केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीबीएसई के पाठ्यक्रम से कुछ टॉपिक्स हटाये जाने को लेकर मनगढ़ंत टिप्पणियां कर गलत विमर्श का प्रसार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन टिप्पणियों के साथ समस्या यह है कि वे गलत विमर्श को फैलाने के लिए चुनिंदा विषयों को जोड़कर सनसनीखेज बना रहे हैं. पोखरियाल ने बताया, ‘राष्ट्रवाद, स्थानीय सरकार, संघवाद आदि तीन-चार टॉपिक्स को छोड़े जाने का गलत मतलब निकाल कर मनगढंत विमर्श बनाना आसान है, विभिन्न विषयों को व्यापक तौर पर देखा जाए तो दिखाई देगा कि सभी विषयों में कुछ चीजों को छोड़ा गया है.’
मंत्री का यह बयान कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पैदा हुए हालात के चलते सीबीएसई के सिलेबस को कम करने संबंधी विवाद के बीच आया है. विपक्ष का आरोप है कि एक खास तरह की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए भारत के लोकतंत्र और बहुलतावाद संबंधी पाठों को हटाया जा रहा है. निशंक ने इस संबंध में कई ट्वीट किए.
उन्होंने ये भी कहा,‘‘ जैसा कि सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि स्कूलों को एनसीईआरटी वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर का पालन करने की सलाह दी गई है, और उक्त सभी टॉपिक्स को उसके तहत लाया गया है. कोविड-19 महामारी के कारण उठाया गया यह एक बार का कदम है.’’
As @cbseindia29 has clarified, schools have been advised to
follow the #NCERT Alternate Academic Calendar, and all the topics mentioned have been covered under the same Academic Calendar. The exclusions are merely a 1-time measure for exams, due to the #COVID19 pandemic.— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 9, 2020
उन्होंने कहा,‘‘ इसका एकमात्र उद्देश्य सिलेबस को 30 प्रतिशत तक कम करके छात्रों के तनाव को कम करना है. यह कदम हमारे ‘‘सिलेबसफॉरस्टूडेंट्स 2020’’ अभियान के माध्यम से शिक्षाविदों से प्राप्त सुझावों पर विचार करके और विभिन्न विशेषज्ञों की सलाह और सिफारिशों पर उठाया गया है.’ शिक्षा मंत्री ने ‘‘शिक्षा को राजनीति से दूर ’’ रखने की भी अपील की.
The only aim is to relax the stress on students by reducing the syllabus by 30%. This exercise has been carried out following the advice & recommendations of various experts and considering the suggestions received from educationists through our #SyllabusForStudents2020 campaign.
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 9, 2020
उन्होंने कहा,‘‘राष्ट्रवाद, स्थानीय सरकार ,संघवाद आदि तीन-चार टॉपिक्स को छोड़े जाने का गलत मतलब निकाल कर मनगढंत विमर्श बनाना आसान है, विभिन्न विषयों को व्यापक तौर पर देखा जाए तो दिखाई देगा कि सभी विषयों में कुछ चीजों को छोड़ा गया है.’’ मंत्री ने दोहराया कि पाठ्यक्रम में टॉपिक्स को छोड़ना कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर उठाया गया कदम हैं.
While it is easy to misconstrue exclusion of 3-4 topics like nationalism, local government, federalism, etc. and build a concocted narrative, a wider perusal of different subjects will show that this exclusion is happening across subjects.
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 9, 2020
आपको बताते चलें वर्तमान में चल रहे कोविड-19 संकट के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने मुख्य विषयों को बरकरार रखते हुए स्कूल के पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत तक तर्कसंगत बनाने का निर्णय लिया है. शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को पाठ्यक्रम को संशोधित करने और कक्षा 9 से 12 वीं के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम भार को कम करने की सलाह दी थी. सीबीएसई (CBSE), राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड ने कहा कि कम किया गया पाठ्यक्रम नहीं होगा आंतरिक मूल्यांकन और वर्ष के अंत बोर्ड परीक्षा के लिए विषयों का हिस्सा.
एचआरडी मंत्री ने ट्वीट कर कहा था, ‘सीबीएसई ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान शैक्षणिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए कक्षा 9 से 12 के लिए 30 प्रतिशत तक सिलेबस को तर्कसंगत बनाया है.’
Considering the importance of learning achievement, it has been decided to rationalize CBSE syllabus up to 30% by retaining the core concepts: Dr. Ramesh Pokhriyal, Union Minister for Human Resource Development pic.twitter.com/CBCHsW5o9F
— ANI (@ANI) July 7, 2020