अंडर 19 विश्व कप (under 19 world cup) जीतने के बाद शोहरत, दौलत, तवज्जो मिलने से कोई भी युवा चकाचौंध में खो सकता है लेकिन यश धुल (Yash Dhull) को बखूबी पता है कि एलीट क्रिकेट खेलने के लिये कड़ी मेहनत करनी होगी और खेल पर से उसका ध्यान नहीं हटा है. गुवाहाटी के बारसापारा स्टेडियम पर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण करते हुए धुल ने तमिलनाडु के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच के पहले दिन दिल्ली के लिये शतक जड़ा.
धुल अचानक भीड़ में से निकले और छा गए
धुल में वह तेवर नहीं है जो कभी पश्चिम दिल्ली के रहने वाले 18 वर्ष के विराट कोहली में हुआ करता था और ना ही सेंट स्टीफेंस और मॉडर्न स्कूल (बाराखम्बा) से पढ़े उन्मुक्त चंद की तरह वह आक्रामक हैं. मनजोत कालरा की तरह कान में सोने के बूंदे पहने रॉकस्टार वाली झलक भी उनमें देखने को नहीं मिलती. बेहद आम से दिखने वाले धुल मानों अचानक भीड़ में से निकले और अपनी प्रतिभा के दम पर छा गए.
डेब्यू रणजी ट्रॉफी में शतक जड़ पृथ्वी शॉ की बराबरी की
अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप विजेता कप्तान पृथ्वी शॉ की तरह ही उन्होंने रणजी ट्रॉफी में पदार्पण पर समान प्रतिद्वंद्वी तमिलनाडु के खिलाफ शतक जमाया. अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि क्या वह भारतीय क्रिकेट के अगले सुपरस्टार होंगे. लेकिन अंडर 19 विश्व कप जीतने के बाद से उन्हें खुद यह समझने का समय नहीं मिला होगा कि जीवन में क्या बदलाव आया है.
अंडर 19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद यश धुल को नहीं मिली आराम
वेस्टइंडीज से बीसीसीआई के सम्मान समारोह के लिये अहमदाबाद की यात्रा , उसके बाद दिल्ली में अपने स्कूल बाल भवन का दौरा और फिर अगले दिन रणजी खेलने गुवाहाटी पहुंचना. दिल्ली के चयनकर्ता चैतन्य नंदा ने धुल के प्रदर्शन के बारे में कहा , हमारे पास दो विकल्प थे, या तो उसे बाहर रखते या जो भी स्लॉट उपलब्ध है, उस पर उतारते. वह पारी की शुरुआत नहीं करता लेकिन तुरंत तैयार हो गया. आप किसी क्रिकेटर में यही गुण खोजते हैं.