पटना. बिहार के दरभंगा प्रमंडल में राज्य का पहला मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण गठित कर दिया गया है. परिवहन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के बाद आयुक्त दरभंगा मनीष कुमार ने दरभंगा प्रमंडल के लिए बिहार मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण का गठन कर दिया गया है. यह बिहार में गठन किये जाने वाले सातों न्यायाधिकरण में सबसे पहला न्यायाधिकरण है. दरभंगा प्रमंडल के सचिव, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार राजेश कुमार ने बताया है कि 30 अक्टूबर, 1977 को दरभंगा प्रमंडल का गठन किया गया था और वर्तमान वर्ष को 50वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जा रहा है. दरभंगा प्रमंडल के सड़क दुर्घटना से प्रभावित लोगों, परिवारों को दुर्घटना से संबंधित मुआवजा दावा का शीघ्र निष्पादन करने के लिए बिहार का पहला मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण का गठन किया गया है.
कार्यालय और कर्मचारियों की हुई व्यवस्था
राजेश कुमार के आदेश पर आयुक्त कार्यालय दरभंगा प्रमंडल के मुख्य भवन के भू-तल पर अवस्थित दो कमरों में बिहार मोटर दावा न्यायाधिकरण को सक्रिय कर दिया गया है. जिसमें कर्मचारी, डाटा इंट्री ऑपरेटर की प्रतिनियुक्ति कर दी गयी है. न्यायाधिकरण के सचिव के रूप में पदस्थापित अपर जिला परिवहन पदाधिकारी निशा राज द्वारा भी दरभंगा न्यायाधिकरण में योगदान दिया गया है. न्यायाधिकरण में हिट एंड रन के अंतर्गत सड़क हादसों के मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये एवं घायलों के इलाज के लिए 50 हजार रुपये देने हेतु सुनवाई की जायेगी. वहीं, ठोकर मार कर बिना पहचान के भाग जाने वाले वाहनों से संबंधित मामले को हिट एंड रन के अंतर्गत रखा गया है.
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जनवरी में तैयार हुई थी ट्रिब्यूनल की नियमावली
सड़क पर वाहन दुर्घटनाओं में मारे गए व्यक्ति के आश्रितों व घायलों के लिए मुआवजे की राशि तय करने के लिए राज्य में गठित होनेवाले ट्रिब्यूनल की नियमावली जनवरी में ही तैयार कर ली गई थी. कैबिनेट की मंजूरी मिलनेके बाद इसकी नियमावली पर दावा-आपत्ति के लिए एक महीने का बाद लागू कर दिया गया था. पिछले दिनों बिहार मोटरवाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (गठन एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2023 की अधिसूचना परिवहन विभाग ने जारी कर दी है. अब दरभंगा में बिहार का पहला ट्रिब्यूनल का गठन भी कर दिया गया है. इसके बाद किसी भी वाहन दुर्घटना में मुआवजे को लेकर ट्रिब्यून में ही आवेदन दिए जाएंगे. ट्रिब्यूनल के आदेश के आलोक में संबंधित बीमा कंपनी मुआवजे की राशि का भुगतान करेगी. इसका कार्यक्षेत्र उस जिले का भौगोलिक क्षेत्र होगा. यानी जिस जिले में दुर्घटना होगी, वहां के संबंधित ट्रिब्यूनल में इसकी सुनवाई होगी और आदेश पारित किए जाएंगे.
पांच साल के अध्यक्ष का चयन होगा
हर ट्रिब्यूनल में एक अध्यक्ष होंगे. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति या जिला जज (पूर्व या वर्तमान) इसके अध्यक्ष होंगे. पांच वर्षों तक के लिए अध्यक्ष का चयन किया जाएगा, जो अधिकतम 70 वर्ष की आयु तक इस पद पर रहेंगे. अपर जिला परिवहन पदाधिकारी सहयोग करेंगे. अध्यक्ष की निुयक्ति परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव की अध्यक्षता में गठित स्क्रीनिंग समिति की अनुशंसा और विभागीय मंत्री के अनुमोदन पर होगी. दावों को तेजी से निपटाने में अपर जिला परिवहन पदाधिकारी या इसके समकक्ष पदाधिकारी सचिव के रूप में सहयोग करेंगे. सचिव ही न्यायाधिकरण कार्यालय के निकासी और व्ययन पदाधिकारी भी होंगे. ट्रिब्यूनल का अपना बैंक खाता एवं मुहर होगा.