कोलकाताः पश्चिम बंगाल में अपर प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में ममता बनर्जी की सरकार को झटका लगा है. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने नियुक्ति प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है.
अदालत ने स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) को नियुक्ति प्रक्रिया के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई नौ जुलाई को होगी और तब तक नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक रहेगी. हाइकोर्ट के इस फैसले से ममता बनर्जी नाराज हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों राज्य के उच्च प्राथमिक स्कूलों में 14,500 शिक्षकों की नियुक्ति की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि नौकरी के लिए किसी की पैरवी नहीं चलेगी. मेधा के आधार पर नियुक्तियां होंगी. इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए स्कूल सेवा आयोग ने उन अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित की है, जिन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है.
गौरतलब है कि पूर्वी बर्दवान जिला के अभिजीत घोष व मुर्शिदाबाद जिला के रहने वाले मोहम्मद शरीकुल इसलाम समेत अन्य लोगों की ओर से अधिवक्ता फिरदौस शमीम ने यह मामला किया है. उनका आरोप है कि इंटरव्यू के लिए जिन्हें बुलाया जा रहा है, उन लोगों की सूची में उन्हें मिले अंकों का उल्लेख नहीं है. ज्यादा नंबर पाने वाले बहुत से परीक्षार्थियों का सूची में नाम ही नहीं है.
राज्य सरकार जब भी छात्र समुदाय के बेहतर भविष्य के लिए कोई अच्छा काम करने जाती है, तो कुछ लोग अदालत पहुंच जाते हैं. यह नियुक्ति प्रक्रिया पिछले तीन-चार वर्षों से अटकी हुई है.
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
अदालत के निर्देश पर मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि राज्य सरकार जब भी छात्र समुदाय के बेहतर भविष्य के लिए कोई अच्छा काम करने जाती है, तो कुछ लोग अदालत पहुंच जाते हैं. यह नियुक्ति प्रक्रिया पिछले तीन-चार वर्षों से अटकी हुई है.
हाइकोर्ट के निर्देश पर ही राज्य सरकार ने नये सिरे से सूची बनाकर अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाना शुरू किया है और अब उसके खिलाफ भी मामला कर दिया गया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग हैं, जो राज्य के छात्रों का बेहतर भविष्य देखना नहीं चाहते. उन्होंने कहा कि चूंकि यह मामला अदालत में है, इसलिए अदालत की टिप्पणी के संबंध में वह कुछ नहीं कहेंगी.
Posted By: Mithilesh Jha