भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद वो आये दिन खबरों में बने रहते हैं. धौनी ने अपनी अगुआई में टीम इंडिया को ऊचाईयों तक पहुंचाया. उन्होंने आईसीसी के तीनों बड़े टूर्नामेंट (टी20 वर्ल्ड कप, वनडे वर्ल्ड कप और चैंपियनस ट्रॉफी) में भारत को ट्रॉफी दिलायी.
धौनी ने 2008 में जब टीम की कप्तानी संभाली थी, उस समय उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां थीं. टीम को नयी ऊचाईयों पर पहुंचाना. युवाओं प्रतिभा को मौका देकर भविष्य की टीम तैयार करना. हालांकि धौनी इन सभी चुनौतियों से लड़कर ऐसी टीम तैयार की, जो 2011 में दूसरी बार भारत को वर्ल्ड जीतकर दिया.
बहरहाल ये तो रही धौनी की कामयाबी की कहानी, लेकिन बहुत कम ही लोगों को यह मालूम होगा कि धौनी ने 2008 में ही कप्तानी संभालते ही कप्तानी छोड़ने की भी धमकी दे दी थी. उस समय यह खबर पूरी तहर से चर्चा में थी. रिपोर्ट के अनुसार सेलेक्शन कमिटी की मीटिंग लीक होकर सार्वजनिक हो गयी थी.
दरअसल धौनी तेज गेंदबाज आरपी सिंह के स्थान पर इरफान पठान को टीम में शामिल किये जाने के खिलाफ थे और उसी बात पर उन्होंने कप्तानी छोड़ने की धमकी दी थी. इस बात में कितनी सच्चाई है, इसकी जानकारी तो किसी के पास नहीं है, लेकिन एक इंटरव्यू में खुद आरपी सिंह ने इसकी खबर की सच्चाई बतायी थी.
आरपी सिंह ने कहा था कि धौनी एक ऐसे कप्तान थे, जो टीम सेलेक्शन में पक्षपात कभी नहीं करते थे. धौनी टीम चयन के समय इस बात को कभी ध्यान में नहीं रखते थे, कौन उनका दोस्त है और कौन करीबी.
आरपी सिंह ने कहा, अच्छे खिलाड़ियों के चयन के लिए धौनी हमेशा आगे रहते थे. बेहतर टीम चयन के लिए धौनी हमेशा निष्पक्ष होकर फैसला लेते थे. उन्होंने कहा, यही खासियत ने धौनी को सफल कप्तान बनाया.
गौरतलब है कि धौनी की कप्तानी में भारत ने 2007 में पहली बार आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप पर कब्जा किया था. इसके अलावा आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप पर धौनी की कप्तानी में ही भारत ने दूसरी बार 2011 में कब्जा जमाया था. 2013 में धौनी ने अपनी कप्तानी में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब दिलाया. इसके अजावा धौनी की कप्तानी में भारत 2009 में पहली बार टेस्ट में नंबर वन टीम बना था.
posted by – arbind kumar mishra