नई दिल्ली : दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी (एनसीआर) में सर्दी की शुरुआत से ही वायु प्रदूषण अपने चरम पर है. दिल्ली-एनसीआर के लोग इस वायु प्रदूषण की वजह से सांस और हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं. वहीं, विशेषज्ञों की मानें, तो दिल्ली-एनसीआर में इस वायु प्रदूषण की वजह से वहां के लोगों में त्वचा संबंधी गंभीर समस्याएं भी पैदा होने लगी हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शुक्रवार को हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है.
दिल्ली की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ दीपाली भारद्वाज ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि इन दिनों उनके पास त्वचा संबंधी समस्या लेकर काफी संख्या में लोग आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका सीधा सा संबंध वायु प्रदूषण से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि इस समय दिल्ली-एनसीआर दुनिया का सबसे बड़ा गैस चैंबर बना हुआ है. वायु में घुले इन खतरनाक गैसों की वजह से लोगों की आंखों के नीचे काला या सफेद धब्बा बन रहा है. इसके अलावा, वायु प्रदूषण की वजह से लोग एक्जिमा, एलर्जी, त्वचा पर झुर्रियों का पड़ना और यहां तक स्किन कैंसर तक की गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं. उन्होंने अपने सुझाव में कहा कि दिल्ली-एनसीआर के लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का हर संभव प्रयास करने की जरूरत है.
डॉ दीपाली भारद्वाज ने लोगों को अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए घर में कर्पूर जलाने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि हवा में ऑक्सीजन के अणुओं को बढ़ाने के लिए रात में सोने से पहले अपने बेडरूम में प्रतिदिन करीब 10-15 मिनट तक कर्पूर जरूर जलाएं. इसके अलावा, अपने घर के कॉरिडोर, छत या छज्जे पर हरे-भरे पौधों के गमले रखने से सांस लेने की परेशानियों को दूर किया जा सकता है. इसके साथ ही, उन्होंने लोगों को अधिक से अधिक मात्रा में जल के सेवन करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि पानी पीने से त्वचा स्वस्थ रहने के साथ ही उसे हाइड्रेटेड रखने में मदद मिलती है.
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इसके साथ ही, डॉ दीपाली भारद्वाज ने त्वचा संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर किसी प्रकार की दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टरों से परामर्श लेने की भी सलाह दी है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की दवा को अपनाने से पहले अपने आसपास के त्वचा रोग विशेषज्ञ से संपर्क जरूर स्थापित करें, क्योंकि वायुजनित रोग प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग तरह से प्रभावित करते हैं और त्वचा की आवश्यकताएं भी भिन्न हो सकती हैं.