दिल्ली आबकारी नीति मामले में पहली गिरफ्तारी हो गयी है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में मनोरंजन एवं इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के पूर्व सीईओ विजय नायर को गिरफ्तार कर लिया है. नायर को अरविंद केजरीवाल का बेहद करीबी बताया जाता है.
क्या है मामला
दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के सिलिसले में देशभर में 40 स्थानों पर छापे मारे थे. उसके बाद सीबीआई ने नीति में अनियमितता के आरोप में एक एफआईआर दर्ज की. जिसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी आरोपी बनाया गया. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी, जिसके बाद जुलाई में केजरीवाल सरकार ने इस नीति को वापस लिया.
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Vijay Nair, former CEO of event mgmt company Only Much Louder and an accused in the Delhi Excise Policy case, arrested by CBI (Central Bureau of Investigation): Sources
— ANI (@ANI) September 27, 2022
ईडी ने आप के एमसीडी चुनाव प्रभारी दुर्गेश पाठक से की पूछताछ की
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए पार्टी प्रभारी दुर्गेश पाठक से भी पूछताछ की.
मनीष सिसोदिया के आवास की भी सीबीबाई ने की छापेमारी
सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में 19 अगस्त को अनियमितता के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास सहित 31 स्थानों पर छापेमारी की थी. सिसोदिया इस मामले के 13 आरोपियों में से एक हैं.
भाजपा का आम आदमी पार्टी पर बड़ा हमला
बीजेपी ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया और दावा किया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक करीबी को शराब का ठेका दिया गया. भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने करमजीत सिंह लांबा नाम के एक व्यक्ति की केजरीवाल और आप के विधायक सौरव भारद्वाज के साथ तस्वीरें दिखाईं. जिसके बाद आरोप लगाया कि लांबा शराब वितरण का ठेका हासिल करने वाली कंपनी यूनिवर्सल डिस्ट्रीब्यूटर्स में ना सिर्फ साझेदार थे, बल्कि उन्होंने आप के टिकट पर स्थानीय निकाय का चुनाव भी लड़ा गया था. बीजेपी ने आरोप लगाया कि लांबा को सारे नियमों की अनदेखी करके शराब को ठेका दिया गया.
क्या है केजरीवाल सरकार की बंद हुई आबकारी नीति
दरअसल दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने पिछले साल आबकारी नीति लागू की थी. जिसमें दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था और शराब के लिए 849 लाइसेंस आवंटित किया गया था. इस नीति के आने से दिल्ली में 100 फीसदी शराब दुकानें नीति हाथों में चली गयी. जो पहले 60 फीसदी सरकार और 40 फीसदी प्राइवेट दुकानें हुआ करती थीं.