नयी दिल्ली: अभ्यर्थियों के मन में ये सवाल जरूर होगा कि नीट परीक्षा में रैकिंग कैसे तय की जाती है. इस खबर में आपको पता चलेगा कि नीट परीक्षा में अभ्यर्थियों की रैंकिंग कैसे तय की जाती है. दरअसल, इस बार रैंकिंग प्रक्रिया में अहम बदलाव किया गया है. रैकिंग का निर्धारण परीक्षा में हासिल अंक, आरक्षण और निगेटिव मार्किंग के आधार किया जाता है.
जानें क्या हुआ है नया बदलाव
अब से नीट के स्कोरकार्ड में 720 अंकों में से परीक्षा में अभ्यर्थियों के ओवरऑल रॉ स्कोर भी होगा. इसके तहत प्रत्येक सही उत्तर के लिए 4 अंक जोड़ा जायेगा. वहीं प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1 अंक काटे भी जाएंगे. इसके बाद मार्क्स की गणना की जाती है.
अंत में जोड़ा जाता है 15 पर्सेंटाइल AIQ रैंक. ये रैंक उन छात्रों को दिया जाता है जो जरूरी न्यूनतम पर्सेंटाइल हासिल करते हैं. रैकिंग ओवरऑल पर्सेंटाइल स्कोर के आधार पर बनाई जाती है. यदि किसी का पर्सेंटाइल ज्यादा है तो मतलब है कि उसका रैंक हाई है.
इन आधारों पर होता है रैकिंग निर्धारण
बता दें कि रैंकिंग का निर्धारण किन-किन आधारों पर किया जाता है. यदि दो अभ्यर्थियों ने ओवरऑल समान अंक हासिल किए हैं तो देखा जाता है कि दोनों में से किसने बायोलॉजी में ज्यादा अंक हासिल किया है उसकी रैंकिंग पहले होती है. यदि अभ्यर्थियों का बायोलॉजी में भी समान अंक है तो केमिस्ट्री में हासिल अंक के आधार पर रैंकिंग तय की जाती है.
यदि केमिस्ट्री में भी दो अभ्यर्थियों ने समान अंक हासिल किया है तो ये देखा जाता है कि किसने सबसे कम गलतियां कीं. अगर मामला यहां भी टाई हो गया तो अभ्यर्थियों की उम्र के मुताबिक उनका रैंक निर्धारण किया जाता है. जिसकी उम्र ज्यादा होगी उसे रैंकिंग में वरीयता दी जाएगी.
Posted By- Suraj Thakur