर रिपोर्ट्स तैयार की जाती है, जिसका उपयोग जल प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण में किया जाता है. यह काम करते हैं हाइड्रोलॉजिस्ट. इस वक्त विश्व में 17 ऐसे देश हैं, जो पानी के संकट से जूझ रहे हैं, जिनमें भारत भी शामिल है. ऐसे में हाइड्रोलॉजिस्ट की जिम्मेदारी में इजाफा हुआ है और इनकी मांग भी बढ़ी है.

कोर्स : जियोग्राफी में बीए/ बीएससी के बाद हाइड्रोलॉजी में एमएससी या सिविल/ एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग में बीटेक के बाद हाइड्रोलॉजी में एमटेक कर इस करियर में आगे बढ़ सकते हैं. वाटर मैनेजमेंट या जियोग्राफी में एमएससी करके भी इस क्षेत्र में काम कर सकते हैं.

संस्थान : आइआइटी रुड़की, खड़गपुर. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च इस विषय की पढ़ाई कराने वाले प्रमुख संस्थान हैं.

जॉब : हाइड्रोलॉजिस्ट के लिए सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करने के अच्छे मौके मौजूद हैं. इस विषय के साथ आप ग्राउंड वाटर हाइड्रोलॉजिस्ट, मरीन हाइड्रोलॉजिस्ट, सरफेस वाटर हाइड्रोलॉजिस्ट आदि के तौर पर आगे बढ़ सकते हैं.

एनवायर्नमेंटल साइंस

पर्यावरण विज्ञान पारिस्थितिकी, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, मृदा विज्ञान, भू विज्ञान, वायुमंडल विज्ञान एवं भूगोल से मिलकर बना है. पर्यावरण विज्ञान में इन विषयों के अध्ययन के साथ पर्यावरण की समस्याओं का समाधान तलाशने का प्रयास भी शामिल है. इस तरह इसमें एक व्यापक कार्य क्षेत्र है.

कोर्स : एनवायर्नमेंटल साइंस में बीएससी कर सकते हैं. इस विषय में एमए, एमएससी, एमटेक व पीएचडी करके आगे का आधार बना सकते हैं.

संस्थान : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून. बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, मुंबई. जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, नयी दिल्ली. दिल्ली विश्वविद्यालय. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय. जामिया मिल्लिया इस्लामिया.

जॉब : पर्यावरणविदों के लिए कई क्षेत्रों में नौकरी के अवसर मौजूद हैं. पर्यावरण वैज्ञानिक, पर्यावरण सलाहकार, प्रकृति संरक्षण अधिकारी, पर्यावरण कार्यकर्ता, सस्टेनेबिलिटी कंसल्टेंट, वाटर क्वालिटी साइंटिस्ट, वेस्ट मैनेजमेंट ऑफिसर आदि के तौर पर काम कर सकते हैं. एक पर्यावरण वैज्ञानिक होने के नाते विभिन्न क्षेत्रों, जैसे एग्रीकल्चर, वाटर विंडमिल, इकोलॉजी, प्राणी विज्ञान, जलवायु विज्ञान आदि पर काम कर अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं.

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