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दिल्ली चुनाव परिणामः कीर्ति आजाद की पत्नी नहीं बचा सकीं जमानत, कांग्रेस के 63 उम्मीदवारों का हुआ बुरा हाल

नयी दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 का परिणाम अब सामने है. आम आदमी पार्टी(आप) ने एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर कब्जा बरकरार रखा. भाजपा का हाल 2015 के मुकाबले थोड़ा ठीक रहा. सीटों का आंकड़ा तीन से आठ पर पहुंचा. लेकिन कांग्रेस की स्थिति वही. शून्य का शून्य. पूर्व मुख्यमंत्री शीला […]

नयी दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 का परिणाम अब सामने है. आम आदमी पार्टी(आप) ने एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर कब्जा बरकरार रखा. भाजपा का हाल 2015 के मुकाबले थोड़ा ठीक रहा. सीटों का आंकड़ा तीन से आठ पर पहुंचा. लेकिन कांग्रेस की स्थिति वही. शून्य का शून्य. पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही.

कांग्रेस का न 2015 में खाता खुला और ना ही 2020 में. इस बार तो मत प्रतिशत का भी नुकसान हुआ. इस चुनाव में शून्य पर सिमटने वाली दिल्ली कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है. जहां अंदर से विरोध के साथ बदलाव की आवाजें आने लगी हैं, वहीं दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इनके साथ ही दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने भी इस्तीफा दे दिया.

इस चुनाव में कांग्रेस की बुरी स्थिति का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 66 में से मात्र तीन प्रत्याशियों की जमानत बच पायी. चुनाव में कांग्रेस ने पहली बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन कर नया प्रयोग किया व गठबंधन में राजद को चार सीटें दी थी जिसमें तीन सीटों पर राजद उम्मीदवार को नोटा से कम मत मिले. अब बात करें प्रमुख चेहरों की तो दिल्ली कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आज़ाद की पत्नी पूनम आजाद संगम विहार सीट पर अपनी जमानत( 2,604 वोट ) नहीं बचा पाईं.
इऩके अलावा दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा की कालकाजी सीट से जमानत जब्त हो गई. तो वहीं इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नतीजा चांदनी चौक से अलका लांबा का है क्योंकि उन्होंने जीती हुई सीट छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था. चांदनी चौक में अलका लांबा(3881 वोट ) की जमानत जब्त हो गई. वे लड़ाई में कहीं दूर-दूर तक नहीं दिखीं.
इनके अलावा बल्लीमारान से दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ और मटिया महल से मिर्जा जावेद अली भी अपनी जमानत नहीं बचा सके. दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष योगानंद शास्त्री की बेटी प्रियंका सिंह की भी जमानत जब्त हो गई. वहीं, इस चुनाव के सबसे युवा उम्मीदवार और डुसू के पूर्व अध्यक्ष रॉकी तुसीद को महज 3.8 फीसदी वोट मिले. पार्टी प्रत्याशियों की उन सभी सीटों पर भी जमानत जब्त हो गई, जहां पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने रैलियों को संबोधित किया था. ये सीटें जंगपुरा, संगम विहार, चांदनी चौक और कोंडली हैं.
इऩ्होंने बचायी अपनी जमानत
कांग्रेस के तीन उम्मीदवार- गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, बादली से देवेंद्र यादव और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त ही अपनी जमानत बचा पाए हैं.
जमानत जब्त होने के नियम
यदि किसी उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों का छठा भाग नहीं मिलता है, तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है. कांग्रेस के 63 प्रत्याशियों को कुल वोटों के पांच प्रतिशत से भी कम वोट मिले हैं.
वोट प्रतिशत मात्र 4.2 रह गया
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 22.46 फीसदी वोट मिले थे और पार्टी ने आप को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था. इसके मद्देनजर कई लोगों को इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद थी. मगर ऐसा नहीं हुआ. पार्टी का वोट प्रतिशत 2015 के 9.7 से घट कर इस बार 4.2 रह गया. वहीं, 2013 के विधानसभा चुनाव में उसे 24.55 फीसदी वोट मिले थे.
कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा
दिवंगत शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कहा कि नतीजों ने उन्हें हैरान नहीं किया और अंदरुनी राजनीति की वजह से पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. दिल्ली महिला कांग्रेस की प्रमुख और पार्टी प्रवक्ता शर्मिष्ठा ने कहा, हम दिल्ली में फिर हार गए. आत्ममंथन बहुत हुआ अब कार्रवाई का समय है. शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में देरी, राज्य स्तर पर रणनीति और एकजुटता का अभाव, कार्यकर्ताओं का निरुत्साह, नीचे के स्तर से संवाद नहीं होना हार के कारण हैं. मैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी स्वीकार करती हूं.
उन्होंने सवाल किया,बीजेपी विभाजनकारी राजनीति कर रही है, केजरीवाल ‘स्मार्ट पॉलिटिक्स’ राजनीति कर रहे हैं और हम क्या कर रहे हैं? क्या हम ईमानदारी से कह सकते हैं कि हमने घर को व्यवस्थित रखने के लिए पूरा प्रयास किया?
कांग्रेस नेता पीसी चाको ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में पार्टी के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वर्ष, 2013 में ही कांग्रेस की स्थिति खराब होने लगी थी, जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं. आम आदमी पार्टी का उभार कांग्रेस के वोट बैंक के चलते हुआ है. जब तक आम आदमी पार्टी है, तब तक कांग्रेस नहीं आगे बढ़ सकती है.

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