NEET PG Counselling मामले में कल फिर होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानें आज की मुख्य बातें

NEET Counselling: नीट मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के बाद आगे की सुनवाई 6 जनवरी, गुरुवार को होगी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की बेंच ने आज NEET पोस्टग्रेजुएट (PG) पाठ्यक्रमों में प्रवेश से संबंधित मामले की सुनवाई की. जानें आज क्या-क्या हुआ.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2022 6:38 PM

नीट काउंसलिंग सीट कोटे में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर टकराव है. यह पूरा मामला राज्य सरकार के चिकित्सा संस्थानों में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) सीटों में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं से संबंधित है. जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई यह सुनवाई कल यानी 6 जनवरी को भी जारी रहेगी.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए 31 दिसंबर को केंद्र द्वारा दायर हलफनामे के माध्यम से कहा कि केंद्र ने फिलहाल प्रवेश के लिए मौजूदा ईडब्ल्यूएस मानदंडों को बनाए रखने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है.

तीन नहीं दो सदस्यीय पीठ ने की आज की सुनवाई

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि तीन जजों की बेंच ने मामले को आंशिक रूप से सुना था और पूछा कि क्या यह 2 जजों की बेंच याचिकाकर्ताओं की भी सुनवाई करेगी. तब न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि दो न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया गया था, क्योंकि सॉलिसिटर ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी. तीन न्यायाधीशों की पीठ उपलब्ध नहीं थी, इसलिए दो सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है.

ओबीसी आरक्षण को स्थगित नहीं किया जा सकता

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता श्याम दीवान का कहना है कि ईडब्ल्यूएस के अलावा, याचिकाकर्ताओं ने ओबीसी कोटे पर भी रोक लगाने की मांग की है. द्रमुक के वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण को स्थगित नहीं किया जा सकता है. वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने दलील दी कि सरकार के नवीनतम रुख के खिलाफ तर्क देने के लिए बहुत कुछ है. लेकिन अभी ओबीसी/ ईडब्ल्यूएस को अगले प्रवेश के लिए टालते हुए वर्तमान काउंसलिंग के लिए पुरानी प्रणाली के आधार पर किया जाए. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि संशोधन अधिसूचना जारी होने के बाद केंद्र ईडब्ल्यूएस के लिए 8 लाख की सीमा को सही ठहरा रहा है और हमें इस बारे में बहुत कुछ कहना है. दातार ने दलील दी कि पूरी काउंसलिंग ठप है लेकिन इस साल कम से कम पुरानी व्यवस्था के साथ काउंसलिंग तो चलने दें.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी डॉक्टरों की जरूरत है

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि काउंसलिंग अटकी हुई है और ग्रेजुएशन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक हमें डॉक्टरों की जरूरत है. अब हम लंबी बहस में नहीं जा सकते.

नीट पीजी छात्रों की तत्काल आवश्यकता का हवाला दिया

अधिवक्ता दीवान ने दलील रखते हुए कहा कि याचिका में नीट पीजी छात्रों की तत्काल आवश्यकता का हवाला दिया गया था, जहां केंद्र ने 27 प्रतिशत ओबीसी और 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस को अखिल भारतीय कोटा में लागू करने का फैसला किया था, जिसमें एससी और एसटी क्रमशः 15 और 7.5 प्रतिशत थे. दीवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अखिल भारतीय कोटा लागू किया गया था. इसमें कुल यूजी सीटों का 15 प्रतिशत और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध कुल यूजी सीटों का 50 प्रतिशत शामिल है.

8 लाख रुपये की आय सीमा का आधार पूरी तरह मनमाना

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दातार ने दलील दी कि 8 लाख रुपये की आय सीमा का आधार पूरी तरह मनमाना है. अगर किसी के पास FDS, प्रॉविडेंट फंड में निवेश करने के लिए पैसा है और शेयर बाजारों में कैपिटल गेन करता है, तो क्या उसे EWS कहा जा सकता है? इसके बाद अधिवक्ता दातार ने मामले में अदालत से अतिरिक्त समय मांगा. दूसरी ओर से अधिवक्ता पी विल्सन ने कोर्ट से गुजारिश की कि कृपया ओबीसी की भी आवाज सुनें. जिस पर सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है.

6 जनवरी को फिर होगी सुनवाई

आज केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे पर सभी पक्षों के तर्क-वितर्क के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुरुवार, 06 जनवरी, 2022 तक के लिए टाल दी गई है.

ये है मामला

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की बेंच ने आज NEET पोस्टग्रेजुएट (PG) पाठ्यक्रमों में प्रवेश से संबंधित मामले की सुनवाई शुरू की जो कल भी जारी रहेगा. यह मामला राज्य सरकार के चिकित्सा संस्थानों में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) सीटों में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं से संबंधित है.

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