साल 1983 भारतीय क्रिकेट जगत में एक नयी क्रांति लेकर आया. यह वही साल था जब भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था. वर्ल्ड कप के शुरुआत से पहले भारत को काफी कमजोर टीम माना जा रहा था. पर मैच दर मैच भारतीय टीम ने सबको चौंकाया और कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया पहली बार वर्ल्ड चैंपयिन बनी थी. ऐसे में आज हम आपको वर्ल्ड कप 1983 में भारत द्वारा खेले गए हर मैच की रोमांचक कहानी के बारे में बताएंगे की आखिर कैसे करोंड़ों भारतीय का सपना इस वर्ल्ड टीम इंडिया ने पूरा किया था.
भारत बनाम वेस्टइंडीज, 9 जून
साल 1983 का वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला जा रहा था. इस वर्ल्ड कप में भारत का पहला मुकाबला 9 जून को उस वक्त की दिग्गज टीम वेस्टइंडीज से हुआ. सभी क्रिकेट एक्सपर्ट ने मैच से पहले ही यह मान लिया था कि इस मुकाबले में भारतीय टीम को वेस्टइंडीज के हाथों बुरी शिकस्त मिलेगी. मैच की शुरुआत हुई और भारतीय टीम ने इस मुकाबले में पहले बल्लेबाजी करना शुरू किया. टीम इंडिया की मैच में शुरुआत अच्छी नहीं रही और भारत ने टॉप ऑर्डर के शुरुआती तीन विकेट 76 रनों पर ही खो दिया. तीन विकेट के पतन के बाद भारतीय टीम की पारी को यशपाल शर्मा ने संभाला उन्होंने इस मुकाबले में वेस्टइंडीज के मजबूत तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने शानदार बल्लेबाजी की और 12 गेंदों में 9 चौकों की मदद से 89 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली. यशपाल के अलावा भारत के निचले क्रम में रोजर बिन्नी (27) और मदन लाल (21) रन बनाए. इन सब की पारियों के बदौलत भारत ने वेस्टइंडीज के सामने 263 रनों का लक्ष्य जीत के लिए रखा. शुरुआत झटकों के बाद टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज के सामने अच्छा टारगेट रखा था. अब बारी गेंदबाजो की थी.
भारत की तरह वेस्टइंडीज को भी इस मुकाबले में अच्छी शुरुआत नहीं मिल सकी और दिलचस्प बात यह रही की वेस्टइंडीज के भी शुरुआती तीन विकेट 76 रनों पर ही गिरे. हालांकि वेस्टइंडीज की पारी कोई भी बल्लेबाज संभाल नहीं सका. विवियन रिचर्ड्स, सर क्लाइव लॉयड, गॉर्डन ग्रीनज जैसे दिग्गजों के रहते भी कैरेबियाई टीम 263 के टारगेट तक नहीं पहुंच पाई और महज 228 रनों पर आलआउट हो गई. भारत के लिए पहले मैच में गेंदबाजी के दौरान रवि शास्त्री और रोजर बिन्नी ने कमाल किया दोनों ने इस मुकाबले में 3-3 विकेट अपने नाम किया.
भारत बनाम जिम्बाब्वे, 11 जून
1983 वर्ल्ड कप में भारत का दूसरा मुकाबला जिम्बाब्वे से हुआ. इस मुकाबले में टीम इंडिया का पलड़ा शुरू से ही भारी माना जा रहा था. टीम इंडिया ने इस मैच में उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन भी किया. मुकाबले में जिम्मबाब्वे की टीम पहले बल्लेबाजी करने आई. भारत की ओर से इस मुकाबले में मदन लाल और रोजर बिन्नी बॉलिंग में छा गए दोनों ने इस मुकाबले में क्रमश:3 और 2 विकेट अपने नाम किए. इन दोनों की धारधार गेंदबाजी के दमपर जिम्बाब्वे की टीम महज 155 रनों पर आलाउट हो गई.
156 रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को इस मैच भी भी अच्छी शुरुआत नहीं मिली और टीम को पहला झटका सुनील गावस्कर (4) के रूप में लगा. हालांकि भारतीय टीम इसके बाद संभली और इस मुकाबले में टीम इंडिया की ओर से मोहिंदर अमरनाथ (44) और संदीप पाटिल ने (50) रनों की अर्धशतकीय पारी खेली. इन दोनों बल्लेबाजों के कमाल के प्रदर्शन से भारत ने जिम्बाब्वे को 5 विकेट से मात दी और 156 का टारगेट 37.3 ओवर्स में ही पूरा कर लिया.
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, 13 जून
1983 विश्व कप में भारत का तीसरा मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के साथ हुआ. भारत को इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के हाथों बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था. यह वही मुकाबला था जिसमें कंगारू टीम की ओरसे ट्रेवर चैपल ने अपने बल्ले से कोहराम मचाते हुए शानदार शतक ठोका था. इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. मैच में ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज ट्रेवर चैपल ने शुरुआत से ही भारतीय बॉलर्स पर आक्रमण किया और 131 गेंदों में 11 चौके की मदद से 110 रनों की शतकीय पारी खेली. चैपल के अलावा इस मैच में ऑस्ट्रेलिया की ओर से किम ह्यूज ने 52 और ग्राहम येलोप ने 66 रनों की अर्धशतकीय पारी खेली. इन बल्लेबाजों के धमाकेदार बैटिंग के दमपर ऑस्ट्रेलिया ने भारत के सामने 321 रनों का बड़ा लक्ष्य रखा. यह मुकाबला भारतीय कप्तान कपिल देव के लिए अच्छा रहा और उन्होंने 5 विकेट अपने नाम किए थे.
321 रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम शुरुआत से ही मैच से दूर नजर आई. टीम इंडिया के 5 विकेट 64 रनों पर ही गिर गए. हालंकि बाद में कप्तान कपिल देव और मदन लाल ने भारतीय पारी को संभालने की कोशिश की पर वह मैच में टीम इंडिया की वापसी नहीं करा सकें और टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैच में 158 रनों पर आलआउट हो गई. ऑस्ट्रेलिया के लिए इस मैच में किन मैक्ले ने 6 विकेट अपने नाम किए थे. भारत को इस मुकाबले में 162 रनों से हार का सामना करना पड़ा था. यह वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की पहली हार थी.
भारत बनाम वेस्टइंडीज, 15 जून
1983 वर्ल्ड कप में दूसरी बार भारत का सामना वेस्टइंडीज से हुआ. इस मुकाबले में कैरेबियन टीम भारत से पहले मैच में मिली हार का बदला लेने उतरी थी. वेस्टइंडीज की टीम ने मैच में पहले बल्लेबाजी करना शुरू किया. भारत के खिलाफ इस मैच में विवियन रिचर्ड्स ने बल्ले से धमाका करना शुरू किया. उन्होंने भारत के हर गेंदबाज की जमकर धुनाई की और इस मैच में शानदार शतक लगाया. रिचर्ड्स के अलावा कप्तान क्लाइव लॉयड ने भी 451 रनों की पारी खेली. दोनों की पारियों के बदौलत वेस्टइंडीज ने भारत को जीत के लिए 283 रनों का लक्ष्य दिया. टीम इंडिया के लिए इस मैच में रोजर बिन्नी ने 3 विकेट अपने नाम किए.
284रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज 21 रनों अंदर आउट हो गए. हालांकि इसके बाद मोहिंदर अमरनाथ (80) और दिलीप वेंगसरकर ने टीम इंडिया की पारी को संभाला. भारतीय टीम इस मैच में लगा की वापसी कर लेगी. पर अमरनाथ और दिलीप के आउट होते हुए टीम पूरी तरह से बिखर गई. वेस्टइंडीज के तेज बॉलिंग अटैक ने भारत के लोअर मिडिल ऑर्डर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया और भारतीय टीम 216 रनों पर ही आलआउट हो गई. वेस्टइंडीज ने भारत को इस मुकाबले में 66 रनों से मात दी थी. यह टीम इंडिया की वर्ल्ड कप में दूसरी हार थी.
भारत बनाम जिम्बाब्वे, 18 जून
भारत और जिम्बाब्वे का यह मैच क्रिकेट इतिहास का सबसे यादगार मैचों में से एक माना जाता है. यह वही मैच था जब दुनिया ने कपिल देव के बल्ले का तूफान देखा था. मैच की शुरुआत भारत की बैटिंग से हुई टीम इंडिया के 5 विकेट 17 रन पर गिर गए. इतनी खराब शुरुआत के बाद ऐसा लगा कि टीम इंडिया इस मैच में 100 रनों तक भी नहीं पहुंच पाएगी. पर कप्तान कपिल देव ड्रेसिंग रूम से कुछ और ही सोचकर आए थे. कपिल ने इस मैच में पहले रोजर बिन्नी के साथ साझेदारी निभाई और अपनी पारी को बुनना शुरू किया. कपिल ने धीरे-धीरे भारतीय पारी को संभाला और अंत के ओवर्स में सैयद किरमानी के साथ मिलकर ताबड़तोड़ अंदाज में बल्लेबाजी करना शुरू किया. कपिल ने इस मुकाबले में 138 गेंदों पर 16 चौके और 6 छक्कों की मदद से नाबाद 175 रनों की पारी खेली. कपिल के इस धमाकेदार पारी के दमपर भारत ने जिम्बाब्वे को 267 रनों का बड़ा लक्ष्य दिया. दुख की बात यह है कि कपिल के इस यादगार पारी का लाइव टेलीकास्ट नहीं हो सका था.
267 रनों का पीछा करने उतरी जिम्बाब्वे की शुरुआत ठीक-ठाक रही. हालांकि भारतीय गेंदबाजों ने वापसी की और जिम्बाब्वे की आधी टीम को 103 रनों पर पवेलियन की राह दिखाई. जिम्बाब्वे के लिए मिडिल ओवर में केविड कुर्रन ने 73 रनों की पारी खेली हालांकि वह टीम को जीत नहीं दिला सकें. जिन्मबाब्वे की टीम इस मैच में 235 रनं पर आलआउट हो गई. भारत के लिए इस मैच में भी रोजर बिन्नी और मदन लाल ने बॉलिंग में कमाल किया और क्रमश: 2 और 3 विकेट अपने नाम किए.
भारत बनाम इंग्लैंड, 22 जून (पहला सेमीफाइनल)
भारत और इंग्लैंड के बीच 1983 वर्ल्ड कप का पहला सेमीफाइनल खेला गया. इस मैच में इंग्लिश टीम पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय गेंदबाजों ने इस मैच में कमाल का प्रदर्शन किया और इंग्लिश टीम को महज 213 रनों पर रोक दिया. भारत की ओर से कप्तान कपिल देव ने इस मैच में सबसे ज्यादा 3 विकेट और रोजर बिन्नी और मोहिंदर अमरनाथ ने 2-2 विकेट अपने नाम किए थे.
214 रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने शानदार बल्लेबाजी की. टीम इंडिया के लिए इस मैच में यशपाल शर्मा ने (61) और संदीप पाटिल (51) ने शानदार अर्धशतकीय पारी खेली. इन दोनों के अलावा मोहिंदर अमरनाथ ने भी 46 रनों की अच्छी पारी खेली. सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार बैटिंग की और फाइनल में अपना स्थान पक्का किया.
भारत बनाम वेस्टइंडीज (25 जून, फाइनल)
1983 वर्ल्ड कप का फाइनल खिताबी भिड़ंत में भारत के सामने वेस्टइंडीज की चुनौती थी. यह इस वर्ल्ड कप में तीसरी बार था जब भारत और वेस्टइंडीज के बीच मुकाबला होना था. इस मैच में टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. भारतीय टीम की शुरुआत इस मुकाबले में बेहद खराब रही और टीम को पहला बड़ा झटका सुनील गावस्कर के रूप में सिर्फ 2 रन पर लगा. हालांकि बाद में श्रीकांत और अमरनाथ ने टीम की पारी को संभाला और भारत का स्कोर 50 के पार पहुंचाया. हालांकि इसके बाद भारत के एक भी बल्लेबाज वेस्टइंडीज के तेज आक्रमण के सामने टिक नहीं सका और भारतीय टीम खिताबी मुकाबले में महज 183 रनों पर आलआउट हो गई.
भारत के इतने कम स्कोर को देखते हुए सभी ने अंदाजा लगा लिया था कि वेस्टइंडीज लगातार तीसरी बार वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम करेगी. पर भारतीय कप्तान कपिल देव ने कुछ और ही सोच के रखा था. वेस्टइंडीज की शुरुआत मुकाबले में खराब रही और टीम के 5 विकेट 66 रन पर ही गिर गए. भारत के लिए इस मैच में सबसे बड़ा विकेट सर विव रिचर्ड्स का रहा. जिन्हें मदन लाल ने कपिल देव के हाथों कैच कराया. इस विकेट के बाद भारतीय टीम में अलग जान आ गई औऱ टीम के गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए खिताबी मुकाबले में वेस्टइंडीज को महज 140 रनों पर आलआउट कर दिया. इस जीत के साथ ही भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया. भारत के वर्ल्ड कप जीत के बाद पूरे देश में क्रिकेट को लेकर अलग क्रांति जागी. इस वर्ल्ड कप के बाद भारत ने साल 2011 में अपना दूसरा वनडे वर्ल्ड कप जीता.
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