दरभंगा, कमतौल से शिवेंद्र कुमार शर्मा की रिपोर्ट : लॉकडाउन में श्रमिक स्पेशल ट्रेन सेवा शुरू होने की घोषणा होने के बाबजूद प्रवासियों का जैसे-तैसे घर लौटने का सिलसिला अब भी जारी हैं. सोमवार को अहले सुबह कमतौल रेलवे गुमती के समीप माथे पर मुरेठा और कमर में गमछा बांधे, हाथ में पॉलीथिन बैग और पानी का बोतल लटकाये हुए दो लोग गुजर रहे थे. लॉकडाउन में बाहरी लोगों को इस तरह गुजरते देखकर लोगों को आशंका हुई. पूछताछ करने पर उनलोगों ने बताया कि दोनों पूर्णिया के रहने वाले हैं. दोनों नरकटियागंज में रेलवे का काम करने वाले एक ठीकेदार के साथ काम करते थे.
आगे उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से कुछ दिन पहले दस दिन काम बंद हुआ था. काम शुरु हुए चार दिन हुए थे कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया. एक बार फिर काम बंद हो गया. एक महीने से ज्यादा का समय किसी तरह गुजार दिये. बाद में खाने-पीने और रहने-सहने में भी कठिनाई होने लगी. इसके बाद पैदल ही घर जाने के लिए रेलवे लाइन पकड़ का सहारा लिया. लोगों के सहयोग से जगह-जगह रात बिताने के बाद दसवें दिन कमतौल पहुंचे हैं. दोपहर तक दरभंगा पहुंचने का इरादा है. इसके बाद आगे के सफर के बारे में सोचा जाएगा. कोई सवारी मिली तो ठीक, नहीं तो लोगों के सहयोग से ही सही चार-पांच दिन में पैदल ही पूर्णिया तो अवश्य पहुंच जायेंगे. लॉकडाउन कब हटेगा? आवागमन कब सुलभ होगा? यह तो मालूम नहीं तब तक पैदल चलकर ही सही परिजनों के पास तो पहुंच ही जायेंगे.
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इधर, रविवार को दोपहर बाद पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर निवासी राजेश कुमार सीतामढ़ी जिला के जनकपुर रोड के समीप आवापुर बहन के यहां जाने के क्रम कमतौल रेलवे गुमती पर पहुंचने की चर्चा है. बाहरी लोगों को देखकर जब लोगों ने पूछताछ किया तो इस बात की जानकारी मिली. बताया जाता है कि लोगों ने सहयोग करते हुए चुरा-चीनी खाने को दिया. रात बिताने का आग्रह किया, लेकिन वह रूकने को तैयार नहीं हुआ. करीब साढ़े सात बजे रेलवे गुमती से अपने गंतव्य स्थान आवापुर के लिए रेलवे गुमती से स्थान कर गया. जाते समय कई लोगों ने उन्हें रास्ते में खाने-पीने के लिए सामान और कुछ पैसे भी थमाने की बात बतायी गयी.
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वहीं, रविवार को आनंद बिहार से यूपी के हरदोई जाने वाले एक मजदूर को भटक कर कमतौल रेलवे गुमती पर पहुंचने की चर्चा है. वह फल दुकानदार से हरदोई जाने का रास्ता पूछ रहा था. चेहरे पर थकान और वेशभूषा से बाहरी होने के संदेह पर दुकानदार ने स्थानीय लोगों को इसकी सूचना दी. लोगों ने उससे पूछताछ किया. तब उसके भटक कर यहां आ जाने की बात सामने आयी. पूछताछ में लोगों को उसने अपना नाम मुन्ना कुमार हरदोई जिला का रहने वाला बताया. लोगों ने सहयोग कर उसे ठहरने को कहा. लेकिन, लोगों की बढ़ती भीड़ को देखकर वह डर गया. लोगों द्वारा प्रशासन को सूचना देने और क्वारेंटीन सेंटर पर भेजे जाने की चर्चा शुरू होते ही लोगों से सहयोग लिए बिना ही आगे बढ़ गया.
इधर, जिला में भी दर्जनों प्रवासियों को जैसे-तैसे पहुंचने की जानकारी मीडिया को मिल रही है. उसमें से दर्जनों लोगों को प्रशासन द्वारा क्वारेंटिन भी करा लिया गया है. लेकिन, कई ऐसे भी हैं जो कतिपय कारणों से अब तक क्वारेंटीन नहीं कराये जा सके हैं. शनिवार को जाले प्रखंड अंतर्गत अहियारी उत्तरी पंचायत के गांधीनगर और लक्ष्मीपुर टोला में चार-पांच प्रवासियों के बाइक पर सवार होकर घर आने की सूचना प्रशासन को मिल चुका है.
प्रशासन द्वारा उनकी जांच और क्वारेंटीन कराये जाने की दिशा में प्रयास शुरू करने की बात कही जा रही है. लेकिन, खबर लिखे जाने तक उनलोगों को क्वारेंटीन नहीं कराया जा सका था. मुखिया सूर्य नारायण शर्मा ने बताया कि सभी शनिवार को देर शाम दिल्ली से गांव पहुंचे थे. रविवार को इसकी सूचना प्रशासन को दे दिया गया था. सोमवार को प्रशासन से मिलकर उनलोगों को क्वारेंटीन कराने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि घर-घर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सर्वे के क्रम में परिजनों द्वारा बाहर से आने की सूचना नहीं दी जाती है. इससे परेशानी बढ़ सकती है.