सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में मंगलवार को मोहम्मद शमी 200 टेस्ट विकेट तक पहुंचने वाले पांचवें भारतीय तेज गेंदबाज बन गये. मोहम्मद शमी ने दक्षिण अफ्रीकी टीम की बल्लेबाजी लाइन-अप को ध्वस्त कर दिया. शमी ने 16 ओवरों में 5/44 का प्रदर्शन किया. कगिसो रबाडा उनका 200वां शिकार था. लगभग कुछ महीने पहले, पाकिस्तान से भारत की टी-20 विश्व कप में हार के बाद सोशल मीडिया पर शमी करी काफी आलोचना हुई थी.
मोहम्मद शमी ने जीवन और क्रिकेट में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. चोटों ने उन्हें सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंचा दिया था. पिछले साल, रोहित शर्मा के साथ एक इंस्टाग्राम लाइव सत्र के दौरान 31 गेंदबाज ने खुलासा किया कि उन्होंने गंभीर तनाव और व्यक्तिगत समस्याओं की अवधि के दौरान तीन बार खुद को मारने पर विचार किया था. अपने 55वें टेस्ट में ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचने के बाद मोहम्मद शमी जो समभाव दिखाया, वह वास्तव में बेहतरीन था.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मैं तो लाइन पक्का कर रखा था. मैं लगातार लाइन पर गेंदबाजी कर रहा था. आधुनिक समय के क्रिकेट में पेस ज्यादा मायने नहीं रखता. मेरा फोकस हमेशा सही जगह हिट करने पर होता है. आज भी, मैंने सिर्फ सही क्षेत्रों को लक्षित किया है. टेस्ट क्रिकेट कोई रॉकेट साइंस नहीं है. लेकिन टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए आपको परिस्थितियों को जानना होगा और उसी के अनुसार अपनी लाइन और लेंथ को एडजस्ट करना होगा.
उन्होंने कहा कि कल बारिश हुई थी. आज बात अलग थी. सही क्षेत्र पर प्रहार करना और अपनी लाइन और लेंथ को नियंत्रित करना अनिवार्य था. मैं सही लेंथ पर हिट कर रहा था. एक दशक से भी अधिक समय पहले, जब उन्होंने कोलकाता में क्लब क्रिकेट में अपनी यात्रा शुरू की, तो जाहिर तौर पर उनके दिमाग में 200 टेस्ट विकेट नहीं थे. उन्होंने कहा कि जब आप एक बच्चे होते हैं, जब आप एक संघर्षरत खिलाड़ी होते हैं, तो आपका एकमात्र सपना भारत के लिए खेलना और उन लोगों के साथ खेलना होता है जिन्हें आप टीवी पर देखते हैं.
शमी ने कहा कि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. यह कड़ी मेहनत करने के बारे में है, जो आपके हाथ में है. और जब आप एक ईमानदार प्रयास करते हैं, तो आपको परिणाम मिलता है. तेज गेंदबाज ने अपने पिता तौसीफ अली को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मैं एक ऐसी जगह (अमरोहा, उत्तर प्रदेश) से आया हूं जहां आज भी सुविधाएं सीमित हैं. हर दिन मुझे 30 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था और मेरे पिता मेरे साथ जाते थे. तो सारा श्रेय मेरे पिता और मेरे भाई को जाता है.