भारतीय टीम में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी मुकाबला रद्द कर दिया गया. लेकिन आखिरी टेस्ट रद्द होने से इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई से काफी नाराज चल रहा है और फैसले को लेकर आईसीसी का दरवाजा खटखटाया है.
दरअसल इंग्लैंड आखिरी टेस्ट को भारत की हार बताकर सीरीज 2-2 की बराबरी पर खत्म करना चाह रहा था, लेकिन बीसीसीआई ने इंग्लैंड के इस चाल को कामयाब नहीं होने दिया और लंबी बातचीत के बाद मैच रद्द करने पर दोनों बोर्ड राजी हो गये.
लेकिन इंग्लैंड इसे पचा नहीं पा रहा है और लगातार आखिरी टेस्ट को भारत की हार साबित करने में लगा है. इस बीच इंग्लैंड को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. भारत-इंग्लैंड पांचवां और आखिरी टेस्ट अगर इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड टीम इंडिया की हार साबित करने में कामयाब होता है, तो उसे चार करोड़ पौंड की बीमा राशि मिल सकती है. यानी भारतीय रुपये के अनुसार 40 करोड़ रुपये से अधिक.
दरअसल यह स्थिति तब बनी जब आखिरी टेस्ट से पहले भारतीय टीम का जूनियर फिजियो कोरोना पॉजिटिव पाया गया. उसके बाद भारतीय टीम ने मुख्य कोच रवि शास्त्री सहित सहयोगी स्टाफ के सदस्यों के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद खेलने से इनकार कर दिया था.
बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने भी साफ कर दिया है कि कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए ही भारतीय खिलाड़ियों ने मैदान पर उतरने से इनकार किया.
उन्होंने कहा, हम बेहद निराश हैं कि शृंखला बीच में ही खत्म हो गयी. इसका एकमात्र कारण कोरोना का प्रकोप और खिलाड़ियों की सुरक्षा थी. हम एक सीमा तक ही उन्हें मजबूर कर सकते है. महामारी इतनी बुरी है कि कोई भी एक निश्चित सीमा से आगे नहीं बढ़ सकता.
गांगुली से जब पूछा गया कि क्या खेलने में असहज महसूस करने वाले सीनियर खिलाड़ियों को विश्राम देकर नयी टीम उतारने पर विचार किया गया, उन्होंने इसका जवाब न में दिया.
गांगुली ने कहा, नहीं यह विकल्प नहीं था क्योंकि योगेश परमार का सभी खिलाड़ियों से करीबी संपर्क था. इसलिए यह निश्चित तौर पर चिंता का कारण था. यह ऐसा है जिस पर किसी का नियंत्रण नहीं है और खिलाड़ियों के साथ उनके परिवार भी थे.