पर्यावरण दिवस विशेष : पर्यावरण से है प्यार, तो आपके लिए इन क्षेत्रों में संभावनाएं हैं अपार
वक्त के साथ बढ़ते प्रदूषण की समस्या ने पर्यावरण के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. इन चुनौतियों का सामना करने एवं पर्यावरण को बचाने के प्रयास में ऐसे कई क्षेत्र उभर कर सामने आये हैं, जो करियर के लिहाज से युवाओं के लिए काफी अच्छे साबित हो रहे हैं. यदि आप ऐसे युवाओं में से एक हैं, जो प्रकृति से प्रेम करते हैं और पर्यावरण की सुरक्षा करना आपको अपना दायित्व महसूस होता है, तो इन क्षेत्रों का चयन कर करियर की बेहतरीन संभावनाओं के साथ आप पर्यावरण संरक्षण में विशेष भूमिका निभा सकते हैं.
वक्त के साथ बढ़ते प्रदूषण की समस्या ने पर्यावरण के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. इन चुनौतियों का सामना करने एवं पर्यावरण को बचाने के प्रयास में ऐसे कई क्षेत्र उभर कर सामने आये हैं, जो करियर के लिहाज से युवाओं के लिए काफी अच्छे साबित हो रहे हैं. यदि आप ऐसे युवाओं में से एक हैं, जो प्रकृति से प्रेम करते हैं और पर्यावरण की सुरक्षा करना आपको अपना दायित्व महसूस होता है, तो इन क्षेत्रों का चयन कर करियर की बेहतरीन संभावनाओं के साथ आप पर्यावरण संरक्षण में विशेष भूमिका निभा सकते हैं.
1 – एनवार्यमेंटल साइंस में बनाएं भविष्य : एनवायर्नमेंटल साइंस, विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें मानव गतिविधियों से पर्यावरण पर पड़नेवाले असर का अध्ययन किया जाता है. साथ ही पर्यावरण में होनेवाले परिवर्तन जीवन को किस तरह प्रभावित करते हैं, इसका आकलन करना भी पर्यावरण विज्ञान के अंतर्गत आता है. इस क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं हैं. एक पर्यावरण वैज्ञानिक को सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं, एनजीओ, फर्म और कॉलेज आदि में कई पदों पर काम मिल सकता है. इसके अलावा रिफाइनरी, डिस्टिलरी, माइंस फर्टिलाइजर प्लांट्स, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, वेस्ट ट्रीटमेंट इंडस्ट्री और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में अच्छी नौकरी मिल सकती है. साथ ही आप एक रिसर्चर, एनवायर्नमेंटल जर्नलिस्ट और टीचर के रूप में भी काम कर सकते हैं.
आवश्यक योग्यता : एनवायर्नमेंटल साइंस में करियर बनाने के लिए आपको बारहवीं साइंस यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मैथमेटिक विषय के साथ पास होना चाहिए. बारहवीं के बाद आप एनवायर्नमेंटल साइंस में बीएससी कर सकते है. इसके अलावा एनवायर्नमेंटल साइंस में एमएससी और इंजीनियरिंग भी किया जा सकता है. आप चाहें, तो मास्टर डिग्री करने के बाद एनवायर्नमेंटल साइंस में एमफिल या रिसर्च भी कर सकते है.
प्रमुख संस्थान :
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दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली.
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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली.
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जामिया मिलिया इस्लामिया, नयी दिल्ली.
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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल मैनेजमेंट, मुंबई.
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राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्विविद्यालय, इंदौर.
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लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ.
2 – रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में हैं ढेरों संभावनाएं : यदि आप पृथ्वी को एक आग के गोले में तब्दील होने से बचाना चाहते हैं, तो रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में प्रवेश कर ऊर्जा संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं. वक्त के साथ ऊर्जा की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में ऊर्जा के अतिरिक्त स्रोतों यानी वैकल्पिक ऊर्जा, सौर ऊर्जा, विंड एनर्जी, बायो एनर्जी, हाइड्रो एनर्जी आदि पर विशेष काम किया जा रहा है. आज गवर्नमेंट एवं प्राइवेट दोनों ही सेक्टर रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट पर जोर दे रहे हैं, जिसके चलते युवाओं के लिए यह संभावनाओं से भरे क्षेत्र का रूप ले चुका है.
आवश्यक योग्यता : साइंस स्ट्रीम के साथ स्नातक या इंजीनियरिंग डिग्री प्राप्त करनेवाले युवा रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट के परास्नातक काेर्स में दाखिला प्राप्त कर सकते हैं. एमएससी फिजिक्स के छात्रों का इस क्षेत्र में काफी रुझान देखने को मिलता है. वहीं कई बिजनेस संस्थान एनर्जी मैनेजमेंट या पावर मैनेजमेंट जैसे एमबीए कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं. आप रिन्यूएबल एनर्जी या फिजिक्स/ एनर्जी स्टडीज में एमएससी, एनर्जी स्टडीज, एनर्जी मैनेजमेंट, एनर्जी टेक्नोलॉजी या रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट में एमटेक, एनर्जी इंजीनियरिंग में एमई, एनर्जी मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा आदि करके इस क्षेत्र में प्रवेश की राह को आसान बना सकते हैं.
प्रमुख संस्थान :
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यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे.
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आईआईटी दिल्ली.
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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तिरुचिरापल्ली.
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राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल.
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इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी), इलाहाबाद.
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पेट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन, नयी दिल्ली.
3 – फॉरेस्ट मैनेजमेंट में बनाएं सदाबहार करियर : वनों की सुरक्षा से जुड़ा फॉरेस्ट मैनेजमेंट का क्षेत्र, वन संरक्षण एवं इनके विस्तार से जुड़े मुद्दों में रुचि रखनेवाले युवाओं के लिए बेहतरीन करियर ऑप्शन बन चुका है. दिन-ब-दिन वनों के सिमटते दायरे के चलते फॉरेस्ट्री मैनेजमेंट एक्सपर्ट और फॉरेस्ट ऑफिसर्स जैसे प्रोफेशल्स की मांग बढ़ती जा रही है. ऐसे में यदि आप वनों से जुड़ी समस्याओं को समझने एवं उन्हें दूर करने का उपाय ढूंढने में दिलचस्पी रखते हैं, तो इस क्षेत्र में प्रवेश कर सरकारी एवं प्राइवेट दोनों ही सेक्टर में कैरियर बना सकते हैं. आप चाहें तो एनजीओ में भी काम कर सकते हैं. साथ ही वाइल्ड लाइफ रेंज मैनेजर, वाइल्ड लाइफ रेफ्यूज मैनेजर, रिसर्चर, फोटोग्राफर, वाइल्ड लाइफ जर्नलिस्ट और टीचर के रूप में अपना करियर बना सकते हैं.
आवश्यक योग्यता : फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी से बारहवीं पास करनेवाले छात्र फॉरेस्ट्री के बीएससी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं. बीएससी के बाद एमएससी में आसानी से प्रवेश मिल सकता है. मास्टर डिग्री के बाद छात्र चाहें तो एमफिल या पीएचडी कर सकते हैं. कई ऐसे संस्थान हैं, जो पीजी डिप्लोमा इन फॉरेस्ट मैनेजमेंट का कोर्स कराते हैं. फॉरेस्ट्री में बैचलर डिग्री के बाद आप यूपीएससी द्वारा आयोजित इंडियन फॉरेस्ट सर्विस परीक्षा में भी शामिल हो कर भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं.
प्रमुख संस्थान :
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वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून.
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बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, रांची.
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जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर.
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नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन. डॉ वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री.
4 – जूलॉजिस्ट बन करें वन्यजीवों की देखभाल : अगर आप जानवरों से विशेष लगाव रखते हैं, तो जूलॉजिस्ट बनकर अपना करियर संवारने के साथ-साथ प्रकृति संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं. जूलॉजिस्ट पशुओं के व्यवहार और उनके रहन-सहन, भोजन, उत्पत्ति, विकास एवं जीवन चक्र आदि का अध्ययन करते हैं. इसके साथ ही विलुप्त होते प्राणियों का बचाव और सुरक्षा भी जूलॉजिस्ट का ही काम है. पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों का विकास करना भी जूलॉजिस्ट के कार्यों में शामिल है. मौजूदा दौर में जूलॉजिस्ट के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों में नौकरी के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं. एक जूलॉजिस्ट के रूप में आप सरकारी एजेंसियों में वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट, कंजर्वेशन या एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में काम कर सकते हैं. वहीं, प्राइवेट सेक्टर में फार्मास्यूटिकल कंपनी या बायोलॉजिकल सप्लाई हाउसेज में काम के अच्छाे मौके उपलब्ध हैं.
आवश्यक योग्यता : जूलॉजिस्ट बनने के लिए जूलॉजी या संबंधित विषयों में मास्टर डिग्री प्राप्त करना जरूरी है. इसमें उन्हीं छात्रों को प्रवेश मिलता है, जो बैचलर डिग्री में बायोलॉजी पढ़ चुके हों. स्नातक में एनवायर्नमेंटल साइंस, नेचुरल साइंस और बायोलॉजी के साथ जूलॉजी विषय भी होना चाहिए. मास्टर डिग्री स्तर पर पढ़ाई करने के दौरान कई विषयों में से किसी एक को स्पेशलाइजेशन के रूप में चुनने के भी काफी विकल्प उपलब्ध हैं. आप अपनी मनपसंद के जीवों पर शोध करके उस विषय में एक्सपर्ट भी हो सकते हैं. ऐसे विशेषज्ञों को फिर अलग-अलग नामों से जाना जाता है. उदाहरण के लिए जो जूलॉजिस्ट पक्षियों पर शोध करते हैं उन्हें ऑर्निथोलॉजिस्ट कहते हैं, जो मछलियों पर शोध करते हैं, उन्हें इकथियोलॉजिस्ट, जल और स्थल पर रहनेवाले प्राणियों पर शोध करनेवालों को हर्पेटोलॉजिस्ट और स्तनधारियों पर शोध करने वालों को मैमोलॉजिस्ट कहा जाता है.
प्रमुख संस्थान :
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दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, नयी दिल्ली.
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गार्डन सिटी कॉलेज, इंदिरा नगर, बेंगलुरु.
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मैत्रेयी कॉलेज, दिल्ली.
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सेंट अलबर्ट्स कॉलेज, कोची.
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पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज ऑफ साइंस, हैदराबाद.
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लोयोला कॉलेज, चेन्नई.
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उस्मानिया यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर विमेन. विवेकानंद कॉलेज, कोलकाता.