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जांच टीम ने सीएस को सुपुर्द की डीपीएम फर्जीवाड़ा से जुड़ी खरीदारी की फाइलें, अब पुलिस करेगी जांच

स्वास्थ्य उपकरणों एवं सामाग्रियों की खरीद में फर्जीवाड़ा करने के आरोपी डीपीएम नीरज कुमार यादव के विरूद्ध जांच टीम गठित

चाईबासा : कोरोना काल में स्वास्थ्य उपकरणों एवं सामाग्रियों की खरीद में फर्जीवाड़ा करने के आरोपी पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल चाईबासा में पिछले चार सालों से एनएचआरएम के तहत अनुबंध पर पदस्थापित तत्कालीन जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) नीरज कुमार यादव के विरूद्ध गठित जांच टीम ने मंगलवार को जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता को अस्पताल से कलेक्ट किये गये विभिन्न फाइले सर्पूद कर दी है.

इस दौरान जांच टीम के नेतृत्वकर्ता जिला भू-अर्जन पदाधिकारी सह स्वास्थ्य विभाग के नोडल पदाधिकारी एजाज अनवर के द्वारा कोरोना काल के पेयमेंट से जुड़े विभिन्न फाइलें (मीटिंग रजिस्टर, वित्तीय रजिस्टर, टेंडर का कंपरेटिव चार्ट, पीएफएमएस इश्यू रजिस्टर, सप्लाई के बाद संधारण पंजी की कॉपी व कोविड-19 गहन जांच) आदि से संबंधित सभी सीएस को हैंडओवर कर दी गयी है.

ऐसे में अब डीपीएम के विरूद्ध सीएस के द्वारा सदर अस्पताल में मुकदमा दर्ज किये जाने के बाद पुलिस उक्त सभी फाइलों को अपने कब्जे में ले लेगी. साथ ही डीपीएम के कार्यकाल के दौरान पिछले चार वर्षों से लेकर अबतक हुए खरीदारी से संबंधित विभिन्न फाइलों की भी मांग करेगी. दरअसल, सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता के द्वारा सदर थाना में एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस उसपर शिकंजा कसने की तैयारी में जुट गयी है.

मुकदमा दर्ज होने के बाद नीरज यादव के कर दिया मोबाइल स्वीच ऑफ

सूत्रों की मानें सदर थाना में मुकदमा दर्ज होने के बाद से डीपीएम नीरज कुमार यादव ने अपना मोबाइल स्वीच ऑफ कर दिया है. जिस कारण पुलिस उससे संपर्क भी नहीं साध पा रही. ऐसे में पुलिस अब डीपीएम के मोबाइल को सर्विलेंस में डाल उसकी खोज में जुट गयी है. साथ ही पुलिस सदर अस्पताल चाईबासा में पदस्पना से लेकर नीरज यादव के पूरे चार साल के कार्यकाल की जांच भी करने वाली है. वहीं पुलिस अब डीपीएम की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से ऑर्डर पारित होने का इंतजार भी कर रही है.

ऑर्डर पारित होते ही पुलिस डीपीएम को हिरासत में लेकर चाईबासा आयेगी. जिसके बाद उससे पूछताछ कर जेल भेजा जायेगा. सूत्रों की मानें तो, पुलिस को अंदेशा है कि पिछले चार वर्षों में डीपीएम नीरज कुमार यादव ने स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद में कई फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है. जिसमें कई अन्य की भी संलिप्ति हो सकती है. इस कारण डीपीएम के सदर अस्पताल चाईबासा में कार्यरत रहने के दौरान खरीद प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न फाइलों एवं कागजातों की जांच भी पुलिस नये सिरे से करेगी.

डीपीएम का कंप्यूटर अब भी सील, साइबर सेल कर सकती है जांच

नीरज कुमार यादव के खिलाफ गठित जांच टीम के अधिकारियों के द्वारा अबतक डीपीएम के कंप्यूटर को सील ही रखा गया है. वहीं डीपीएमयू यूनिट के डेटा सेल में कार्यरत आईडीएसपी की ऑपरेटर के कंप्यूटर से कलेक्ट किये गये सारे डेटा का बेकअप भी टीम ने अपने पास ही रखा है.

सूत्रों की मानें तो, जांच टीम कंप्यूटर से संबंधित सभी बेकअप को सीधे डीपीएम के खिलाफ इंवेस्टिगेशन कर रहे ऑफिसर को हैंडओवर करेगी. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि पुलिस टीम साइबर सेल के माध्यम से नीरज कुमार यादव द्वारा उपयोग किये जा रहे कंप्यूटर के साथ ही उसकी सहयोगी आईडीएसपी की ऑपरेटर के कलेक्ट किये गये विभिन्न फाइलों के बैकअप की जांच करायेगी.

फर्जी जीएसटीआइएन नंबर के बिल पर कैसे हो गया भुगतान?

जिले के तत्कालीन डीपीएम नीरज कुमार यादव के विरूद्ध गठित जांच कर रही टीम ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि चाईबासा बांधपाड़ा के पते पर रजिस्टर्ड एमएस एडग्लोबल नामक कंपनी के बिल में दर्ज जीएसटीआइएन नंबर-’20बीएसएनपीओ5512एल1जेडएक्स’ जांच करने पर फर्जी मिला है. दरअसल, उक्त फर्जी जीएसटीआइएन नंबर के बिल को आधार बनाकर सप्लायर एमएस एडग्लोबल को कोरोना काल में नॉन स्टरलाइज्ड हैंड ग्लोब्स की खरीद के लिए गत 19 सितंबर को सदर अस्पताल से ऑर्डर नंबर 327 (डीपीएमयू) निकाल 11.50 रुपये की दर से 10 हजार पीस हैंड ग्लोब्स की खरीद के लिए जीएसटी सहित फर्म के एक्सिस बैंक के खाता

संख्या-‘918020110748928’ में कुल 1.20 लाख का भुगतान भी जिला लेखा कार्यालय से किया गया है. इतना ही नहीं, सदर अस्पताल में करोना काल में 11 लाख से अधिक की सप्लाई करने वाले एमएस एडग्लोबल फर्म के एवज में जिला लेखा प्रबंधक के कार्यालय से भुगतान फर्म की प्रोपराइटर अमिता देवी के व्यक्तिगत एक्सिस बैंक खाते में किया जाता रहा है. ऐसे में देखा जाये तो, फर्जी जीएसटीआइएन नंबर के बिल के आधार पर एमएस एडग्लोबल फर्म को भुगतान किये जाने के मामले में अन्य अनुबंधकर्मियों सहित भुगतान पंजी में साइन करने वाले पदाधिकारियों पर भी पुलिस की गांज गिर सकती है.

डीपीएम मामले के इंवेस्टिगेशन कर रहे आईओ बने मुफ्फसिल थाना प्रभारी

कोरोना काल में डीपीएम नीरज कुमार याजव के खिलाफ सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता के बयान पर सदर थाना में पीपीई किट आपूर्ति आदेश के साथ जालसाजी करने, सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर बदलने आदि के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है. पूर्व में सदर थाना के पुलिस अवर नीरिक्षक पवन चंद्र पाठत को डीपीएम के विरूद्ध जांच कर रिपोर्ट तैयार करने के लिए इंवेस्टिगेशन ऑफिसर (आईओ) बनाया गया था,

लेकिन पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा के पुलिस अधीक्षक ने विगत सोमवार की शाम जिलादेश संख्या 1412/2020 ज्ञापन संख्या 2752 के तहत पवन चंद्र पाठक को चाईबासा के मुफ्फसिल थाना का प्रभारी नियुक्त कर दिया है. ऐसे में अब डीपीएम के खिलाफ इंवेस्टिगेशन की कमान अब सदर थाना के किसी अन्य पुलिस अवर नीरिक्षक को सौंपी जायेगी

posted by : sameer oraon

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