मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने भले ही नॉन स्ट्राइकर छोर पर गेंद फेंके जाने से पहले बल्लेबाज को आउट करने को अनुचित खेल की श्रेणी से हटा दिया है, लेकिन इस फैसले के बाद फिर से मांकडिंग (mankading) पर चर्चा तेज हो गयी है. कुछ क्रिकेटरों ने इस फैसले का सम्मान किया है, तो कुछ ने इसपर निराशा भी जतायी है.
डेविड वॉर्नर ने मांकडिंग को खेल भावना से जुड़ा मुद्दा बताया
ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज डेविड वार्नर का मानना है कि मांकडिंग खेल भावना से जुड़ा मुद्दा है, लेकिन वह इसे बल्लेबाज की गलती भी मानते हैं. डेविड वॉर्नर ने पाकिस्तान के खिलाफ दूसरे टेस्ट क्रिकेट मैच से पहले कहा, मेरा अब भी मानना है कि खेल का इतिहास हमें बताता है कि यह खेल भावना से जुड़ा मुद्दा है. आप खिलाड़ियों से ऐसा करने की उम्मीद नहीं करते हैं. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि सीमित ओवरों की क्रिकेट में हमने ऐसा अधिक देखा है जबकि बल्लेबाज रन के लिये पहले ही आगे निकल जाता है. एक बल्लेबाज के रूप में आपको अपनी क्रीज पर रहना चाहिए. वार्नर ने कहा, इसमें संदेह नहीं कि यदि आप इस तरह से रन आउट हो जाते हैं तो यह आपकी गलती है. आपको बताया गया है कि जब तक गेंदबाज के हाथ से गेंद नहीं छूटती तब तक आपको क्रीज से बाहर नहीं निकलना है. इसलिए ऐसा नहीं करें.
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मांकडिंग पर एमसीसी का क्या है फैसला
क्रिकेट कानूनों के संरक्षक, एमसीसी ने रन आउट के इस विवादास्पद तरीके को अनुचित खेल से हटाकर आम रन आउट की श्रेणी में रख दिया है. यानी अब नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़ा बल्लेबाज गेंदबाज के हाथ से गेंद निकलने से पहले क्रीज से बाहर निकल आता है और उसी समय गेंदबाज स्टंप पर गेंद मार देता है, तो बल्लेबाज रन आउट करार दिया जाएगा.
भारत के वीनू मांकड़ ने सबसे पहले मांकडिंग का किया था प्रयोग
आम बोलचाल की भाषा में इस तरह के रन आउट को मांकड़िंग कहते हैं. भारत के दिग्गज ऑलराउंडर वीनू मांकड़ ने 1947 में दो बार ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज बिल ब्राउन को इस तरह से आउट किया था. इसके बाद ही इस तरह के रन आउट को मांकड़िंग कहा जाने लगा था. मांकड़ के अलावा रविचंद्रन अश्विन और मुरली कार्तिक ने भी बल्लेबाजों को कई बार ऐसे आउट किया है. जिसके लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई.