।। दिल्ली से सूरज ठाकुर और पंकज कुमार पाठक की रिपोर्ट ।।
नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2020) में प्रचार-प्रसार अपने अंतिम चरण पर है. शनिवार ( 8 फरवरी ) को मतदान होना है और वोटिंग के 48 घंटे पहले प्रचार थम जायेगा. दिल्ली में पूर्वांचल वोटों का खासा महत्व है, हालांकि दिल्ली में बंगाली, मलयाली लोगों की भी संख्या है, लेकिन आज भी दिल्ली में पूर्वांचल वोटों को साधने की कवायद होती है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 15 से 20 सीटें ऐसी हैं जिनपर पूर्वांचली वोटर्स की अच्छी खासी तादाद है. भारतीय जनता पार्टी ने इस वोट बैंक को साधने के लिए मनोज तिवारी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना रखा है. भोजपुरी के कई स्टार प्रचार कर रहे हैं. कांग्रेस कीर्ति आजाद के भरोसे इन वोटरों को साधने में लगी है. आम आदमी पार्टी के गोपाल राय, दिलीप पांडेय सरीखे नेता पूर्वांचल से आते हैं. 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के 12 ऐसे विधायक चुने गए थे जिनका संबंध बिहार और यूपी से था.
पूर्वांचल पर इन पार्टियों की नजर है, लेकिन यहां के वोटर क्या चाहते हैं, बड़ा सवाल है. प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने आज दिल्ली की सड़कों पर पूर्वांचल के वोटरों से बात करने की कोशिश की. खासकर वैसे लोग जिनका रिश्ता सड़क से है. दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाते हैं, ऑटो चलाते हैं या रेड़ी लगाते हैं.
जय प्रकाश बिहार के खगड़िया के रहने वाले हैं, 1994 से दिल्ली में रह रहे हैं. रिक्शा चलाते हैं. साल 2000 से दिल्ली चुनाव में भूमिका निभा रहे हैं. इतने सालों में आपके लिए क्या हुआ ? क्या उम्मीदें हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा, जो भी नयी सरकार आये गली मोहल्ला बनाये रोजगार बढ़ाये और क्या उम्मीद होगी.
जो भी सरकार रही है, उसके काम करने के तरीके में फर्क है. मेरे बच्चे सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल में भी पढ़ते हैं. इसमें काम तो हुआ है. दूसरी पार्टियों के मुद्दे पर भी ध्यान देना चाहिए. हमारे लिए जरूरी है कि हमें सड़क से ना हटाये. रोड ही हमारा घर है. गांव में खेती नहीं है, लेकिन घर है. हमारे लिए दिल्ली की सबकुछ है.
कृष्णनंदन राय पांच-सात सालों से दिल्ली में रह रहे हैं. वे बिहार के बेगुसराय से रहने वाले हैं. उन्होंने कहा, दिल्ली में बिजली-पानी सब सस्ता हुआ है. दिल्ली में काम हुआ है.
दिल्ली में जन्में धनीराम मूल रूप से यूपी के रहने वाले हैं. सवाल पूछने से पहले ही उन्होंने कहा, मुझे समझ नहीं आता कि ये हिंदू और मुसलमान का क्या झगड़ा है. कई मुसलमान भाई आकर मेरी मां का हाल पूछते हैं. कहते हैं हमारी बहन कैसी है ? आज का माहौल देखकर दुख होता है.
हमारे साथ तो ऐसा नहीं हुआ कि हमने भेद किया हो. आप खुद को देखिये कि आप क्या हो, आपको सब मुफ्त में चाहिए. मैं मुद्दों पर क्या कहूं, मैं इतना कहना चाहता हूं कि आप कमाओ खाओ, मुफ्त में खाने की आदत छोड़ दो.
यूपी गोरखपुर के रहने वाले मोहनलाल गुप्ता 2001 से दिल्ली में रह रहे हैं. घर की जरूरतों ने उन्हें बचपन में ही दिल्ली का रूख करने के लिए मजबूर कर दिया. मोहनलाल ने दिल्ली में ही रहकर, काम करते हुए चार बहनों की शादी की. मोहन बताते हैं, दिल्ली एक ऐसा शहर है जो सभी को अपना लेता है. मोहनलाल सुबह अखबार बांटते हैं, शाम के वक्त शकरकंद बेचते हैं. दिल्ली के मुद्दों पर कहते हैं, दो पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर है.