UGC Update: यूजीसी का राहत भरा फैसला, यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए अब पीएचडी की डिग्री अनिवार्य नहीं

UGC Update: देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का ख्वाब देख रहे युवाओं के लिए यूजीसी की तरफ से राहत भरी खबर है. यूजीसी के नए फैसले के अनुसार अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य नहीं होगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2022 11:49 AM
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UGC Update: विश्वविद्यालय में अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट और प्रोफेशनल्स को लेकर युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने बड़ा फैसला लिया है. यूजीसी के नए फैसले के अनुसार अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री (PhD Degree) अनिवार्य नहीं होगी. यानी अब यूजीसी के इस फैसले से संबंधित विषय के विशेषज्ञ यूनिवर्सिटी में पढ़ा सकेंगे भले ही उनके पास पीएचडी की डिग्री न हो. स्टूडेंट्स को भी इससे फायदा मिलेगा. यूजीसी के चेयरपर्सन जगदीश कुमार ने कहा है कि अब इस तरह के पदों के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म की जा रही है. बता दें कि शिक्षा मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2021 में 10 हजार से अधिक पद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली हैं.

विश्वविद्यालय में 65 वर्ष की आयु तक पढ़ा सकते हैं संबंधित विषय के एक्सपर्ट

युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के चेयरपर्सन जगदीश कुमार के अनुसार, ‘कई विशेषज्ञ हैं जो पढ़ाना चाहते हैं. कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसने बड़ी परियोजनाओं को लागू किया हो और जिसके पास जमीनी स्तर के काम करने का अनुभव हो, ये कोई कोई महान नर्तक या संगीतकार भी हो सकता है.’ ये अब बिना पीएचडी की डिग्री के आसानी से विश्वविद्यालयों में पढ़ा सकते हैं. पढ़ाने के इच्छुक एक्सपर्ट जो 60 साल की उम्र को पार कर चुके हैं वह विश्वविद्यालय में 65 वर्ष की आयु तक पढ़ा सकते हैं. इस मामले पर अलग-अलग विश्विद्यालयों के वीसी के साथ बैठक में फैसला लिया गया.

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नियुक्ति के नियमों में संशोधन के लिए एक समिति के गठन का फैसला

केंद्रीय विश्वविद्यालयों के वीसी ने जगदीश कुमार के साथ हुई बैठक में शिक्षक और प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के नियमों में संशोधन के लिए एक समिति के गठन का फैसला किया है. यह बैठक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के क्रियान्वयन समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. साथ ही यूजीसी की योजना एक ऐसा पोर्टल शुरू करने की भी है जिसके माध्यम से शिक्षकों की भर्ती का हिसाब-किताब आसानी से रखा जा सके. इससे शिक्षकों की नियुक्तियों प्रक्रिया में देरी नहीं होगी.

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