Jharkhand news: चतरा जिला अंतर्गत हंटरगंज प्रखंड के औरू निवासी किसान राजेश चौहान आधुनिक विधि से व्यवसायिक कृषि के क्षेत्र में किसानों के लिए रोल मॉडल बन गये हैं. अपने गांव से 20 किलोमीटर दूर गोडवाली गांव में बंजर जमीन को किराये पर लेकर गरमा फसल की खेती की है. इस कृषि कार्य में इन्हें भाई रवि चौहान के अलावा उनके गांव का एक सहयोगी अंकित कुमार का भी सहयोग मिल रहा है. कठिन परिश्रम तथा पक्के इरादे के बदौलत आज गोडवाली की 3 एकड़ बंजर भूमि पर तरबूज और एक एकड़ में खीरा की फसल लहलहा रही है. उनके इस परिश्रम की प्रशंसा जहां प्रखंड क्षेत्र में होने लगी है, वहीं गोडवाली सहित आसपास गांव के किसानों के लिए राजेश प्रेरणास्रोत भी बन गये हैं.
टपक विधि से करते हैं खेती
राजेश इस फसल की सिंचाई टपक विधि से करते हैं. भूमिगत जलस्रोत नहीं रहने के कारण सिंचाई के लिए लीलाजन नदी के किनारे बोरिंग कर 800 मीटर से भी अधिक दूरी तक डिलिवरी पाइप से लिफ्ट कर फसल के लिए पानी पहुंचाते हैं.
आर्गेनिक खाद का करते हैं प्रयोग
राजेश गरमा फसल में रासायनिक उर्वरक की जगह ऑर्गेनिक खाद का प्रयोग करते हैं. इसमें सागरिका तथा बायोविटा के साथ घुलनशील खाद नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश (NPK) के मिश्रण के अलावे फसल लगाने से पूर्व सड़े गोबर के खाद का प्रयोग करते हैं.
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लीज पर ली है जमीन
प्रगतिशील किसान राजेश बताते हैं कि अपनी जमीन नहीं होने के बावजूद लीज पर जमीन लेकर आधुनिक विधि से व्यवसायिक कृषि कार्य करने की प्रेरणा ओरमांझी के किसान वासुदेव महतो से मिली. वासुदेव महतो के घर 8 साल तक नौकरी कर आधुनिक तरीके से व्यवसायिक खेती करने के गुर सीखे. इसके बाद अपनी जमीन नहीं रहने पर पांच हजार रुपये सालाना प्रति एकड़ लीज पर जमीन लेकर तरबूज तथा खीरा की खेती की है.
अच्छी आमदनी का अनुमान
राजेश कहते हैं कि इस खेती में अब तक करीब एक लाख रुपये की पूंजी लगा चुके हैं. फिलहाल, फसल का ग्रोथ अच्छा रहा है. मौसम साथ दिया, तो तीन से चार लाख तक की आमदनी होने का अनुमान है. इसी जमीन में इससे पूर्व मटर की फसल की थी. जिसमें 30,000 रुपये की पूंजी लगायी थी. मौसम की बेरुखी के बावजूद भी 45,000 रुपये की कमाई हुई थी.
कृषि कार्य में पूंजी बड़ी बाधा
प्रगतिशील किसान राजेश ने बताया कि कृषि कार्य में पूंजी बड़ी बाधा है. कहा कि गरीब परिवार से होने के कारण मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं. कहा कि हमारे पास आधुनिक विधि से खेती करने का हुनर और जज्बा तो है, लेकिन पूंजी का बहुत अभाव है. अगर कृषि कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए बैंक से ऋण की सुविधा मिले, तो क्षेत्र के किसानों के साथ व्यावसायिक खेती कर जहां आत्मनिर्भर होंगे, वहीं अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत होते हुए कम पूंजी में अधिक लाभ जैसे रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएंगे. कहा कि आगे स्ट्रॉबेरी, शिमला मिर्च, स्वीट कॉर्न सहित अन्य सब्जियों की खेती करने की योजना है, जिसमें बड़ी पूंजी की जरूरत होगी.
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रिपोर्ट : दीनबंधू/ अभिमन्यु सिंह, चतरा.