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ग्लेन मैक्सवेल के बहाने कपिल देव भी याद आए

ग्लेन मैक्सवेल ने एक अहम मुकाबले में सात नवंबर को अफगानिस्तान को हरा दिया. 100 रन के अंदर ऑस्ट्रेलिया के सात विकेट गिर चुके थे. तब मैक्सवेल ने दोहरा शतक जड़ा. कहा जाए तो मैक्सवेल अकेले दम पर इस मैच को अपनी टीम की झोली में डाल दिया.

वरिष्ठ खेल पत्रकार सुफल भट्टाचार्य की फेसबुक वाल से

इस वक्त हर तरफ वर्ल्ड कप का शोर है. रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड बन रहे हैं. कुछ रिकॉर्ड टूट भी रहे हैं. इसी कड़ी में ऑस्ट्रेलिया-अफगानिस्तान मैच का जिक्र जरूरी है. यह मैच भी वर्ल्ड कप के इतिहास में अमर हो गया. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मंगलवार को ग्लेन मैक्सवेल ने फिर बता दिया कि क्यों उन्हें विश्व क्रिकेट का सबसे खतरनाक बल्लेबाज कहा जाता है. मैक्सवेल को चोट लगी, दो-दो बार फिजियो आए, लेकिन वह लगभग लंगड़ाते हुए टीम को जीत की मंजिल तक ले गए.

मैक्सवेल ने अकेले दिला दी जीत

अफगान टीम पर जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया को 292 रन बनाने थे. इस मैच में जीत के साथ कंगारुओं का सेमीफाइनल में स्थान पक्का था. लेकिन 91 रन पर ही सात कंगारू बल्लेबाज पवेलियन लौट गए. ऑस्ट्रेलियाई खेमे में सन्नाटा पसर गया, हार सामने मंडरा रही थी. ऐसे में मैक्सवेल आगे आए और अफगान गेंदबाजों के सामने अड़ गए. असंभव को संभव कर दिखाया. मैक्सवेल ने मजबूती से मोर्चा संभाला और अविश्वसनीय पारी से टीम की नैया पार लगा दी. सिर्फ 128 गेंदों पर 21 चौकों व दस छक्कों के सहारे अफगानिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

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मैक्सवेल में दिखी कपिल की झलक

अब चलिए पर्दा सरकाते हुए 40 साल पीछे लौटते हैं और उस पारी को मैक्सवेल की पारी के बहाने याद करते हैं जिसने भारत को 1983 का विश्व कप चैंपियन बनाने का रास्ता दिखाया था. जी हां, सदी के भारतीय क्रिकेटर कपिल देव की वह अविश्वसनीय, अद्भुत बेजोड़ कप्तानी पारी थी. जिसने पूरी क्रिकेट दुनिया में तहलका मचा दिया.

1983 में चला था कपिल का जादू

ट्रेंटब्रिज वेल्स में वह 18 जून 1983 की तारीख थी. विश्व कप के लीग मैच में डंकन फ्लेचर की जिम्बाब्वे की टीम सामने थी. मुकाबला 60 ओवरों का था (तब वन डे 60 ओवरों के हुआ करते थे). विश्व कप के इस महत्वपूर्ण मैच में कप्तान कपिल देव ने टॉस जीता और पहले बैटिंग का फैसला लिया. शुरुआत अच्छी नहीं रही. जिम्बाब्वे के रॉसन व करेन की जोड़ी ने भारत के टॉप आर्डर को 17 रन पर उखाड़ फेंका.

खाता भी नहीं खोल पाए थे गावस्कर

गावस्कर और श्रीकांत जैसे बल्लेबाज खाता तक न खोल सके. मोहिंदर अमरनाथ 5, संदीप पाटिल 1, यशपाल शर्मा 9 रन बनाकर पवेलियन लौट गए. स्कोर हो गया था 17 रन पर पांच विकेट. जिम्बाब्वे की टीम जीत सामने देख रही थी. दूसरी ओर भारतीय खेमा हकबकाया हुआ था, किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था. ऐसे में कपिल देव ने मोर्चा संभाला और क्या खूब संभाला. रनों की बारिश कर दी.

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कपिल ने जड़े थे 16 चौके और 6 छक्के

कपिल ने 138 गेंदों पर सोलह चौकों और छह छक्कों की बदौलत 175 रन की तूफानी पारी खेल डाली. हां, रोजर बिन्नी (22), मदन लाल (17) और विकेटकीपर सैयद किरमानी (24) ने भी कपिल का भरपूर साथ दिया. कपिल ने मैदान के चारों तरफ शॉट मारे और भारत का स्कोर साठ ओवर में 266 रन पर पहुंचा दिया. कपिल ने भारत को जीतने लायक स्कोर तक पहुंचा दिया था. विश्व कप क्रिकेट के 48 साल के इतिहास में इस पारी को अब तक याद किया जाता है.

मैच के क्लिप उपलब्ध नहीं

मैक्सवेल की तरह ही, कपिल ने टेलेंडर्स के साथ रन बनाए. भारत का स्कोर एक समय 17 रन पर पांच विकेट था. फिर 77 पर सात विकेट हो गया. मैच और वर्ल्ड कप दोनों हाथ से जाते दिख रहे थे. लेकिन कपिल के इरादे कुछ और थे. वह खेलते रहे, बस खेलते रहे. स्कोर बोर्ड घूमता रहा. दुर्भाग्य यह है कि उस दिन बीबीसी की हड़ताल थी. इस वजह से मैच की कोई क्लिपिंग नहीं है.

कपिल ने एक विकेट भी चटकाया था

आधा मैच भारत ने जीत लिया था. बाकी कसर भारतीय गेंदबाजों ने पूरी कर दी. जवाबी पारी खेलने उतरी जिम्बाब्वे की टीम केविन करेन (73) की पारी की बदौलत 57 ओवर में 235 रन का स्कोर ही खड़ा कर पाई. मदनलाल ने तीन, रोजर बिन्नी ने दो व कपिल देव, बलविंदर, संधू, मोहिंदर अमरनाथ ने क्रमश: एक-एक विकेट लिया. मालूम हो कि इस मैच के ठीक सात दिन बाद भारत ने क्लाइव लॉयड की अपराजेय टीम को फाइनल में हराकर पहली बार वर्ल्ड कप जीतने में सफलता पाई.

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