Jharkhand News: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित भाजपा के 20 नेताओं को गुरुवार को चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. कदमा थाना की हाजत से वर्ष 2007 में भाजपा के तत्कालीन कदमा मंडल अध्यक्ष सुधांशु ओझा को छुड़ा कर भगा ले जाने के मामले में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत 20 आरोपियों के खिलाफ 24 अप्रैल 2007 का कदमा थाना में तत्कालीन थाना प्रभारी राजीव कुमार के बयान पर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था.
शिकायतकर्ता समेत पांच का हुआ था बयान दर्ज
चाईबासा के अधिवक्ता केशव प्रसाद और रांची के वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार, विनोद साहु, गौतम कुमार और मदन प्रसाद ने बचाव पक्ष की ओर से बहस की. वादी पक्ष की ओर से शिकायतकर्ता समेत पांच लोगों का बयान दर्ज किया गया. आरोपियों ने अपनी ओर से कोई गवाह पेश नहीं किया. सिर्फ धारा 313 के तहत अपना सेल्फ स्टेटमेंट दर्ज कराते हुए खुद को निर्दोष बताया. अदालत में शिकायकर्ता और गवाह अपने बयान का समर्थन नहीं कर पाये, जिसका लाभ आरोपियों को मिला.
20 आरोपी बरी, एक का हो चुका निधन
कदमा में भाजपा के नेता जटाधारी मंदिर की चहारदीवारी का समर्थन कर रहे थे, जबकि पुलिस जमीन अतिक्रमण का मामला बता रही थी. इस मामले में पुलिस ने कदमा भाजपा के तत्कालीन मंडलाध्यक्ष सुधांशु ओझा को हिरासत में लेकर कदमा थाना हाजत में लाकर बंद कर दिया था. भाजपा विधायक रहे रघुवर दास समेत अन्य नेताओं पर वर्तमान में जिला उपाध्यक्ष सुधांशु ओझा को जबरन कदमा थाना से छुड़ाने का मामला दर्ज किया गया. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, निवर्तमान जिप उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, राजकुमार राय, सुधांशु ओझा, अधिवक्ता देवेंद्र सिंह, अजीत सिंह, राम बाबू तिवारी, कुलवंत सिंह बंटी, अधिवक्ता राजहंस तिवारी कोर्ट, राजेश सिंह, उमेश सिंह, विकास सिंह, राजीव नंदन सिंह, बटेश्वर पांडेय, सुबोध श्रीवास्तव, मुकुल मिश्रा, देवानंद झा, विनोद सिंह, नंदजी प्रसाद, भुवनेश्वर सिंह व आरडी द्विवेदी को इस मामले में आरोपी बनाया गया था. इस मामले के आरोपी आरडी द्विवेदी का निधन हो चुका है. उन्हें छोड़कर बाकी सभी 20 आरोपी कोर्ट में पेश हुए.
साक्ष्य के अभाव में बरी
अदालत ने सुबह साढ़े सात बजे सभी ने अपनी हाजिरी दर्ज करायी. इसके बाद कोर्ट ने साढ़े ग्यारह बजे मामले की सुनवाई का वक्त तय किया. अदालत में सुनवाई के दौरान कुछ आरोपियों की उम्र संबंधी फर्क पर चर्चा हुई, लेकिन अंत में अदालत ने यह कहते हुए सभी को बरी कर दिया कि वादी की तरफ से ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिल पाया, जो उनके आरोपों का समर्थन करता हो. इसलिए अदालत सभी को साक्ष्याभाव में बरी करती है.
तीसरे मामले में भी आरोपी बरी
इससे पूर्व इस मामले की सुनवाई रांची हाईकोर्ट स्थित एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट से हुई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी वर्तमान या पूर्व एमपी-एमएलए के मामले की सुनवाई एक साल के भीतर खत्म करने का आदेश दिया है. इसे देखते हुए प्रमंडल वार प्रमंडल मुख्यालय में एक-एक एमपी-एमएलए कोर्ट बनाये गये. मामला मंदिर बनाने के लिए जबरन जमीन अतिक्रमण करने, वहां पर दंगा भड़काने व सरकारी काम में बाधा डालने और गिरफ्तारी के बाद आरोपी सुधांशु ओझा को थाना हाजत से जबरन भगाने से जुड़ा है. इस मामले से जुड़े पहले दो केस में ओझा सहित अन्य पहले ही बरी हो चुके हैं. उक्त घटनाक्रम से जुड़ा यह तीसरा मामला था.
Posted By : Guru Swarup Mishra