भारत के 56 लाख किलोमीटर लंबे सड़क नेटवर्क में नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे, ग्रामीण सड़कें, शहरी सड़कें और जिला सड़कें शामिल हैं. उनके बीच अंतर करने के लिए माइलस्टोन अलग-अलग रंगों से रंगे होते हैं.
सड़कों के किनारे लगे माइलस्टोन वे रंगीन पत्थर हैं जिन्हें हम राजमार्गों और गांव की सड़कों के किनारे किसी स्थान की दूरी को सूचित करते हुए देखते हैं. इन दिनों जीपीएस वाले स्मार्टफोन के कारण ये उपेक्षित भी हो रहे हैं लेकिन एक समय था जब ये पत्थर आपके डेस्टिनेशन तक पहुंचने के लिए आवश्यक किलोमीटर के बारे में जानकारी का सबसे विश्वसनीय स्रोत थे.
भारत का सड़क नेटवर्क 56 लाख किमी लंबा है और माइलस्टोन नेशनल हाइवे, स्टेट हाईवे और गांव की सड़कों के बीच अंतर करने के लिए रंगे होते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी गौर किया है कि ये ‘मील के पत्थर या माइलस्टोन’ अलग-अलग रंगों के क्यों होते हैं?
भारत के नेशनल हाईवे विभिन्न राज्यों में फैले हुए हैं. ये विभिन्न राज्यों के शहरों के बीच संपर्क का माध्यम हैं. 2015-2016 के रिकॉर्ड के अनुसार, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 1.01 लाख किमी है. यदि आपको सड़क के किनारे पीले रंग की पट्टी वाला माइलस्टोन दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि आप राष्ट्रीय राजमार्ग पर हैं. NS-EW कॉरिडोर (नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर–जम्मू और कश्मीर से कन्याकुमारी, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर– पोरबंदर से असम में सिलचर) और गोल्डन क्वाड्रिलेटरल (भारत में चार मेट्रो शहरों को जोड़ने– दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता) हैं. ये राष्ट्रीय राजमार्गों का भी हिस्सा हैं. नेशनल हाईवे ऑथोरिटी (NHAI) देश के नेशनल हाईवे का रख रखाव करता है.
यदि आपको सड़क के किनारे हरे रंग की पट्टी वाला माइलस्टोन दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि आप राज्य के स्टेटहाईवे पर हैं. राज्य के स्टेट हाईवे एक राज्य के विभिन्न शहरों को जोड़ते हैं. 2015-2016 के रिकॉर्ड के अनुसार, देश में राज्य राजमार्गों की कुल लंबाई 1.76 लाख किमी है. इन राजमार्गों का निर्माण और देखभल राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है.
यदि आप एक ब्लू स्ट्राइप वाले माइलस्टोन या एक काला और सफेद माइलस्टोन देखते हैं, तो आप किसी शहर या जिले की सड़क पर यात्रा कर रहे हैं. जैसा कि नाम से पता चलता है, डिस्ट्रिक्ट रोड एक जिले के भीतर संपर्क प्रदान करती हैं. वर्तमान में जिले की सड़कों की लंबाई 5.62 लाख किमी है.
यदि आप एक माइलस्टोन पर नारंगी या ऑरेंट स्ट्राइप देखते हैं, तो आप ग्रामीण सड़क पर यात्रा कर रहे हैं. वर्तमान में ग्रामीण सड़कों की लंबाई 3.93 लाख किमी है. नारंगी पट्टी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का भी प्रतिनिधित्व करती है.
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‘जीरो माइल सेंटर’ वह स्थान था जिसे ब्रिटिश अन्य सभी शहरों से दूरियों को मापने के लिए एक रेफरेंस प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल करते थे. नागपुर ने ‘जीरो माइल सेंटर’ के रूप में कार्य किया और इस प्रकार इसने औपनिवेशिक भारत के भौगोलिक केंद्र के रूप में कार्य किया. इस केंद्र में चार घोड़े और एक बलुआ पत्थर का स्तंभ है जिसमें एक सूची है जो भारत के प्रमुख शहरों की सड़क मार्ग से सटीक दूरी बताती है.