Delhi Elections Results 2020 दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दर्जा रखने वाली भाजपा के लिए बीते कुछ माह परिणाम के लिहाज से सही साबित नहीं हुए. पहले वर्ष 2019 के अंत में झारखंड और अब साल 2020 के पहले ही चुनावों में दिल्ली में हार मिली है. लोकसभा चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन करने के बावजूद भाजपा के हाथों से राज्य लगातार खिसकते जा रहे हैं.
2015-16 का एक वक्त था जब भारत के मानचित्र पर हर अधिकतर जगहों पर भगवा ही दिखता था मगर अब ऐसा नहीं है. इस बार उम्मीद जताई जा रही थी कि भाजपा दिल्ली में सत्ता का दो दशक का वनवास खत्म कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अंतिम परिणाम तो घोषित नहीं हुए मगर ये साफ है कि आम आदमी पार्टी 60 से ज्यादा सीटों पर जीत रही है. इसके साथ ही भाजपा के सियासी नक्शे में दिल्ली का नाम नहीं जुड़ पाया.
भारत में इस समय दिल्ली को मिलाकर 12 राज्यों में भाजपा विरोधी दलों की सरकार है. जबकि एनडीए के पास 16 राज्य हैं. विधानसभा चुनावों में हार की बात करें तो पिछले दो साल में भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए सात राज्यों में सत्ता गंवा चुका है और दिल्ली में हार आठवीं है. हाल की बात करें तो महाराष्ट्र में करीब एक महीने चले सियासी ड्रामे में भी भाजपा सत्ता बचाने में नाकामयाब रही.
दिल्ली से सटे हरियाणा में भी बहुमत नहीं मिला हालांकि गठबंधन कर उसने अपनी सरकार बचाई. मगर झारखंड में भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी. दो साल पहले 2017 की बात करें तो भाजपा व सहयोगी पार्टियों के पास 19 राज्य थे. मगर उसने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी. इसके बाद 2019 में आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनायी.
भाजपा ने नहीं छोड़ी कोई कसर
दिल्ली जीतने के लिए भाजपा ने इस बार भी जी-जान लगा दी थी. यहां तक कि भाजपा ने दिल्ली फतह करने के लिए अपने करीब 350 सांसदों व नेताओं को मैदान में उतार दिया था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद गली-गली घूमकर वोट मांगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोरदार भाषणों से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला.
पिछले दो लोकसभा चुनावों और कई विधानसभा चुनावों में मोदी लहर चलने के बावजूद पिछले दो दशक से भाजपा दिल्ली की सत्ता में वापसी नहीं कर पायी. इस बार जीतने के लिए आक्रामक चुनाव अभियान शुरू किया गया था. पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कई रैलियों को संबोधित किया और रोड शो और डोर-टू-डोर अभियान चलाए. भाजपा ने 200 सांसदों, कई मुख्यमंत्रियों और लगभग सभी केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में शामिल किया.
अब भाजपा के लिए बड़ा चैलेंज बिहार विधानसभा चुनाव होगा जो इसी वर्ष होना है. भाजपा के नए अध्यक्ष जेपी नड्डा शायद अब चुनाव की रणनीति बदलें.