सीबीएसई के फॉर्मूले को छात्रों ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, कहा- संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन, जानिए पूरा मामला
सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के सैकड़ों छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इनकी मांग है कि कम्पार्टमेंट, प्राइवेट और रिपीटर्स परीक्षा को रद्द किया जाए. देशभर से सीबीएसई बोर्ड के करीब साढ़े 11 सौ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली है. छात्रों का सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि, सीबीएसई और अन्य बोर्डस् की तर्ज पर ही निजी, कम्पार्टमेंट और रिपीटर्स छात्रों के का रिजल्ट जारी किए जाएं.
सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के सैकड़ों छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इनकी मांग है कि कम्पार्टमेंट, प्राइवेट और रिपीटर्स परीक्षा को रद्द किया जाए. देशभर से सीबीएसई बोर्ड के करीब साढ़े 11 सौ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली है. छात्रों का सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि, सीबीएसई और अन्य बोर्डस् की तर्ज पर ही निजी, कम्पार्टमेंट और रिपीटर्स छात्रों के का रिजल्ट जारी किए जाएं.
इधर, 12वीं की बोर्ड परीक्षा में सीबीएसई ने जिस 30-30-40 के फार्मूले को पेश किया था और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी हरी झंडी दी थी, उसे कुछ छात्रों ने चुनौती दी है. याचिका दायर करने वालों छात्रों का कहना है कि निजी, कम्पार्टमेंट और रिपीटर्स छात्रों के लिए उसमें कुछ नहीं कहा गया है. जो छात्र बीते एक दो सालों से पेल हो रहे हैं, उनके लिए इसमें कोई विकल्प नहीं है.
याचिकाकर्ता छात्रों ने सीबीएसई की इस उदासीनता को लेकर सवाल उठाये हैं. अपनी याचिका में इनका कहना है कि कंपार्टमेंट, फेल हो रहे छात्र, ड्रॉप आउट स्टुडेंट और प्राइवेट इग्जाम देने वालों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. छात्रों ने इसके लेकर भी नियम बनाने की मांग की है. छात्रों का आरोप है कि, ये संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है.
गौरतलब है कि बीते दिनों 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद होने के बाद सीबीएसई की ओर से अंकों के आकलन का फार्मूला सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था. इस फार्मूले के तहत 12वीं का परिणाम 10वीं, 11वीं और 12वीं के प्री-बोर्ड तक के प्रदर्शन को आधार बनाकर तैयार किया जाएगा. जो कि 30-30-40 के रिशियों पर आधारित होगा. यानी, 10वीं और 11वीं के 30-30 फीसदी और 12वीं के 40 फीसदी अंक शामिल किए जाएंगे. 12वीं का रिजल्ट 31 जुलाई तक जारी हो सकता है.
posted by: Pritish Sahay