सिनेमा की भाषा दृश्यों और ध्वनियों से बनती है. यह वह भाषा है जो दुनिया की किसी भी बोली जाने वाली भाषा से अधिक प्रभावी और मर्मस्पर्शी है. सुप्रसिद्ध सिनेकार संजय जोशी ने उक्त विचार हिंदू काॅलेज में आयोजित दीपक सिन्हा स्मृति व्याख्यान में व्यक्त किए. हिंदी साहित्य सभा द्वारा आयोजित इस व्याख्यान में जोशी ने कनाडा के फिल्मकार नॉर्मन एन लॉरेन की छोटी सी फिल्म ए चेरी टेल का प्रदर्शन और व्याख्या में सिनेमा की भाषा और बोली जाने वाली भाषा का अंतर स्पष्ट किया. इस फिल्म में पंडित रविशंकर का सितार ही फिल्म की भाषा का निर्माण करता है. व्याख्यान में लॉरेन की दूसरी फिल्म नेबर का भी प्रदर्शन किया.
भारत की प्रसिद्ध निर्देशक गीतांजलि राव की लघु फिल्म प्रिंटेड रेनबो का प्रदर्शन कर जोशी ने बताया कि किस तरह रंग भी फिल्म में भाषा का काम करते हैं. व्याख्यान के अंत में जोशी ने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब भी दिए. आयोजन के प्रारंभ में हिंदी विभाग के वरिष्ठ आचार्य डाॅ रामेश्वर राय ने दीपक सिन्हा के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि एक अध्यापक, राजनीतिक कार्यकर्ता और मनुष्य के रूप में दीपक सिन्हा को भुलाया नहीं जा सकता. किरोड़ीमल काॅलेज के पूर्व आचार्य खालिद अशरफ ने भी दीपक सिन्हा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके जैसा ईमानदार मनुष्य अब दुर्लभ है जो विचार के लिए अडिग रहते थे.
व्याख्यान में विभाग के डाॅ पल्लव, डाॅ अरविंद कुमार संबल, डाॅ नीलम सिंह, डाॅ साक्षी, डाॅ प्रज्ञा त्रिवेदी, डाॅ स्वाति सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित थे. संयोजन कृतिका और बृजलाला ने किया. अतिथि परिचय पायल सैनी ने दिया तथा अंत में विभाग प्रभारी प्रो रचना सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया. उक्त जानकारी हिंदू काॅलेज के हिंदी साहित्य सभा के संयोजक जसविंदर सिंह ने कही.