मनोचिकित्सक बनकर संवारें अपना करियर
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर विश्वास किया जाये तो भारत की छह प्रतिशत से अधिक आबादी किसी न किसी रूप में इसी मानसिक समस्या से प्रभावित है. अगर संख्या की दृष्टि से देखें तो तनाव से प्रभावित आबादी सात करोड़ से अधिक ठहरती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर विश्वास किया जाये तो भारत की छह प्रतिशत से अधिक आबादी किसी न किसी रूप में इसी मानसिक समस्या से प्रभावित है. अगर संख्या की दृष्टि से देखें तो तनाव से प्रभावित आबादी सात करोड़ से अधिक ठहरती है. देश में इतनी बड़ी आबादी का मानसिक विकार के कारण गैर उत्पादक होना वाकई चिंता का विषय कहा जा सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ऐसे रोगियों को अपनी मानसिक समस्या का अहसास तक नहीं होता. एक कारण यह भी है कि इनके उपचार के लिए देश में मनोवैज्ञानिकों, मनोचिकित्सकों आदि की जबर्दस्त कमी है.
क्या काम है मनोवैज्ञानिकों का
मानसिक असंतुलन या अवसाद से ग्रस्त लोगों को उनकी परेशानियों से उबरने में मदद करना और सोच की दिशा को सामान्य बनाने का प्रयास ऐसे विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है. यह उपचार मेडिकल साइंस से संचालित उपचार की भांति नहीं, बल्कि उनके व्यवहार यानी सोच, समझ और चिंतन की प्रक्रिया में धीरे-धीरे बदलाव लाकर किया जाता है. व्यवहार सामान्य करने, समायोजन सुधारने और खोया हुआ आत्मविश्वास वापस लाने में भी ये विशेषज्ञ मददगार सिद्ध होते हैं.
साइकोलॉजी और साइकोएनालिसिस में फर्क
साइकोलॉजी या मनोविज्ञान विषय का लक्ष्य मानव मस्तिष्क द्वारा विभिन्न परिस्थितियों में लिए जाने वाले निर्णयों और व्यवहार का विश्लेषण करना है. जबकि साइकोएनालिसिस एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें निहित विभिन्न तकनीकों/पद्धतियों का इस्तेमाल कर यह जानने का प्रयास किया जाता है कि किन्हीं विशेष स्थितियों में मानव मस्तिष्क द्वारा किसी खास तरह का फैसला, अन्य विकल्पों के होने के बावजूद कैसे लिया गया. इस दौरान व्यक्ति को हीन/असहाय होने की भावनाओं से उबारने का प्रयास भी किया जाता है. किन्हीं मजबूरियों के कारण दबाई गई इच्छाओं और आकांक्षाओं से उपजे अवसाद को समझने और उसके प्रभाव का विश्लेषण करने की कोशिश भी काउंसलिंग के दौरान की जाती है. वास्तव में, अचेतन दिमाग में बसी बातों या यादों के महत्व को समझते हुए उपचार की दिशा का निर्धारण किया जाता है.
नियुक्तियां
इनके लिए हॉस्पिटल, एनजीओ, थेरेपी सेंटर, काउंसलिंग सेंटर, यूनिवर्सिटी, स्कूल, औद्योगिक इकाइयों आदि में काउंसलर के तौर पर नौकरी के अवसर हो सकते हैं. इसके अलावा सोशल वेलफेयर संस्थाएं, रक्षा क्षेत्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, जेलों आदि में भी ऐसे प्रशिक्षित लोग नियुक्त किए जाते हैं. करियर के शुरुआती दौर में किसी नामी मनोवैज्ञानिक/काउंसलर के साथ रहकर काफी कुछ व्यावहारिक प्रशिक्षण लिया जा सकता है. इस पेशे को किताबी शिक्षा से नहीं, बल्कि मानसिक समस्याओं से ग्रस्त/विभिन्न बुरी आदतों या लत के शिकार लोगों आदि के उपचार के दौरान सीखा जा सकता है. बाद में अन्य प्रकार के विशेष कोर्स करके अपनी पेशेवर योग्यता को बढ़ाया जा सकता है. इसके बाद स्वतंत्र रूप से काउंसलर के तौर पर काम भी किया जा सकता है.
कौशल
शांत और धैर्यवान व्यक्तित्व का होना बेहद जरूरी
मानवीय भावनाओं पर आधारित सोच एवं रोगी के व्यवहार को समझने में दिलचस्पी
लोगों को अवसाद से उबरने में मदद करने का जज्बा
समाज कल्याण की भावना
मानव व्यवहार की सैद्धांतिक और व्यावहारिक बुनियादी समझ
रोगियों/तनावग्रस्त लोगों की बातें सुनने और विश्लेषण करने की क्षमता
संस्थान
दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ,
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आगरा
पटना यूनिवर्सिटी, पटना