एशियाई खेलों में इस साल से क्रिकेट को भी शामिल किया गया है. भारत के तरफ से खेलों में भाग लेने गए भारत के सलामी बल्लेबाज ऋतुराज गायकवाड़ ने बातचित के दौरान कई सारी बात साझा की. खेलों में ऋतुराज गायकवाड़ को भारतीय टीम का कप्तान चुना गया है. ऋतुराज गायकवाड़ आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से खेलते हैं. गायकवाड़ आईपीएल में धोनी की कप्तानी में कई मैच खेल चुके हैं और उनसे कई सारी चिजें सीखते भी नजर आते हैं. इस साल हांगझोउ में चल रहे खेलों में क्रिकेट के आयोजन के प्रारंभ होने से पहले उनसे कुछ सवाल जवाब किया गया. जिसका उन्होंने बहुत ही सिम्पल तरीके से जवाब देते हुए नजर आए.
उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी से काफी कुछ सीखा है लेकिन पहली बार एशियाई खेलों की क्रिकेट स्पर्धा में भारतीय पुरुष टीम की कप्तानी कर रहे ऋतुराज गायकवाड़ ने कहा कि उनकी कप्तानी की अपनी शैली है .महिला टीम के बाद अब भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम भी स्वर्ण पदक की दावेदार होगी. भारतीय टीम मंगलवार को क्वार्टर फाइनल खेलने उतरेगी. इंडियन प्रीमियर लीग में धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलने वाले गायकवाड़ ने कहा ,‘ मैने धोनी से बहुत कुछ सीखा है लेकिन हर व्यक्ति की अपनी शैली होती है. उनकी शैली अलग है, उनकी शख्सियत अलग है और मेरी अलग है .’उन्होंने कहा ,‘ मैं उनके जैसा कुछ करने की बजाय अपनी शैली से खेलूंगा. हालात का सामना करने और खिलाड़ियों के सही उपयोग को लेकर उनसे मिली सीख को मैं जरूर अमल में लाऊंगा .’
गायकवाड़ ने कहा कि धोनी अपनी कप्तानी के दौरान बहुत ही सही तरीके से खिलाड़ियों का चयन करते हैं. माही परिस्थिति के अनुशार खिलाड़ियों को बल्लेबाजी और गेंदबाजी पर भेजते हैं. मैंने उनसे बहुत कुछ सिखा है. मैं खेल के दौरान अपनी शैली का प्रयोग करूंगा पर यदि परिस्थिति गंभीर नजर आई तो मैं धोनी से सीखी हुई शैली पर जरूर अमल करूंगा.
भारतीय कोच वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि चीन में क्रिकेट खेलना अनोखा अनुभव होगा . उन्होंने कहा ,‘ यहां बहुत अलग है . हमने कभी सोचा भी नहीं था कि चीन में क्रिकेट खेलेंगे . पूरी टीम के लिये यह शानदार मौका है . एशियाई खेलों में भाग लेना गर्व की बात है .’ गायकवाड़ ने कहा ,‘ क्रिकेट में विश्व कप है, आईपीएल है और घरेलू टूर्नामेंट है . हम उस तरह के हालात और माहौल के आदी है लेकिन यहां खेलगांव में रहना , दूसरे खिलाड़ियों को और उनके संघर्षों को जानना अलग अनुभव है . उन्हें दो तीन साल या चार साल में खेलने का मौका मिलता है . हमें खेलगांव का दौरा करके बहुत अच्छा लगा .’