नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) छात्रों को एमबीबीएस, बीडीएस, बीएससी नर्सिंग और आयुष जैसे विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला प्राप्त कर मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश का मौका देता है. लेकिन, राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाली इस पात्रता परीक्षा को पास कर पाना आसान नहीं. कड़ी मेहनत एवं मजबूत तैयारी के साथ ही छात्र नीट में सफल हो पाते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि जो छात्र इस परीक्षा में सफल नहीं हो पाते, उनका मेडिकल फील्ड में करियर बनाने का सफर खत्म हो जाता है. आज मेडिकल से जुड़े ऐसे कई करियर ऑप्शंस हैं, जिन्हें आप नीट परीक्षा पास किये बिना भी अपना सकते हैं. इस साल नीट यूजी परीक्षा में कुल 18,72,343 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था. इनमें से 17,64,571 छात्र परीक्षा में शामिल हुए और कुल 9,93,069 छात्र पास हुए हैं.
मेडिकल सेक्टर में फिजियोथेरेपिस्ट एक अहम भूमिका निभाते हैं. फिजियोथेरेपी या फिजिकल थेरेपी का उद्देश्य ऐसी समस्याओं या चोटों को ठीक करना है, जो किसी व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को सीमित करती हैं. फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलॉजी विषयों के साथ बारहवीं पास करनेवाला कोई भी छात्र फिजियोथेरेपी के स्नातक कोर्स में दाखिला ले सकता है. एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम पास करना होता है. अलग-अलग यूनिवर्सिटी अपने अनुसार एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन करती हैं. चार वर्षीय स्नातक कोर्स एवं छह माह की इंटर्नशिप पूरी करने के बाद आप विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्पोर्ट्स, मिलिट्री, एजुकेशन, रिसर्च आदि में करियर बना सकते हैं.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय इंस्टिट्यूट फॉर फिजिकली हैंडिकैप्ड, नयी दिल्ली. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च, पटना. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़. एसडीएम कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी, कर्नाटक आदि.
नीट के बिना बारहवीं के बाद मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने के लिए बीएससी बायोटेक्नोलॉजी या बीटेक इन बायोटेक्नोलॉजी अच्छे विकल्प हैं. ये कोर्स चार वर्ष की अवधि के होते हैं. कुछ संस्थान इन कोर्सेज में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से एडमिशन देते हैं, तो कुछ निजी मेडिकल संस्थान में सीधे प्रवेश ले सकते हैं. बायोटेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन करने के बाद आप पोस्ट ग्रेजुएशन व पीएचडी भी कर सकते हैं. एक बायोटेक्नोलॉजिस्ट के लिए हेल्थ केयर सेंटर, कृषि क्षेत्र, एनिमल हसबेंडरी, जेनेटिक इंजीनियरिंग, रिसर्च लैबोरेट्रीज, एकेडेमिक्स, फूड मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री, प्लांट रिसर्चर, रिसर्च साइंटिस्ट आदि क्षेत्रों में करियर के ढेरों अवसर हैं.
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी. दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी. वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआइटी).
साइंस स्ट्रीम से बारहवीं करनेवाले छात्रों को फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री करियर के कई विकल्प देती है. इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए बारहवीं के बाद फार्मा में दो साल का डिप्लोमा (डी-फार्मा) या चार साल का बैचलर डिग्री (बी-फार्मा) कोर्स करना होगा. पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए दो साल का एम-फार्मा कर सकते हैं. एम-फार्मा में फार्माकोग्नॉसी, फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग, बायो केमेस्ट्री, एमबीए जैसे स्पेशलाइजेशन मौजूद हैं. यहां आपके पास पीजी डिप्लोमा इन फार्मास्यूटिकल एवं हेल्थ केयर मार्केटिंग, डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग, एडवांस डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग एवं पीजी डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग जैसे कोर्स करने का विकल्प भी है.
मास्टर लेवल फार्मेसी प्रोग्राम में प्रवेश के लिए आपको राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जानेवाली प्रवेश परीक्षा ग्रेजुएट फार्मेसी एप्टीट्यूड टेस्ट (जीपैट) पास करनी होगी. फार्मा इंडस्ट्री में सरकारी विभागों से लेकर विश्वविद्यालयों, शिक्षण अस्पतालों, जांच और अनुसंधान संस्थान आदि में जॉब के मौके उपलब्ध हैं. ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन और सशस्त्र बल भी फार्मासिस्टों को जॉब का अवसर देते हैं. होम डिलीवरी के मौजूदा दौर में ई-ड्रग स्टोर्स भी लोकप्रिय हो रहे हैं, जहां जॉब के मौके सामने आ रहे हैं. इसके अलावा नयी दवाओं की खोज व विकास संबंधी ड्रग मैन्युफैक्चरिंग, फार्मासिस्ट, क्लीनिकल रिसर्च, क्वालिटी कंट्रोल, रिसर्च आदि के क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं.
इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई. बिहार कॉलेज ऑफ फार्मेसी. जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय, दिल्ली. बिट्स पिलानी, राजस्थान. जेएसएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी, तमिलनाडु.
साइकोलॉजी एक ऐसा विषय है, जिसके अंदर क्लीनिकल साइकोलॉजी, काउंसलिंग साइकोलॉजी, हेल्थ साइकोलॉजी, न्यूरो साइकोलॉजी, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी, एजुकेशनल साइकोलॉजी जैसी विभिन्न शाखाएं हैं. किसी भी विषय से बारहवीं के बाद साइकोलॉजी में बीए, बीए (ऑनर्स) कर इस करियर की ओर बढ़ सकते हैं. कुछ संस्थान साइकोलॉजी में बीएससी कोर्स भी संचालित करते हैं. इसके बाद एमए या एमएससी भी किया जा सकता है. साइकोलॉजी या इस विषय की किसी शाखा में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद आप साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर के तौर पर जॉब शुरू कर सकते हैं. इसमें स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस का विकल्प है. साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर के लिए सरकारी एवं प्राइवेट हॉस्पिटल, कॉलेज या स्कूल में जॉब के मौके होते हैं. राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास कर कॉलेज में बतौर शिक्षक करियर शुरू कर सकते हैं. इसके अलावा सामाजिक कल्याण संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, पुनर्वास केंद्र, जेलों, बच्चों/युवाओं के मार्गदर्शन केंद्रों, विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं संयुक्त राष्ट्र आदि में भी साइकोलॉजिस्ट की जरूरत होती है.
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइकोलॉजी एंड रिसर्च (आइआइपीआर), बेंगलुरु. लेडी श्री राम कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी. जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, नयी दिल्ली. कलकत्ता यूनिवर्सिटी. मुंबई यूनिवर्सिटी. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (निमहांस), बेंगलुरु. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी.
यह टेक्नीशियन सर्जरी के दौरान मरीज को अस्थाई रूप से अचेत करने का काम करते हैं, ताकि ऑपरेशन के समय मरीज हिले-डुले नहीं और उसे दर्द महसूस न हो. एनेस्थीसिया टेक्नीशियन का काम दिखने में भले ही आसान लगता हो, लेकिन यह बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण है. मरीज को एकदम सही मात्रा में दवा की डोज देना होता है. बारहवीं फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी के साथ पास होना चाहिए, जिसमें न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक हों. इसके बाद एनेस्थीसिया टेक प्रोग्राम में डिग्री या डिप्लोमा और एक वर्ष की क्लीनिकल इंटर्नशिप करना होगा.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ), दिल्ली. महात्मा गांधी मिशन इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ साइंस, मुंबई. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू), उत्तर प्रदेश. आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे.