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हरभजन सिंह ने बचायी थी सौरव गांगुली की कप्तानी, टेस्ट सीरीज में 32 विकेट चटकाकर अजेय ऑस्ट्रेलिया को हराया

साल 2001 में भारत ने घरेलू टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया था. हरभजन सिंह उस सीरीज के हीरो थे. टीम की कप्तानी सौरव गांगुली कर रहे थे. गांगुली ने ही हरभजन को मौका दिया था. हरभजन ने खुलासा किया है कि अगर भारत वह सीरीज हार जाता तो गांगुली को कप्तानी से हटा दिया जाता.

स्टीव वॉ की अजेय ऑस्ट्रेलियाई टीम पर भारत की 2001 की सीरीज जीत को सौरव गांगुली की कप्तानी में और भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में देखा जाता है. इस सीरीज ने भारत के कप्तान के रूप में गांगुली की स्थिति को मजबूत किया. इसने एक ऐसे युग की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने 1990 के दशक के अंत में शुरू हुए मैच फिक्सिंग कांड के दौरान भी टीम को मजबूत किया.

पूरी सीरीज में हरभजन ने चटकाये 32 विकेट

2001 की सीरीज जीत के वास्तुकारों में से एक हरभजन सिंह थे. उस समय सिर्फ 21 वर्ष के हरभजन ने कोलकाता टेस्ट में टेस्ट हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने. उन्होंने पूरी सीरीज में तीन मैचों में 32 विकेट झटके. यह गांगुली ही थे जिन्होंने सीरीज में खेलने के लिए हरभजन का समर्थन किया था और यह स्पिनर के लिए बड़ा अंतरराष्ट्रीय ब्रेक साबित हुआ. हरभजन ने एक बड़ा खुलासा किया कि 2001 सीरीज हारने के बाद गांगुली को कप्तानी से हटा दिया जाता. स्पोर्ट्सकीड़ा पर हरभजन सिंह ने कहा कि अगर भारत 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज हार जाता तो सौरव गांगुली को कप्तानी से हटा दिया जाता.

सीरीज में जबर्दस्त फॉर्म में थे हरभजन

बात दें कि उस टेस्ट सीरीज में हरभजन सिंह ने विकेटों की झड़ी लगा दी थी. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे भगवान ने सौरव गांगुली को मेरे लिए भेजा. उन्होंने मेरा हाथ थाम लिया और मैंने भगवान का हाथ थाम लिया. मैं अपना काम करता रहा. इसी तरह मैंने अपना नाम बनाया और सौरव गांगुली ने भी बड़ी सीरीज जीती, जिससे उन्हें कप्तानी में एक्सटेंशन मिला.

सौरव गांगुली के आभारी हैं हरभजन

हरभजन ने कहा कि वह उनका समर्थन करने के लिए गांगुली के आभारी हैं. लेकिन हरभजन के पास कभी भी उस तरह का करियर नहीं होता जैसा उन्होंने आनंद लिया था. उन्होंने खुद कड़ी मेहनत की थी. उन्होंने कहा कि हां, उन्होंने मेरा साथ दिया, इसमें कोई शक नहीं है. मैं इसके लिए हमेशा आभारी हूं. लेकिन साथ-साथ यह आपका प्रदर्शन है जो आपके करियर को खास बनाता है. कप्तान आपको एक मौका दे सकता है, जो सौरव गांगुली ने मुझे सही समय पर दिया. मेरे लिए यह मुश्किल दौर था. उसके बाद यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह कैसा प्रदर्शन करता है.

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दूसरे टेस्ट में हरभजन ने लिया हैट्रिक

हरभजन सिंह उस सीरीज में जबर्दस्त लय में थे. उन्होंने पहले टेस्ट में केवल चार विकेट लिये. लेकिन दूसरे और तीसरे टेस्ट में वे आग साबित हुए. उन्होंने दूसरे टेस्ट में ही अपने करियर का पहला हैट्रिक भी लिया. दूसरे टेस्ट की पहली पारी में हरभजन ने रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न को लगातार गेंद पर आउट किया. उन्होंने एक पारी में 7 विकेट लिए. दूसरी पारी में भी छह विकेट हासिल किये. भारत 171 रन ने जीता. तीसरे और आखिरी टेस्ट में हरभजन ने दोनों पारियों में 15 विकेट लिये. एक सीरीज में हरभजन का यह सबसे शानदार प्रदर्शन था. तीसरा टेस्ट भारत दो विकेट से जीता. इस प्रकार भारत 2-1 से सीरीज जीता.

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