Jharkhand news, Chaibasa news : चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम) : कोरोना काल में पीपीई किट की खरीद समेत विभिन्न वित्तीय मामलों में फर्जीवाड़ा करने के आरोपी डीपीएम यूनिट के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (District Program Officer) नीरज कुमार यादव पर गाज गिरी है. उन्हें 24 घंटे के अंदर राज्य मुख्यालय में योगदान देने को कहा है. झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन समिति सह स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अभियान निदेशक ने डीसी अरवा राजकमल के नाम पत्र निर्गत करते हुए नीरज कुमार यादव को राज्य मुख्यालय में योगदान देने के लिए अविलंब विरमित करने का निर्देश दिया है.
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल चाईबासा में एनएचएम के अंतर्गत अनुबंध पर पदस्थापित डीपीएम यूनिट के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज कुमार यादव के खिलाफ संबंधित जांच प्रतिवेदन अपने मंतव्य के साथ आगामी एक सप्ताह के अंदर 3 नवंबर, 2020 तक अधोहस्ताक्षरी को उपलब्ध कराने को कहा गया है, ताकि नियमानुसार ससमय मामले में दोषी पाये जाने पर डीपीएम के खिलाफ अग्रेत्तर कार्रवाई की जा सके.
गौरतलब हो कि अखबार में कोरोना काल में फर्जीवाड़ा की खबर प्रकाशित होने के बाद डीसी अरवा राजकमल ने जांच को प्रभावित करने का हवाला देते हुए डीपीएम नीरज यादव को जिले से हटाने की अनुशंसा राज्य स्वास्थ्य विभाग से की थी. विभाग की ओर से इसकी प्रतिलिपि स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, निदेशक प्रमुख, एनएचएम के वित्त निदेशक, जिले के सिविल सर्जन को भेजी गयी है.
मालूम हो कि कोरोना संक्रमण के दौरान पीपीई कीट की खरीद में वित्तीय अनियमितता समेत कई आरोप डीपीएम यूनिट के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज कुमार यादव पर लगे हैं. इस संबंध में पूर्व में ही डीसी ने जांच के आदेश दिये थे. इसी के अालोक में मंगलवार को 2 सदस्यीय टीम ने आरोपी नीरज कुमार यादव से घंटों पूछताछ की. इस दौरान जहां उनका कंप्यूटर को सील किया गया, वहीं, कागजात समेत कई डाटा को जांच सदस्यों ने खंगाला.
हालांकि, आरोपी नीरज कुमार यादव अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने इस पूरे प्रकरण में सिविल सर्जन को ही दोषी ठहराया है. कहा कि अगर पढ़ कर किसी फाइल को सिविल सर्जन साइन करते हैं, तो पूरी जिम्मेवारी उनकी है.
Posted By : Samir Ranjan.