Darbhanga Aiims Controversy: बिहार का दूसरा एम्स दरभंगा में बनने जा रहा है. दरभंगा एम्स एकबार फिर से सुर्खियों में बना हुआ है और अब यह चुनावी मुद्दा बनता नजर आ रहा है. दरअसल दरभंगा एम्स के निर्माण में जमीन के विवाद का पेंच फंस गया है. जिसे लेकर बिहार सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने हो गयी है. वहीं अब जनसभा के मंच से भी दरभंगा एम्स पर दोषारोपण शुरू हो चुका है. पिछले दिनों झंझारपुर रैली को संबोधित करते हुए जब भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के गृह मंत्री अमित शाह ने दरभंगा एम्स के जमीन विवाद को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधा तो बिहार सरकार की ओर से मंत्री संजय झा ने भी पलटवार किया. जानिए क्या है विवाद और दोनों ओर की दलीलें..
शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह का विमान दरभंगा एयरपोर्ट पर ही उतरा. जहां भाजपा नेताओं ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. इस दौरान मिथिला की परंपरा के अनुसार उन्हें पाग-चादर से अभिनंदित किया गया. वहीं मिथिला पेंटिंग भी भेंट की गयी. इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी एयरपोर्ट पर मौजूद थे. सांसद गोपालजी ठाकुर व नगर विधायक संजय सरावगी आदि ने भी स्वागत किया. वहीं जब गृह मंत्री अमित शाह झंझारपुर पहुंचे और रैली को संबोधित किया तो दरभंगा एम्स का भी उन्होंने जिक्र किया और इसके निर्माण में आ रही बाधा को लेकर बिहार सरकार पर हमला बोला.
गृह मंत्री ने झंझारपुर रैली में कहा कि केंद्र सरकार ने दिसंबर 2020 में दरभंगा में बिहार का दूसरा एम्स स्वीकृत किया था. अगर बिहार सरकार 81 एकड़ जमीन वापस नहीं लेती तो दरभंगा एम्स बन कर तैयार होता. राज्य सरकार ने दरभंगा एम्स के लिए 151 एकड़ गड्ढे वाली जमीन दी है, जिससे 1250 करोड़ से बनने वाले एम्स का काम रूक गया है. उन्होंने कहा कि दरभंगा एयरपोर्ट मोदी सरकार ने बनवाया, जिससे पिछले तीन वर्षों में 16 लाख लोगों ने हवाई यात्रा की.
वहीं गृह मंत्री अमित शाह के इस हमले का नीतीश सरकार की ओर से भी जवाब दिया गया. सरकार की ओर से दरभंगा एम्स के मुद्दे पर जल संसाधन सह सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने मोर्चा थामा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने दरभंगा एम्स के लिए बेहतरीन भूमि दी है. केंद्रीय गृह मंत्री स्वयं स्थल निरीक्षण कर देख लें. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा में एम्स निर्माण के लिए शोभन-एकमी बाइपास के पास चिह्नित भूमि का स्थल निरीक्षण और समीक्षा की थी. इसके बाद उसकी स्वीकृति दी है. बिहार सरकार मुफ्त जमीन देने के साथ-साथ उसमें मिट्टी भराई, समतलीकरण और चहारदीवारी निर्माण के लिए 309 करोड़ से अधिक रुपये कैबिनेट से मंजूर कर कार्य का टेंडर जारी कर चुकी है. जल संसाधन विभाग ने खिरोई नदी की तलहटी और बागमती नदी के हनुमाननगर से जटमलपुर तक के इलाके से मिट्टी मुफ्त देने की सहमति भी दे दी है.
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शनिवार को अमित शाह द्वारा झंझारपुर रैली में दरभंगा एम्स को लेकर दिये गये बयान से संबंधित सवालों के जवाब में बिहार सरकार के मंत्री संजय झा ने कहा कि आवंटित भूमि आमस-दरभंगा फोरलेन से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है. मुख्यमंत्री बार-बार आश्वासन दे चुके हैं कि आवंटित भूमि तक फोरलेन कनेक्टिविटी और अन्य आवश्यक कार्य राज्य सरकार अपने संसाधनों से करायेगी. उत्तर बिहार के किसी भी जिले से लोग जाम में फंसे बिना इस स्थल तक सुगमतापूर्वक पहुंच सकेंगे. आवंटित भूमि दरभंगा एयरपोर्ट के भी नजदीक है. इससे दरभंगा एम्स में देश-विदेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों का आना-जाना सुगम होगा और गंभीर मरीजों को एयर एंबुलेंस के जरिये यहां लाना या यहां से बाहर ले जाना संभव होगा.
मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार सरकार ने जब दरभंगा एम्स के लिए डीएमसीएच की भूमि देने का प्रस्ताव दिया था, तब भी केंद्र से आयी टीम ने उसे ‘लो लैंड’ बताया था. साथ ही उसका कुछ हिस्सा रेलवे लाइन के दूसरी तरफ होने सहित कई खामियां गिनायी थीं. देश में जो भी नये एम्स बने हैं, वे किसी अस्पताल के परिसर में नहीं, बल्कि ग्रीन फील्ड एरिया में बने हैं. पटना में एम्स का निर्माण शहर से 12 किलोमीटर दूर फुलवारीशरीफ में हुआ है, जिससे नये इलाके का तेजी से विकास हुआ है. दरभंगा में भी शहर की सीमा पर एम्स का निर्माण होने से शहर को नया विस्तार मिलेगा. क्षेत्र में नये आवासीय एवं व्यावसायिक परिसरों का निर्माण होगा और रोजगार के नये-नये अवसर पैदा होंगे.
उधर रविवार को पीएम मोदी अपने जन्मदिन पर दिल्ली मेट्रो में सफर कर रहे थे. इस दौरान कई यात्रियों से उन्होंने बातचीत की. इन लोगों में एक दरभंगा के रिटायर्ड शिक्षक भी शामिल थे जिनसे पीएम मोदी ने बात की. प्रधानमंत्री ने उन्होंने दरभंगा एम्स के निर्माण कार्य में आ रही बाधा और जमीन विवाद पर सवाल किये. जिसपर प्रधानमंत्री ने जल्द काम होने का आश्वासन दिया. बता दें कि अगस्त महीने में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक संबोधन के दौरान दरभंगा में एम्स खुलने की बात कही थी जिसपर बिहार में सियासी घमासान मच गया था. पीएम नरेंद्र मोदी पर झूठ बोलने का आरोप महागठबंधन की ओर से लगाया गया था. दरभंगा एम्स की स्वीकृति मिलने के 8 साल के बाद भी इसका काम शुरू नहीं हो सका जिसे लेकर आए दिन सियासत गमायी रहती है. वहीं अब जब लोकसभा व विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो यह इन चुनावों का मुद्दा बनता नजर आने लगा है.