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महात्मा गांधी पुण्यतिथि: हत्या से पहले गांधी पर किए जा चुके थे 5 हमले, जानें इन हमलों से कैसे बचे बापू

Mahatma Gandhi death anniversary 2022: 30 जनवरी, 1948 को अंतिम घातक आघात झेलने से पहले, गांधीजी की हत्या के पांच असफल प्रयास भी किए जा चुके थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2022 5:46 AM

Mahatma Gandhi death anniversary 2022: ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को 78 वर्ष की आयु में नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या कर दी गई थी. हम इस महान नेता को उनकी 74वीं पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं. भारत हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को चिह्नित करता है. यह उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भी मनाया जाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन लगा दिया.

अहिंसा का परचम लहराया

गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर, 1869 को मोहनदास करमचंद गांधी के रूप में जन्मे, महात्मा गांधी ने भारत लौटने से पहले अपनी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में प्राप्त की और ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया. उन्होंने भारत में ‘अहिंसा’ परचम लहराया और अहिंसक विरोधों के साथ शक्तिशाली अंग्रेजों का मुकाबला किया.

महात्मा गांधी का व्यक्तित्व था असाधारण

उनके आदर्शों का दुनिया भर ने लोहा माना और अपनाया और उन्हें ‘living the right way’ टेक्स्टबुक के रूप में उद्धृत किया गया. प्यार से ‘बापू’ कहे जाने वाले, महात्मा गांधा सत्य, अहिंसा, सादगी के असाधारण व्यक्तित्व थे.

गोडसे ने आरोप लगाया कि गांधी जी विभाजन के लिए जिम्मेदार थे

30 जनवरी, 1948 को अंतिम घातक आघात झेलने से पहले, गांधीजी की पहले ही हत्या के पांच असफल प्रयास किए जा चुके थे. दिल्ली के बिड़ला हाउस में शाम की प्रार्थना सभा से उठने के दौरान गांधी की हत्या कर दी गई थी. गोडसे ने गांधी के सीने में तीन गोलियां मारी और उनकी हत्या कर दी. इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. बाद में गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. गोडसे ने आरोप लगाया कि गांधी देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार थे.

गांधी जी की हत्या के उद्देश्य से किए गए पांच हमलों के बारे में जानें

1. 25 जून, 1934

पुणे में था जब गांधी जी भाषण देने आए थे, साजिशकर्ताओं ने बापू को मान कर एक कार पर बमबारी की थी.

2. जुलाई 1944

गांधी जी के विश्राम के लिए पंचगनी जाना निर्धारित किया गया था, और यहीं पर प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने गांधी विरोधी नारे लगाना शुरू कर दिए थे. गांधी जी ने समूह के नेता नाथूराम को चर्चा के लिए आमंत्रित किया जिसे बाद में अस्वीकार कर दिया गया. बाद में, प्रार्थना सभा के दौरान, गोडसे को एक खंजर के साथ गांधीजी की ओर भागते देखा गया, लेकिन सौभाग्य से सतारा के मणिशंकर पुरोहित और भिलारे गुरुजी ने उनका सामना किया.

3. सितंबर 1944

जब महात्मा गांधी ने सेवाग्राम से बॉम्बे की यात्रा की, जहां मोहम्मद अली जिन्ना के साथ बातचीत शुरू होनी थी, नाथूराम गोडसे ने अपने गिरोह के साथ, गांधी को बॉम्बे छोड़ने से रोकने के लिए आश्रम में भीड़ जमा कर दी. बाद की जांच के दौरान, डॉ सुशीला नैयर ने खुलासा किया कि नाथूराम गोडसे को आश्रम में लोगों ने गांधी तक पहुंचने से रोक दिया था और उनके पास एक खंजर पाया गया था.

4. जून 1946

गांधी जी को मारने का एक और प्रयास तब रचा गया जब वे गांधी स्पेशल ट्रेन से पुणे की यात्रा कर रहे थे. ट्रेन पटरियों पर रखे पत्थरों में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और चालक ने अपने कौशल से लोगों की जान बचा ली थी. हालांकि ट्रेन नेरुल और कर्जत स्टेशन के बीच दुर्घटना का शिकार हुई थी जिसमें गांधी जी बच गए थे.

5. 20 जनवरी, 1948

बिड़ला भवन में एक बैठक के दौरान ही बापू पर फिर से हमला करने की साजिश रची गई थी. मदनलाल पाहवा, नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे, विष्णु करकरे, दिगंबर बैज, गोपाल गोडसे और शंकर किस्तैया ने हत्या को अंजाम देने के लिए बैठक में शामिल होने की योजना बनाई थी. उन्हें पोडियम पर बम फेंकना था और फिर गोली मारनी थी. लेकिन सौभाग्य से, योजना काम नहीं आई क्योंकि मदनलाल को पकड़ लिया गया, और सुलोचना देवी द्वारा समय पर पहचान लिया गया.

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