Jharkhand News: कोल्हान में बीते दो-तीन माह में सुरक्षा बलों के ताबड़तोड़ ऑपरेशन से नक्सलियों को भारी नुकसान पहुंचा है. प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी से करीब 25 समर्थकों ने दूरी बना ली है. पुलिस मुखबिर बनने के संदेह में नक्सली उनकी हत्या कर रहे हैं. टोंटो व गोइलकेरा क्षेत्र में बीते तीन दिनों में तीन ग्रामीणों की हत्या की गयी है. इन घटनाओं के बाद दहशत में करीब 40 ग्रामीण गांव छोड़कर भाग गये हैं. कोल्हान वन क्षेत्र के टोंटो व गोइलकेरा के घने जंगलों से सटे गांवों में सन्नाटा सा पसरा है. पुलिस व नक्सलियों के बीच चल रही लड़ाई में ग्रामीण पिस रहे हैं. क्षेत्र में लगातार मुठभेड़, आईईडी विस्फोट, स्पाइक होल के कारण सुरक्षा बलों के जवान व ग्रामीणों को भारी क्षति पहुंची है. हालांकि पुलिस के अनुसार, नक्सलियों को भी भारी नुकसान हुआ है. इससे वे बौखला गये हैं.
मुठभेड़ में कई नक्सली हुए घायल
पुलिस के अनुसार, मुठभेड़ के दौरान कई नक्सली जख्मी हुए हैं, वहीं एक मारा भी गया. शव पुलिस बरामद नहीं कर पायी है. उनके बंकर, ग्रेनेड सहित काफी मात्रा में सामान जब्त किये गये.
एक साल पहले 52 ग्रामीणों की मौत का फरमान सुनाया था
नक्सलियों ने पूर्व में 52 ग्रामीणों की मौत का फरमान सुनाया था. पुलिस को इसकी जानकारी करीब एक साल पूर्व हुई. नक्सलियों का कैंप ध्वस्त कर डायरी सहित कई सामान मिले थे. इसके कारण कई लोग गांव छोड़कर विभिन्न शहरों में रह रहे हैं. मेहनत- मजदूरी कर अपने परिवार की जीविका चला रहे हैं.
बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए छत्तीसगढ़ से पहुंचे नक्सली
कोल्हान वन क्षेत्र में शीर्ष नक्सली नेता सह एक करोड़ का इनामी मिसिर बेसरा ने कमान संभाल रखा है. यहां बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए छत्तीसगढ़ से नक्सली दस्ता को बुलाया गया है. पुलिस का कहना है कि छत्तीसगढ़ से दस्ता पहले भी आया है. सूत्रों की मानें, तो हाल में छत्तीसगढ से करीब 12- 15 नक्सली आये हैं. दस्ते में कुछ लडकियां भी हैं.
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सारंडा में दबिश के बाद टोंटो में जम गये नक्सली
वर्ष 2015- 16 से टोंटो को नक्सलियों ने अपना घर बना लिया है. सारंडा में पुलिस व सुरक्षाबलों का अभियान तेज हुआ, तो नक्सली टोंटो में आ गये. नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के सदस्य व बड़े नेता क्षेत्र के घने जंगल, पहाड़ों के गुफा और बंकर बनाकर रहने लगे. यहां ट्रेनिंग कैंप बना लिया था. गांव के कुछ लोग इनके लिए स्पाई का काम करने लगे. वर्ष 2022 से जिला पुलिस व सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाना शुरू कर दिया. पिकेट व कैंप खोले गये. इससे ग्रामीणों को बिजली और पानी की समस्या से काफी हद तक राहत मिली. वहीं सडकें बनने से आवागमन आसान हो गया.
दो और ग्रामीणों की हत्या करने पहुंचे थे नक्सली, नहीं मिलने पर घर में लगा दी आग
सूत्रों के अनुसार, सोमवार (21 अगस्त) की रात नक्सलियों ने पुलिस मुखबिर के संदेह में चार ग्रामीणों की हत्या की योजना बनायी थी. नक्सलियों ने सुपाय की हत्या और जमादार को पीटकर अधमरा कर दिया था. इसके बाद नक्सलियों ने गितिलगुटू गांव के बोयो और गांधी की तलाश की, लेकिन दोनों नहीं मिले. सूत्र बताते हैं बोयो व गांधी पूर्व में नक्सलियों को सहयोग करते थे. हाल में उनसे दूरी बना ली थी. इस वजह ने नक्सलियों इनकी मौत का फरमान सुना रखा है. नक्सलियों के गांव में प्रवेश करने की भनक लगते ही बोयो भाग निकला. गुस्साये नक्सलियों ने उसके घर में आग लगा दी थी. गांधी लंबे समय से गांव छोड़कर बाहर रह रहा है.
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नक्सली घिरे, तो आईईडी व स्पाइक होल का जाल बिछाया
टोंटो व गोइलकेरा में सुरक्षा बलों की दबिश से नक्सली चारों तरफ से घिर गये. ऐसे में सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने व अपनी सुरक्षा के लिए जगह-जगह आईईडी व स्पाइक होल का जाल बिछा दिया. इसकी चपेट में आने से एक दर्जन ग्रामीण की जान गयी. वहीं, कई घायल हुए. जबकि, कई जवान भी घायल हुए. हालांकि, सुरक्षा बलों ने करीब 200 आइइडी व दर्जनों स्पाइक होल को नष्ट कर दिया था.
मारे गये ग्रामीणों के आश्रितों को मुआवजा का प्रस्ताव भेजा : डीआईजी
पुलिस मुखबिरी के संदेह में ग्रामीणों की हत्या को कोल्हान डीआईजी अजय लिंडा ने नक्सलियों की बौखलाहट बताया है. उन्होंने बताया कि जिन ग्रामीणों की हत्याएं हुई हैं, वे पुलिस के मुखबिर या एसपीओ नहीं थे. सभी पूर्व में नक्सली समर्थक थे. मारे गये ग्रामीणों के आश्रितों को सरकार के संकल्प के अनुसार लाभ दिया जायेगा. इसका प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है.
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