नयी दिल्ली : विराट कोहली की कप्तानी की गाथा भारतीय क्रिकेट में सबसे विवादास्पद और चर्चित विषयों में से एक के रूप में इतिहास में दर्ज हो गया. भारत की एकदिवसीय टीम के कप्तान के रूप में कोहली को हटाकर रोहित शर्मा को कप्तान बनाया गया. इस पर कोहली ने बेबाकी से अपनी बात रखी और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के बयान को गलत करार दिया.
विराट कोहली ने उल्लेख किया कि चयनकर्ताओं ने उन्हें 8 दिसंबर को दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टेस्ट टीम की घोषणा से डेढ़ घंटे पहले एकदिवसीय कप्तान के रूप में हटाने के बारे में सूचित किया था. इससे एक बार फिर बहस छिड़ गयी कि क्या चयनकर्ताओं का केवल विराट कोहली को सूचित करना सही है. जबकि उनकी राय पर विचार करना सही तरीका था.
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भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी कीर्ति आजाद का मानना है कि चयनकर्ताओं को इस मामले में गांगुली के पास पहुंचना चाहिए था और उनकी मंजूरी के बाद ही फैसला करना चाहिए था. आजाद का मानना है कि सदियों से चली आ रही परंपरा को बोर्ड के अध्यक्ष से मंजूरी की मुहर मिलना जरूरी और फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि अगर यह चयनकर्ताओं द्वारा तय किया जाना था, तो उन्हें अध्यक्ष के पास जाना चाहिए था.
आजाद ने न्यूज 18 से कहा कि आम तौर पर क्या होता है कि जब एक टीम का चयन किया जाता है जब हम टीम का चयन करेते हैं और अध्यक्ष के पास जायेंगे वह देखेंगे, ठीक है, इस पर हस्ताक्षर करते हैं और फिर इसकी घोषणा की जायेगी. आजाद ने कहा कि जब मैं भी एक चयनकर्ता था तब भी ऐसा ही होता था. आजाद का मानना है कि स्टार बल्लेबाज निश्चित रूप से आहत होंगे. आजाद ने आगे कहा कि हालांकि उनका मतलब चयनकर्ताओं का अपमान करना नहीं है, लेकिन कोहली का क्रिकेट खेलने का अनुभव कहीं अधिक है.
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आजाद ने यह भी जोड़ा कि जाहिर है, यदि आप किसी भी प्रारूप के लिए कप्तान बदल रहे हैं, तो आप अध्यक्ष को लिखें और सूचित करें. विराट परेशान नहीं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि जिस तरह से उन्हें सूचित किया गया है, उससे वह आहत हैं. आप समझ सकते हैं, मैं यह नहीं कहना चाहता कि सभी चयनकर्ता वास्तव में महान लोग हैं, लेकिन यदि आप उनके कुल मैचों की संख्या देखें तो जो विराट ने खेला है उसका आधा भी नहीं होगा.