MS Dhoni Birthday Special: भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज अपना 42वां जन्मदिन मना रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी एमएस धोनी आज करोड़ों फैंस के दिलों पर राज करते हैं. धोनी ने अपनी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट को जिस मुकाम पर पहुंचाया है उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता. उन्होंने अपनी कप्तानी में ICC के तीन बड़े टूर्नामेंट में भारत को जीत दिलाने के साथ-साथ पांच बार आईपीएल का खिताब भी अपने नाम किए हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि उनकी इस अपार सफलता के पीछे उनका ‘मूलमंत्र’ क्या है?
हमेशा कूल बने रहना माही का मूलमंत्र रहा है. फिर चाहे मैदान के अंदर हो या बाहर, वह तनाव और दबाव को कभी हावी नहीं होने देते. मैदान पर खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन के दौरान भी वह रिलैक्स नजर आते हैं. हमेशा खिलाड़ियों का सपोर्ट करते हैं. उनकी हौसला-अफजाई करते हैं. उन्हें फील्ड के अंदर बहुत कम गुस्साते हुए देखा गया है. यदि टीम हार भी रही होती है, तब भी वह तनाव या दबाव में नहीं आते हैं. अंतिम गेंद तक वह जीत की उम्मीद नहीं छोड़ते हैं.
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सफलता को बनाये कैसे रखा जाता है, धोनी इसके बेहतरीन उदाहरण हैं. उन्होंने कभी भी सफलता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, बल्कि वह और मेहनत करते गये. 2011 में भारत को दूसरी बार विश्व विजेता बनाया. 2014 में चैंपियंस ट्रॉफी जीत कर सभी सीरीज अपने नाम कर ली. 20 से अधिक कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर हैं.
धोनी अकसर अपने फैसलों से सभी को चौंकाते रहे हैं. वर्ष 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया. फिर 15 अगस्त 2020 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेकर सभी को स्तब्ध कर दिया. कई मैचों में भी उनके फैसले की काफी आलोचना हुई, लेकिन सभी में उन्होंने सफलता हासिल की.
धोनी न केवल कामयाबी मिलने से पहले, बल्कि कामयाबी मिलने के बाद भी प्रैक्टिस करने से पीछे नहीं हटते. वह जब खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टीटी का कार्य करते थे, तब पूरी डिसिप्लिन में रहते थे और थक जाने के बावजूद घर आने के बाद क्रिकेट की प्रैक्टिस किया करते थे. सुबह से लेकर सोने तक धोनी अपना हर काम पूरे अनुशासन में रहते हुए करते थे.
धोनी विविधता के प्रति निडर हैं और किसी भी परिस्थिति में रम जाते हैं. वह क्रिकेट के तीनों फॉरमेट्स में उतना ही अच्छा खेलते हैं. किसी भी पोजिशन पर बैटिंग कर सकते हैं. विकेट कीपिंग भी करते हैं और जरूरत पड़ने पर गेंदबाजी में भी हाथ आजमा लेते हैं. उनकी ग्रहण करने की इस क्षमता का हाथ उनकी सफलता के पीछे भी है. हमेशा सीखते रहना उनका मूलमंत्र है. वो अपनी जमीन हमेशा पकड़े रहते हैं. इस उम्र में भी वह जिस तरह लगातार विकेट के पीछे एक्टिव दिखते हैं, वैसा बहुत कम खिलाड़ियों के बूते की बात है.
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