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Teachers Day Special: शिक्षक बन रखें कल की बुनियाद

भारतीय समाज में गुरु को ईश्वर तुल्य माना गया है. गुरु के प्रति सम्मान शिक्षण के क्षेत्र में आज भी बरकरार है. आप अगर शिक्षण के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो अपनी रुचि व योग्यता के आधार पर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं. 5 सितंबर से पहले जानें बतौर शिक्षक आगे बढ़ने की राहों के बारे में...

Teachers Day Special: दुनिया भर में शिक्षण एक महान पेशा था, है और रहेगा. एक शिक्षक न सिर्फ व्यक्ति को शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि जीवन और आजीविका के लिए जरूरी कौशल व मूल्यों के साथ तैयार करता है. शिक्षण का उद्देश्य न केवल पाठ्यक्रम में विषय के बारे में ज्ञान प्रदान करना है, बल्कि छात्रों को आत्मविश्वास के साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना भी है.

शैक्षणिक योग्यता के साथ गुणों का होना जरूरी

शिक्षक बनना एक प्रतिष्ठित अवसर में दाखिल होना है, लेकिन इसके लिए जरूरी शैक्षणिक योग्यता के साथ कुछ गुणों का होना भी जरूरी है, जैसे अपने विषय पर मजबूत पकड़, संवेदना, अच्छा संचार कौशल, मददगार रवैया, छात्र की समस्या का समाधान करने की इच्छा शक्ति आदि. आपमें अगर ये गुण मौजूद हैं, तो आप शिक्षण के क्षेत्र में एक अच्छा करियर बना सकते हैं.

आगे बढ़ने के हैं कई विकल्प

बतौर शिक्षक आगे बढ़ने के लिए भारत में गवर्नमेंट व प्राइवेट स्कूलों, केंद्रीय विद्यालयों में अच्छे मौके हैं. आप कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में भी अध्यापन का रुख कर सकते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में स्वयं का इंस्टीट्यूट/ ट्यूटोरियल संचालित करने का भी विकल्प है. सबसे पहले आपको अपनी रुचि, योग्यता एवं कार्य क्षमता का आकलन करना होगा, उसके आधार पर जरूरी टीचिंग कोर्सेज के साथ खुद को आगे बढ़ाना होगा. आप प्ले स्कूल, नर्सरी स्कूल, प्राइमरी/ एलिमेंट्री स्कूल, सेकेंडरी स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, एजुकेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट, स्पेशल स्कूल टीचिंग में से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं.

नर्सरी, प्राइमरी/ एलिमेंट्री स्कूल

अगर आप नर्सरी या प्राइमरी टीचर के रूप में करियर बनाना चाहते हैं, तो बारहवीं के बाद नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी) कर इस जॉब में जा सकते हैं. एनटीटी एक/ दो साल का कोर्स है. कुछ संस्थान एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से प्रवेश देते हैं, तो कहीं- कहीं 12वीं के अंकों के आधार पर एडमिशन मिलता है. जूनियर टीचर ट्रेनिंग एवं डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) जैसे कोर्स करके भी प्राइमरी टीचर बन सकते हैं.

मिडिल स्कूल

कक्षा छठवीं से आठवीं तक के छात्रों यानी मिडिल स्कूल की कक्षाओं को पढ़ाने के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं और टीचर्स ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (टीटीसी) एवं ग्रेजुएशन के साथ बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) होना चाहिए.

सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी

आमतौर पर सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूल (9वीं से 12वीं तक) में हर एक विषय के विशेष शिक्षक होते हैं. सेकेंडरी एवं सीनियर सेकेंडरी के छात्रों को पढ़ाने की न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) एवं मास्टर ऑफ एजुकेशन (एमएड) है.

स्पेशल स्कूल

यह शिक्षण का एक बेहद चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है. इसमें शारीरिक और मानसिक तौर पर अक्षम बच्चों को पढ़ाना होता है. इस काम में भावनात्मक और शारीरिक रूप से धैर्य का होना जरूरी है. स्पेशल स्कूल शिक्षक बनने के लिए आपको 10+2 के साथ डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन करना होगा.

फिजिकल एजुकेशन

फिजिकल एजुकेशन टीचर बनने के लिए किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से फिजिकल एजुकेशन में बीपीएड (बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन) होना चाहिए. इसके बाद चाहें, तो एमपीएड (मास्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन) भी कर सकते हैं. इन कोर्सेज में एंट्रेंस टेस्ट, फिजिकल फिटनेस टेस्ट और इंटरव्यू पास करके प्रवेश मिलता है.

असिस्टेंट प्रोफेसर/ लेक्चरर

कॉलेज/ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर जॉब की शुरुआत कर सकते हैं. आगे अनुभव एवं योग्यता के आधार पर एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर बनने का मौका मिलता है. कॉलेज में अध्यापन के लिए पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के साथ एमफिल, पीएचडी एवं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से आयोजित होने वाला नेशनल एजिबिलिटी टेस्ट (नेट) पास होना आवश्यक है.

जरूरी परीक्षाएं

  • सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटेट) : केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालयों समेत अन्य कई सरकारी विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई ) की ओर से आयोजित परीक्षा सीटेट पास करना आवश्यक है. बारहवीं पास होने के साथ दो वर्षीय प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा या बारहवीं के साथ चार वर्षीय बैचलर ऑफ एलिमेंट्री एजुकेशन या न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों में स्नातक के साथ बीएड डिग्री धारक यह परीक्षा दे सकते हैं. योग्यता की विस्तृत जानकारी के लिए सीटेट की वेबसाइट देखें.

  • टीजीटी एवं पीजीटी : राज्य स्तर पर आयोजित होनेवाली परीक्षाएं- टीजीटी (ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर) देने के लिए ग्रेजुएट व बीएड एवं पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) के लिए पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड होना आवश्यक है. टीजीटी पास शिक्षक 6वीं से लेकर 10वीं तक एवं पीजीटी के शिक्षक सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी छात्रों को पढ़ाते हैं.

  • टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) : कई राज्यों में बीएड करने के बाद शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य है. इस टेस्ट को पास करने पर एक निश्चित अवधि के लिए सर्टिफिकेट मिलता है, जो सरकारी स्कूल में शिक्षक की जॉब में आवेदन के लिए मान्य होता है.

बीएड से बनाएं आधार

बैचलर ऑफ एजुकेशन यानी बीएड एक अंडरग्रेजुएट कोर्स है, जो स्कूल शिक्षक बनने के योग्य बनाता है. यह दो वर्ष का चार सेमेस्टर वाला कोर्स है. आप अगर स्कूल शिक्षण के क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो यह कोर्स आपके लिए बहुत जरूरी है. इस कोर्स में कुछ संस्थान मेरिट व कुछ एंट्रेंस के आधार पर प्रवेश देते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, इग्नू आदि में एंट्रेंस के माध्यम से बीएड कोर्स में प्रवेश दिया जाता है. किसी स्ट्रीम, आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स में ग्रेजुएट अभ्यर्थी बीएड कर सकते हैं.

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