2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने डेब्यू टेस्ट मैच की दोनों पारियों में युवा विराट कोहली 4 और 15 रन बनाये था. आज वही बल्लेबाज भारत की ओर से अपना 100वां टेस्ट मैच खेलने वाला है. इन 11 वर्षों में विराट कोहली एक तेजतर्रार युवा खिलाड़ी से अपने युग के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के रूप में विकसित हुए हैं. कोई यह तर्क दे सकता है कि उनके बल्ले से शतक सूख गये हैं, लेकिन कोहली की निरंतरता का स्तर अभी भी कई लोगों के लिए एक बेंचमार्क है.
साथ ही विराट कोहली ने एमएस धोनी को भारत के कप्तान के रूप में सफल किया और टेस्ट में देश के अब तक के सबसे सफल कप्तान बन गये, जिससे टीम को 40 जीत हासिल हुई. उसी समय, उनकी बल्लेबाजी चरम पर थी, और कोहली के नेतृत्व में भारत एक ताकत बन गया था. विराट कोहली के ऐतिहासिक 100वें मैच से पहले, हम भारतीय सुपरस्टार के टेस्ट करियर के सबसे यादगार पलों पर एक नजर डाल रहे हैं.
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भारत के लिए टेस्ट में पदार्पण के पांच महीने बाद विराट कोहली जनवरी 2012 में मैदान पर पहुंचे, जब उन्होंने एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला शतक बनाया. चार खिलाड़ियों के आउट होने के बाद भारत की सक्षम बल्लेबाजी लाइन-अप लड़खड़ा गई, जब विराट कोहली के बल्ले से पहला शतक निकला. भारत वह सीरीज जरूर हार गयी लेकिन भारत को कोहली के रूप में एक चमकता हुआ युवा बल्लेबाजी सितारा मिला.
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— BCCI (@BCCI) March 2, 2022
विराट कोहली का इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट दौरा पराजय के साथ शुरू हुआ. उन्होंने पांच टेस्ट मैचों में सिर्फ 131 रन बनाए थे. लेकिन 2014 में ऑस्ट्रेलिया में एक और कड़ी परीक्षा 24 वर्षीय कोहली का इंतजार कर रही थी. हालांकि, इस बार कोहली आत्मविश्वास से लबरेज थे. भले ही भारत 0-2 से सीरीज हार गया, लेकिन कोहली की बल्लेबाजी चरम पर पहुंच गई. उन्होंने चार टेस्ट मैचों में चार शतक बनाए. इस सीरीज में उन्होंने 692 रन बनाए और एक सितारे का जन्म हुआ जो पूरी दुनिया के गेंदबाजी आक्रमणों को झेल सकता था.
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विराट कोहली के लिए साल 2016 वही था जो 1998 का साल सचिन तेंदुलकर के लिए था. यह एक ऐसा साल था जहां भारतीय सुपरस्टार के लिए कुछ भी गलत नहीं हो सकता था. यदि 2016 से पहले, कोहली को रन-मशीन और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक के रूप में लेबल किया गया था. 2016 ने कोहली को अपनी बल्लेबाजी कौशल के चरम पर देखा गया. उन्होंने इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, बांग्लादेश और न्यूजीलैंड के गेंदबाजी आक्रमणों को पस्त कर दिया. कोहली ने विंडीज के खिलाफ 4 टेस्ट मैचों में 251 रन, कीवी के खिलाफ तीन मैचों में 309, इंग्लैंड के खिलाफ 655 रन और बांग्लादेश के खिलाफ एकतरफा टेस्ट में दोहरा शतक बनाया. कुल मिलाकर, उनके टैली ने पांच शतकों सहित 1457 रन बनाए, जिनमें से तीन को उन्होंने दोहरे शतक में बदल दिया. कोहली एक कैलेंडर वर्ष में नौ टेस्ट जीत दर्ज करने वाले पहले कप्तान बने.
जब विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ 2018 में पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला के लिए यूके में उतरा. 2014 के उन शानदार गेंदबाजों से जूझते हुए कोहली उसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ अजेय रहे. उन्होंने एजबेस्टन और नॉटिंघम में तीन अर्धशतक जमाए और पांच मैचों की श्रृंखला को 593 रन के साथ समाप्त किया. दुर्भाग्य से भारत इंग्लैंड में 1-3 से श्रृंखला हार गया. लेकिन कोहली ने उन्हीं के जमीन पर एक गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त किया जिसमें जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड और एक उभरता हुआ गेंदबाज सैम करन शामिल थे.
जब विराट कोहली ने टेस्ट कप्तानी संभाली तो भारत आईसीसी रैंकिंग में नंबर सात पर था. जब उन्होंने कप्तानी छोड़ी तब तक भारत नंबर वन रैंकिंग वाली टेस्ट टीम के रूप में लगातार पांच साल पूरे कर चुका था. कोहली भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान हैं, और उनके कप्तानी करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि 2018 में आई, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उनकी धरती पर हराकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी बरकरार रखी. कोहली की टीम ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को एडिलेड और मेलबर्न में जीत के साथ 2-1 से हराया. कोहली ने 40 की औसत से 282 रन बनाए. तीन साल बाद 2021 में, कोहली की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड पर 2-1 की बढ़त बरकरार रखा है. पांचवां टेस्ट इस साल खेला जायेगा जो रोहित शर्मा की कप्तानी में खेला जायेगा.