विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर के बीच कुछ समानताओं में एक यह भी है दोनों को एक शतक के लिए लंबे समय लगे. तेंदुलकर 2007 से पहले 78 अंतरराष्ट्रीय शतक बना चुके थे. इसके बाद वे लगातार शतक के लिए संघर्ष करते रहे. 2007 के मार्च और 2008 के जनवरी के बीच तेंदुलकर 90 के स्कोर पर सात बार आउट हुए. यहां तक कि 99 के स्कोर पर तेंदुलकर तीन बार आउट हुए.
हालांकि सचिन तेंदुलकर के शतक का इंतजार सर्वाधिक 12 महीने रहा. उन्होंने मार्च 2011 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विश्व कप मैच में अपना 99वां शतक पूरा किया. अंत में मार्च 2012 में उन्होंने 100वां शतक पूरा कर लिया. विराट कोहली की बात करें तो कोहली पिछले दो साल और दो महीने से शतक के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जबकि कोहली के खाते में अब तक 70 शतक हैं.
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2019 में कोहली ने वेस्टइंडीज के खिलाफ एक के बाद एक शतक जमाया. तो ऐसा लग रहा था कि वह महान तेंदुलकर से आगे निकल जायेंगे. लेकिन दो साल बाद, कोहली के हर आउट होने के साथ इसकी संभावना कम होती जा रही है. अब कोहली पर 71वें शतक के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है. दिग्गज शेन वार्न का मानना है कि कोहली अब किसी भी प्रारूप में भारत के कप्तान के रूप में काम नहीं कर रहे हैं, ऐसे में बल्लेबाज के लिए एक बार फिर धमाकेदार बल्लेबाजी करने का मौका है.
पिछली 16 पारियों में कोहली ने 10 अर्धशतक बनाए हैं. शेन वार्न कहते हैं कि खेल के सभी रूपों में भारत का कप्तान होना और फिर आईपीएल भी खेलना बहुत मुश्किल है. मैं ऐसे विराट को देखने के लिए उत्सुक हूं जो बल्लेबाजी करे. वार्न ने हिंदुस्तान टाइम्स को एक बातचीत में कहा कि एक चैंपियन खिलाड़ी के लिए थोड़ा मंदी से गुजरना सामान्य है. लेकिन अब जब उनकी कप्तानी छूट गयी है तो एक बार फिर खुद को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के रूप में स्थापित करेंगे.
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शेन वार्न ने कहा कि मैं हर किसी की तरह थोड़ा हैरान था. विराट भारत के लिए एक अद्भुत कप्तान रहा है, लेकिन यह एक अरब से अधिक लोगों की उम्मीदों के साथ बहुत कठिन भी है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि खेल के सभी रूपों में लंबे समय तक कोई भी कप्तानी करते हुए उच्च स्तर पर बल्लेबाजी करना जारी रख सकता है. मुझे लगता है कि विराट के लिए अब यह एक शानदार अवसर है कि वह वापस जाकर खुद को और सभी को साबित करे कि वह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज क्यों है.