चाईबासा ( अभिषेक पीयूष ) : प्रतिबंधित भाकपा माओवादी संगठन से रिजनल कमांडर और 25 लाख का इनामी नक्सली विभीषण उर्फ मोछू उर्फ मेहनत उर्फ कुम्बा ने नाता तोड़ लिया है. सूत्र बताते हैं कि संगठन छोड़ने के बाद मोछू पुलिस के संपर्क में है. चर्चा यह भी रही कि मोछू ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. बता दें कि वर्ष 2018 में नक्सली मोछू पर राज्य सरकार ने 15 लाख का इनाम रखा था, लेकिन वर्ष 2019 में इसे बढ़कर 25 लाख कर दिया गया.
हालांकि पुलिस मुख्यालय या चाईबासा पुलिस के अफसरों ने सरेंडर की पुष्टि नहीं की. मोछू मूल रूप से धनबाद जिले के घोड़ाबांधा का निवासी है. पश्चिमी सिंहभूम के विभिन्न थानों में 40 से अधिक मामले दर्ज है. मोछू गोईलकेरा थाना क्षेत्र अंतर्गत डेरूवा गांव के आसपास के इलाकों में सक्रिय था. वह लेवी वसूलने का कार्य करता था.
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विभीषण उर्फ मोछू उर्फ मेहनत को राज्य के कई जिलों में झारखंड रीजनल कमिटी मेंबर (Jharkhand Regional Committee Member- JRCM ) के अलावा स्पेशल एरिया कमिटी (Special Area Committee – SAC) मेंबर के रूप में भी जाना जाता है. मोछू मुख्य रूप से कोल्हान के गोईलकेरा थाना क्षेत्र अंतर्गत डेरूवा गांव के आसपास के इलाकों में सक्रिय था. इसके अलावा बाईहातु, बुरूहुंदरू, सांगाजाटा, ससंगसाल, पाटूंगा के साथ-साथ टोंटो थाना क्षेत्र के गांबुरू, लुईया, रेंगड़ा, सरजामबुरू व तुम्बाहांका एवं चाईबासा के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत कुइड़ा, गितीलपी, ईचाहातु, मारादिरी आदि क्षेत्रों में भी भ्रमण कर उसने अपना खौफ लोगों में बना रखा था. कुख्यात मोछू संगठन के लिए मुख्य रूप से लेवी वसूलने का कार्य करता था. मोछू को लेवी वसूलने में संगठन का उस्ताद माना जाता था. मूल रूप से वह बड़े-बड़े कंस्ट्रक्शन कार्य में लगे ठेकेदारों व मुंशियों से लेवी वसूलने का कार्य करता था. मोछू लेवी वसूलने के लिए कई दफा सारंडा के जंगलों के रास्ते ओड़िशा भी चला जाया करता था और पुन: वापस भी लौट आता था.
कोल्हान में भाकपा माओवादी संगठन के पालिट ब्यूरो मेंबर (केंद्रीय समिति सदस्य) एक करोड़ के इनामी नक्सली मिसिर बेसरा उर्फ भाष्कर उर्फ सुनिर्मल उर्फ सागर का मोछु उर्फ मेहनत काफी करीबी माना जाता है. इस कारण भी मोछू को संगठन में झारखंड रीजनल कमिटी मेंबर का पद प्राप्त था. इसके बाद संगठन में स्पेशल एरिया कमिटी (सेक) सदस्य के रूप में 25 लाख का इनामी नक्सली अनमोल उर्फ सुशांत उर्फ लालचंद्र हेम्ब्रम, 25 लाख का इनामी नक्सली अजय महतो उर्फ बुधराम उर्फ टाइगर एवं सेक सदस्य 25 लाख का इनामी नक्सली चमन मांझी उर्फ लंबू उर्फ कर्मचंद्र हांसदा को संगठन में अव्वल दर्जा प्राप्त है. इसके बाद संगठन का एरिया कमांडर 2 लाख का इनामी नक्सली सागेन अंगरिया उर्फ श्याम अंगरिया एवं सब जोनल कमांडर नक्सली कांडे होंहागा मोछू उर्फ मेहनत के नीचे संगठन में कार्यरत थे. इधर, संगठन का एक अन्य जोनल कमांडर सुरेश मुंडा कोल्हान के पोड़ाहाट क्षेत्र में सक्रिय है.
पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा थाना क्षेत्र से विगत 10 जनवरी, 2021 को 25 लाख के इनामी भाकपा माओवादी संगठन मोछू दस्ता के सक्रिय सदस्य सिनु अंगरिया व जुगसिंह अंगरिया को चाईबासा पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. कई मामलों में जिला पुलिस को इन दोनों की तलाश थी.
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पश्चिमी सिंहभूम जिले के टोंटो थाना के रेंगड़ाहातु जंगल में विगत 9 जून 2021, को सुरक्षा बल और माओवादी मोछू के दस्ते के बीच मुठभेड़ हो गयी थी. मुठभेड़ में सुरक्षा बल को भारी पड़ता देख माओवादी जंगल का फायदा उठाते हुये भाग निकले थे. दरअसल पुलिस को सूचना था कि कुछ समय से मोछू का दस्ता टोंटो, बरकेला, गोइलकेरा समेत आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय रहकर संगठन चला रहा था.
पश्चिमी सिंहभूम जिला के टोंटो थाना क्षेत्र अंतर्गत रेंगडाहातू के गुरुबाग पहाड़ एवं सिमीलोहार पहाड़ी क्षेत्र में विगत 9 जून 2021, को माओवादी मोछू दस्ता के साथ हुये मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों द्वारा लगातार सर्च आपरेशन चलाया जा रहा था. इसी क्रम में विगत 11 जून 2021, को सर्च आपरेशन के दौरान सुरक्षा बल को भारी मात्रा में माओवादी संगठन द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री के साथ मुठभेड़ में शामिल एक प्राथमिक अभियुक्त आबील कोड़ा को गिरफ्तार किया गया था. उसने अपने स्वीकारोक्ति बयान में कहा था कि वह अजय उर्फ बुधराम तथा मोछू उर्फ मेहनत के नक्सली दस्ते से जुड़ा है.
हाल के महीने में झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर कई बड़े नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसम्पर्ण किया है. इनमें 10 लाख इनामी महाराजा प्रमाणिक ने अपने साथी के साथ सरेंडर किया है. वहीं 25 लाख के इनामी विमल यादव ने अपनी प्रेमिका के साथ सरेंडर किया था. हालांकि झारखंड पुलिस ने इन सभी नक्सलियों के आत्मसम्पर्ण करने की आधिकारिक पुष्टि अबतक नहीं की है. सूत्रों की मानें तो, डीके बासु गाइडलाइन के तहत किसी भी नक्सली के पुलिस के समक्ष सरेंडर करने के 24 घंटों के भीतर उसे न्यायालय में पेश किया जाना अनिवार्य है. ऐसे में पुलिस सरेंडर करने वाले नक्सली से उनके दस्ते से जुड़े कई महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाती है.
Posted By : Sameer Oraon