पेयजल की वजह से हर साल लाखों को लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. जलजनित बीमारी से बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो जाती है. लोगों को स्वच्छ पेयजल मिले, इसके लिए केंद्र से लेकर राज्य तक की सरकारें काम कर रही हैं. घर-घर नल से जल पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन, झारखंड के सुदूरवर्ती जिला चतरा में हरिजन परिवारों को अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी का पानी पीना पड़ रहा है.
बसरिया गांव में नहीं है शुद्ध पेयजल का कोई स्रोत
चतरा जिला के जोरी प्रखंड अंतर्गत करमा पंचायत के ग्राम बसरिया मे रहने वाले हरिजन परिवार पिछले 25 वर्षों से अमझर नदी का पानी पी रहे हैं. दरअसल, बसरिया में किसी भी तरह का शुद्ध पेयजल स्रोत नहीं है. बरसात के दिनों में नदी का पानी गंदा हो जाता है. इन लोगों को यही पानी पीना पड़ता है.
अब तक नहीं हुआ जलमीनार का निर्माण
दो वर्ष पूर्व पंचायत स्तर से 14वें वित्त आयोग के तहत जलमीनार के निर्माण का काम शुरू हुआ था. जल मीनार का काम आरंभ होने के बाद इन ग्रामीणों में शुद्ध पानी उपलब्ध होने को लेकर एक उम्मीद जगी थी, लेकिन जलमीनार बनने से पहले ही उजड़ गया.
सोलर प्लेट और मोटर ले गये पूर्व मुखिया
ग्रामीण रामवृक्ष भुईयां, बजरंगी भुईयां, पूनम देवी, सरिता देवी, भोला भुईयां, संगीता देवी, रामनाथ भुईयां, प्यारी देवी, दिलीप भुईयां, विकास भुईयां ने बताया कि जलमीनार में लगाये जाने वाले सोलर प्लेट तथा मोटर पूर्व मुखिया द्वारिका दास अपने घर ले गये.
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ग्रामीणों को आज भी नसीब नहीं शुद्ध पेयजल
इसके चलते 25 वर्ष बाद शुद्ध पेयजल मिलने की आस टूट गयी. हम लोगों को आज भी शुद्ध जल नसीब नहीं है. गंदा पानी पीने की वजह से लोग कई तरह की बीमारी के शिकार हो जाते हैं. ग्रामीणों ने उपायुक्त से मामले की जांच कराकर जलमीनार को चालू कराने की मांग की है.