RRC Group D Admit Card 2021: ग्रुप डी के पदों ऐसे डाउनलोड कर सकते हैं एडमिट कार्ड, जानें जॉब प्रोफाइल और सैलरी
RRC Group D Admit Card 2021, RRC Group D Job Profile, RRC Group D Salary and Benefits: रेलवे बोर्ड जल्द ही ग्रुप डी का एडमिट कार्ड जारी करने जा रहा है. बोर्ड ने बताया था कि ग्रुप डी की परीक्षा अप्रैल 2021 से जून 2021 तक ली जाएगी. ग्रुप-D के लिए कुल 1,03,769 पदों पर भर्तियां होनी हैं. भारतीय रेलवे द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आरआरबी ग्रुप डी 2019-20 भर्ती के तहत 1.15 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया है.
रेलवे बोर्ड जल्द ही ग्रुप डी का एडमिट कार्ड जारी करने जा रहा है. बोर्ड ने बताया था कि ग्रुप डी की परीक्षा अप्रैल 2021 से जून 2021 तक ली जाएगी. ग्रुप-D के लिए कुल 1,03,769 पदों पर भर्तियां होनी हैं. भारतीय रेलवे द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आरआरबी ग्रुप डी 2019-20 भर्ती के तहत 1.15 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया है.
RRC Group D Admit Card: इतने लोगों ने दिया है आवेदन
RRB Group D Level-1 2019-20 103769 रिक्तियों के लिए 1.15 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। सूत्रों के अनुसार, लाखों अभ्यर्थियों के आवेदन विभिन्न कारणों से खारिज कर दिए गए थे, जिनमें फ़ोटोग्राफ़, हस्ताक्षर आदि को गलत अपलोड करना शामिल था.
ऐसे होगा सिलेक्शन
ग्रुप डी पदों पर उम्मीदवारों का चयन कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट और फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट के आधार पर किया जाएगा. इसके बाद डॉक्यूमेंट्स की वेरिफिकेशन और मेडिकल जांच होगी.
कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट में जनरल साइंस, मैथेमेटिक्स, जनरल इंटेलीजेंस एंड रीजनिंग और जनरल अवेयरनेस से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे. हर गलत जवाब के लिए नेगेटिव मार्किंग की जाएगी.
गैंग मैन
पटरियों पर रेल, रेलवे गैंग मैन की कार्य कुशलता से ही दौड़ती है. रेलवे गैंग मैन रेलवे में नीव की ईंट की तरह है. रेलवे गैंग मैन एक रेलवे मेट के नेतृत्व में ग्रुप के साथ रेल की पटरियों का बारीकी से निरीक्षण करते हैं, जिसमें रेल पटरियों के जॉइंट और पटरियों सम्बन्धी विभिन्न खामियां दूर की जाती हैं. रेलवे गैंग मैन की कार्यकुशलता से ही रेलगाड़ियां पटरियों पर सुरक्षित दौड़ती हैं. रेलवे गैंग मैन रेल के एक सेक्शन में रेल पटरियों के मेंटेनेंस के लिए जिम्मेवार होता है. दूसरे सेक्शन के लिए अलग ग्रुप कार्य करता है.
ट्रैकमैन
रेल को आगे बढ़ाने में ट्रैक मैन का बड़ा योगदान होता है. ट्रैकमैन रेलवे ट्रैकों की देखभाल, उनका निरीक्षण और मरम्मत करते हैं. वे दिन में कम से कम एक बार ट्रैक के एक-एक इंच का निरीक्षण करते हैं. ट्रैकमैन भारतीय रेल के रीढ़ की हड्डी है, जो सेना के जवान की तरह काम करते हैं. ठंड हो या गर्मी यहां तक कि ख़राब मौसम में भी ये ट्रैकमैन रेलवे ट्रैक पर अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. ट्रैक मैन ही अक्सर रेलवे की भारी पटरियों को उठाने का काम करते है. छोटे स्टेशनों पर ट्रैक को अभी भी हाथ से ही बदला जाता है जबकि बड़े स्टेशनों पर ट्रैक ऑटोमेटिक बदले जाते हैं.
की मैन
ग्रुप डी श्रेणी के रेलवे कर्मचारी एक ‘की मैन’ की 6 किमी की दूरी तक ट्रैक की निगरानी करने की जवाबदेही रहती है. एक ‘की मैन’ रोजाना लगभग 14 किमी ट्रैक के सहारे चलकर उसका मुआयना करता है. रेलवे ‘की मैन’ का मुख्य कार्य रेल की पटरियों को चेक करना और आवश्यकता के अनुरूप उन्हें ठीक करना है. ट्रैक पर लगे हर बोल्ट को चेक करना भी की मैन के लिए आवश्यक होता है.
गेटमैन:
मानवीय दृष्टिकोण के साथ रेलों के सुचारू आवागमन में रेलवे गेटमैन का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है. रेलवे में गेटमैन की भूमिका हजारों जिंदगियों और दुर्घटनाओं को बचाती है. रेलवे में गेट मैन का कार्य मेन्युअल रेल फाटकों को ट्रेन आने व जाने के समय पर बंद करना है, जिससे दुर्घटनाओं को बचाया जा सके. देश में एक लाख से अधिक रेल फाटक हैं, जिसमें 75 हजार गेटों पर गेटमैन तैनात हैं.
लीवर मैन:
लीवर मैन, ट्रेन को उसके गंतव्य के लिए सही पटरियों का मिलान करता है, लीवर मैन की एक जरा सी गलती ट्रेन को तो उसके गंतव्य स्थान से तो भटका ही देगी साथ ही दुर्घटनाओं की संभावना को भी बढ़ा देगी. असल में लीवर मैन का मुख्य कार्य ट्रेन के जॉइंट के पास पटरी के सहारे लगे लीवर को ऑपरेट कर पटरियों का ट्रेन के गंतव्य के अनुसार मिलान करना है.
शंटर:
रेलवे ग्रुप डी के कर्मचारी शंटर का कार्य रेलवे यार्ड में अव्यवस्थित खड़े लोको पॉवर, यात्री डिब्बे और वैगन को जरूरत के अनुसार शिफ्ट करवाना होता है. शंटर लोको यार्ड में एक तरह से लोको पायलट और गॉर्ड को शंटिंग में मदद करना है. शंटर ही पॉवर (रेल इंजिन) से यात्री डिब्बे या वैगन को कप लिंक के माध्यम से जोड़ता है. एक के पीछे दूसरे यात्री डिब्बे या वैगन को जोड़कर ही ट्रेन तैयार की जाती है.
पोर्टर:
पोर्टर का कार्य रेलवे में सामान को इधर से उधर पहुँचाना होता है. रेलवे सामान से आशय लोको पायलट (इंजिन ड्राइवर) और गॉर्ड के सामान बक्से आदि को इधर से उधर पहुँचाना होता है. जिन रेलवे ट्रैक पर सिग्नल का ऑटोमेशन नहीं हुआ है वहाँ पोर्टर एक रिंग को स्टेशन मास्टर से लेकर जाता है और इंजिन ड्राइवर के पास पहले से मौजूद दूसरे रिंग से बदल कर वापस लाकर स्टेशन मास्टर को देता है, यह इस बात का संकेत है कि ट्रेन गंतव्य को रवाना होने को तैयार है और स्टेशन मास्टर ट्रेन की रवानगी के लिए ग्रीन सिग्नल कर देता है, कभी – कभी पोर्टर ट्रेन के आवागमन के दौरान ग्रीन सिग्नल या झंडी भी दिखाता है.
Posted By: Shaurya Punj